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चाइल्ड ट्रैफिकिंग: जानें गायब होते बच्चों का काला सच (The Shocking Reality of Child Trafficking in India) 

देश में हर साल हजारों बच्चे लापता हो जाते हैं. किसी भी परिवार के लिए अपने बच्चे से दूर होने से बड़ी और कोई पीड़ा नहीं हो सकती. बच्चों के लापता होने की सबसे बड़ी वजह है चाइल्ड ट्रैफिकिंग. ये बच्चे जि नके पास पहुंचाए जाते हैं. वो इन्हें बंधक बनाकर इनसे काम करवाते हैं. देह व्यापार के धंधे में धकेलते हैं, भीख मंगवाते हैं, शरीर से अंग तक निकालकर बेच देते हैं. ये घिनौना काम वर्षों से होता रहा है. 

सच घटना

हाल ही में एक 12 साल की बच्ची के रेस्न्यू का केस बहुत ज़्यादा चर्चा में आया था. इस मासूम लड़की की ख़रीद फरोख़्त करके देह व्यापार में धकेल दिया गया था. इतना ही नहीं उसे अपनी उम्र से बड़ा दिखाने के लिए उसे हार्मोन्स के इंजेक्शन दिए जाते थे. कुछ ही दिनों में इस मासूम लड़की को 200 से ज़्यादा ग्राहकों को सौंपा गया. हालांकि अब उसका रेस्न्यू कर लिया गया है, लेकिन अब भी मेंटल कंडीशन ठीक नहीं है. इसके अलावा 4 महीने की एक बच्ची को भी रेस्न्यू किया गया है, जिसे उनके ही माता-पिता ने दो लाख रुपयों की लालच में बेच दिया था.

क्या है चाइल्ड ट्रैफिकिंग?

बाल तस्करी का अर्थ है किसी बच्चे को धोखे, लालच, ज़बरदस्ती या प्रलोभन देकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना — ताकि उसका शोषण (Exploitation) किया जा सके। इसमें बच्चे का उपयोग बाल मजदूरी, यौन शोषण, भीख मंगवाने, बाल विवाह, या अवैध अंग व्यापार जैसे उद्देश्यों के लिए किया जाता है।

भारत में बाल तस्करी के चौंकाने वाले तथ्य

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, हर साल हजारों बच्चे भारत में लापता हो जाते हैं , जिनमें से एक बड़ा हिस्सा कभी नहीं मिल पाता.
अनुमानतः भारत में हर 8 मिनट में एक बच्चा गायब होता है.
UNICEF और अन्य एजेंसियों के अनुसार, भारत में करीब 1.2 करोड़ बच्चे किसी न किसी रूप में जबरन श्रम या शोषण का शिकार हैं.
भारत में बाल तस्करी का सबसे बड़ा नेटवर्क गरीब राज्यों से समृद्ध राज्यों की ओर चलता है — जैसे बिहार, झारखंड, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल से दिल्ली, मुंबई, पंजाब और हरियाणा की ओर.

चाइल्ड ट्रैफिकिंग का शिकार कौन?

गरीब परिवारों के बच्चे, खासकर ग्रामीण या पिछड़े इलाकों से.
अनाथ या सड़क पर रहने वाले बच्चे, जिन्हें कोई सुरक्षा नहीं होती.
कम शिक्षित या अशिक्षित परिवारों के बच्चे, जिनके माता-पिता को तस्करों के झूठे वादों पर आसानी से विश्वास हो जाता है.
प्राकृतिक आपदाओं या आंतरिक विस्थापन से प्रभावित बच्चे — जैसे बाढ़, सूखा या दंगे के बाद विस्थापित परिवारों के बच्चे.

बच्चों की तस्करी कौन कर रहा है?

- तस्कर और ख़रीदार हर जाति, सामाजिक-आर्थिक वर्ग, पेशे और जीवन शैली के मध्यम आयु वर्ग के पुरुष होते हैं.

- तस्कर मीडिया में दिखने वाले खौफनाक, एकांतप्रिय शिकारियों जैसे नहीं दिखते. वे हमारे पड़ोसी, रिश्तेदार और सहकर्मी जैसे आम इंसान होते हैं.

- कई मामलों में पैरेंट्स पैसों की लालच में अपने बच्चों को बेच देते हैं. बिना ये सोचे कि उनके बच्चों के साथ क्या किया जाएगा. फिर खरीदार इन्हीं बच्चों को दुगुनी तिगुनी कीमत में बेच देते हैं.

क्यों की जाती है बाल तस्करी?

सस्ती मजदूरी के लिए : कई फैक्टरियों, घरों और खेतों में बच्चों को बहुत कम पैसे में काम पर लगाया जाता है।
यौन शोषण और वेश्यावृत्ति के लिए : लड़कियों को विशेष रूप से इस उद्देश्य से बेचा जाता है।
अवैध अंग व्यापार : गरीब बच्चों के अंग निकालकर उन्हें बेचा जाता है।
बाल विवाह : गरीब परिवारों की बच्चियों को मजबूरन शादी के नाम पर बेचा जाता है।
भीख मंगवाने के रैकेट : बच्चों को अपंग बनाकर उनसे भीख मंगवाई जाती है।

सख़्त हो क़ानून तभी थमेगा ये

तेज़ी से फैलता बच्चों की तस्करी का ये मामला धीरे-धीरे नासूर बनता जा रहा है. क़ानून तो हमारे देश में बहुत बने हैं, लेकिन ज़रूरत है सही तरह से इसे इंप्लीमेंट करने की. इस तरह के मामलों में बहुत ज़्यादा समय नहीं लगाना चाहिए. अपराधियों के ख़िलाफ़ कोर्ट में जल्द से जल्द मामले की सुनवाई करनी चाहिए, लेकिन दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं होता. अपराधी ज़मानत पर रिहा हो जाते हैं और केस एक दो साल बाद कोर्ट में पहुंचता है. इससे कई विटनेस और ख़ुद पीड़ित भी अपने गांव या किसी दूसरे शहर चले जाते हैं. अपराधी बच जाते हैं और दुबारा फिर से चाइल्ड ट्रैफिकिंग को अंजाम देते हैं.

ह्यूमन और चाइल्ड ट्रैफिकिंग पर डिटेल में पूरा पॉडकास्ट देखिये मेरी सहेली यूट्यूब चैनल पर. पॉडकास्ट देखने के लिए क्लिक करें-

https://youtu.be/Djy4TUhX-U8?si=2U3obGCTYRQRifWb

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