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कहानी- सॉरी मॉम 4 (Story Series- Sorry Mom 4)

 

खिड़की से दिखता आसमान घिरकर काला हुआ जा रहा था, ठीक मेरे मन की तरह... बारिश की मोटी-मोटी बूंदें टैरस की टीन शेड पर तड़कने लगी थी. बारिश होती देख मॉम टैरस से कपड़े लाने चली गई और मेरी नज़र डायनिंग टेबल पर रखे उनके फोन पर अटक गई... मेरे सवालों के जवाब शायद उसके सीने में दफ़न थे.

        ... “जिया तुम बाहर जाओ बेटा.” मॉम के कहने पर मैं बाहर चली गई थी, मगर मुझे उनके लिए डर लग रहा था... लगा था कहीं डैड उन्हें हर्ट ना करें, इसलिए बाहर से झांकने लगी. “ये क्या कह रहे हैं? आप होश में नहीं हैं...” मॉम ने उनसे मुंह फेरते हुए कहा. “आज ही तो होश में आया हूं... बताओ, कब से चल रहा है ये सब? तुम्हारी कॉल हिस्ट्री, मैसेजेज् सब देखे मैंने... मना किया था ना उससे बात करने के लिए... शर्म नहीं आती तुम्हें इतना गिरते हुए?” डैड ने मॉम की बांह ज़ोर से खिंची. “शर्म क्यों आएगी... क्या ग़लत किया मैंने? तुम्हारे दोस्त हो सकते हैं, तो क्या मेरे नहीं? क्या मैं किसी से अपने सुख-दुख शेयर नहीं कर सकती?” मॉम ने भी तल्खी से ज़वाब दिया. “चली जाओ यहां से... मैं तुम्हारे साथ नहीं रह सकता...” वे दांत पीसते हुए धीमे से बोले और मॉम भरी आंखें लिए चुपचाप कमरे से निकल आई. उस रात वो मुझ पर हाथ धरे, मुझे सहलाते हुए सुबकती रही... मैं भी...   यह भी पढ़ें: क्या है आपकी ख़ुशी का पासवर्ड? (Art Of Living: How To Find Happiness?)   कौन सही है, कौन ग़लत, मैं ये नहीं समझती थी, मगर एक बात थी, जो मुझे परेशान कर रही थी... डैड नहीं चाहते, तो मॉम क्यों अमित अंकल से बात करती हैं... ज़रूरत क्या है? कितना ग़ुस्सा हुए ना डैड... चाहे जैसे भी थे, वे मेरे डैड थे, मॉम के साथ मैं डैड के सिवाय किसी और की कल्पना भी नहीं कर सकती थी. अगले दिन मॉम ने डैड को... उस घर को छोड़ने का डिसीज़न ले लिया और हम दोनों एक-दूसरे का हाथ थामे वहां से निकल आए... अपनी एक नई दुनिया बसाने... अपनी इस दुनिया में मुझे किसी तीसरे की मौजूदगी बिल्कुल बर्दाश्त नहीं थी, अमित अंकल की तो बिल्कुल भी नहीं. खिड़की से दिखता आसमान घिरकर काला हुआ जा रहा था, ठीक मेरे मन की तरह... बारिश की मोटी-मोटी बूंदें टैरस की टीन शेड पर तड़कने लगी थी. बारिश होती देख मॉम टैरस से कपड़े लाने चली गई और मेरी नज़र डायनिंग टेबल पर रखे उनके फोन पर अटक गई... मेरे सवालों के जवाब शायद उसके सीने में दफ़न थे. मेरा हाथ बढ़-बढ़कर रूक रहा था... नहीं चाहती थी उनकी कॉल हिस्ट्री, चैट हिस्ट्री चेक करना... मगर ख़ुद को रोक भी कहां पा रही थी... फोन से कुछ जवाब मिले, कुछ अधूरे छूट गए. मॉम ने अंकल से मिलना, बात करना कभी छोड़ा ही नहीं था... जब डैड नहीं चाहते थे तब भी नहीं... जब घर छोड़ा, ना तब... वो हर बात उनसे शेयर करती रही... तो क्या वो एक इंसान मॉम की लाइफ का इतना ज़रूरी हिस्सा है कि उसे बचाए रखने के लिए उन्होंने सब दांव पर लगा दिया...   यह भी पढ़ें: हर वर्किंग वुमन को पता होना चाहिए ये क़ानूनी अधिकार (Every Working Woman Must Know These Right)   अपनी शादी, अपना घर और अब... अपनी बेटी भी? दुनिया में सबसे बुरा होता है अपनों से छला जाना... उन अपनों से जिन पर हम आंख मूंद कर भरोसा करते हैं, मैं भी आज ख़ुद को छला महसूस कर रही थी...

अगला भाग कल इसी समय यानी ३ बजे पढ़ें

Deepti Mittal दीप्ति मित्तल         अधिक कहानियां/शॉर्ट स्टोरीज़ के लिए यहां क्लिक करें – SHORT STORIES     डाउनलोड करें हमारा मोबाइल एप्लीकेशन https://merisaheli1.page.link/pb5Z और रु. 999 में हमारे सब्सक्रिप्शन प्लान का लाभ उठाएं व पाएं रु. 2600 का फ्री गिफ्ट

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