महंगाई, बेरोज़गारी, आर्थिक समस्याओं से दो-चार तो हम सभी होते ही रहते हैं और इसे लेकर तनाव व चिंता भी बनी रहती है. लेकिन एकबारगी देखें, तो युवाओं में फाइनेंशियल स्ट्रेस कुछ अधिक ही होता है. आख़िर क्योें यंग जनरेशन फाइनेंस को लेकर इतना अधिक तनाव और दबाव में रहती है, जानते हैं इसके कारण व निवारण के बारे में.

बढ़ती टेक्नोलॉजी से फ़ायदा तो हुआ है, लेकिन जॉब इन्सेक्योरिटी का रिस्क भी हो गया है. एआई, चैटजीपीटी जैसे साधनों की वजह से न जाने कितनों को अपनी नौकरी तक से हाथ धोना पड़ा है. कह सकते हैं, बढ़ती बेरोज़गारी भी फाइनेंशियल स्ट्रेस की बहुत बड़ी वजह रही है.
फाइनेंशियल स्ट्रेस के कारण
- अक्सर ऐसे तमाम ख़र्चे आ जाते हैं, जिनके कारण युवा टेंशन के साथ डिप्रेशन में भी आ जाते हैं, जैसे- फैमिली प्रेशर के कारण कई ख़र्चे अपने ऊपर ले लेते हैं और आर्थिक तंगी के चलते तनाव में आ जाते हैं.
- यदि युवाओं की लाइफस्टाइल पर गौर करें, तो पाएंगे कि पैसों की तंगी का मुख्य कारण उनकी फिजूलख़र्ची रहती है.
- फाइनेंशियल स्ट्रेस कई कारणों से होता है, जिनमें लोन, कर्ज़, शादी-ब्याह, बड़ी बीमारी, इमरजेंसी ख़र्च आदि हैं. अब यह व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है कि वे इससे कैसे निपटें और बचें.
- ऐसा कई बार होता है कि न चाहते हुए भी आप ऐसी चीज़ें ख़रीद लेते हैं, जिसे भविष्य में इस्तेमाल तक नहीं करते. ये गैरज़रूरी सामानों की फ़ेहरिस्त काफ़ी लंबी होती है. लेकिन युवा इसके बारे में बहुत कम ही सोचते हैं. ऑनलाइन शॉपिंग करना तो इनका सबसे बड़ा फ़ितूर रहता है. इन्हीं गैरज़रूरी ख़रीदारी पर पैसे बर्बाद करते रहने से बाद में रुपयों की किल्लत आने पर इनका स्ट्रेस बढ़ता जाता है.
- मार्केट में ऐसी तमाम सुविधाएं दी जाती हैं कि आज ख़रीदें और कल पैसे चुकाएं. यह ऑफर यंग लोगों को काफ़ी लुभाता है. और वे प्रायः ईएमआई पर गैरज़रूरी चीज़ों को ख़रीदने के आदी हो जाते हैं.
- क्रेडिट कार्ड का सदुपयोग कम, दुरुपयोग अधिक भी उनके फाइनेंशियल स्ट्रेस को बढ़ाता ही है. एक तरह से देखें, तो उधार की ख़रीदारी, लोन पर सुविधाओं की उन्हें आदत सी पड़ जाती है. और जब समय पर पेमेंट नहीं कर पाते, तो स्ट्रेस लेने लगते हैं. कभी-कभी ऐसी स्थिति भी बन जाती है कि जीवन ख़त्म कर देने की इच्छा तक होने लगती है कुछ युवाओं को.
लंदन के यूनिवर्सिटी कॉलेज की एक शोध के अनुसार, हर कोई साधारणतया बहुत अधिक पैसे खर्च करते रहते हैं. ऐसे में बचत की बात आती है, तो बहुत कम ही सेविंग करते हैं. हमारी अधिक खर्च की आदतों के कारण ही हम फाइनेंशियल स्ट्रेस के शिकार हो जाते हैं.
फाइनेंशियल स्ट्रेस से बचाव के स्मार्ट ट्रिक्स
- सबसे अहम् बात यह है कि आपको अपने ख़र्चों पर ध्यान देना होगा यानी फिज़ूलख़र्ची से बचना होगा.
- छोटे-छोटे टार्गेट रखें. एकदम से बड़ा करने की बजाय छोटे काम से शुरुआत करें.
- हमेशा कोशिश करें कि क्रेडिट कार्ड से किए गए ख़र्चों के पेमेंट समय पर करें.
- मुफ़्त वाली सेवाओं का लाभ उठाएं और माइक्रो इंवेस्टमेंट करें.
- इमोशनल होकर रिश्ते-नातों पर अधिक बेवजह के पैसे न लुटाएं. अपने इस दानवीर स्वभाव को नियंत्रण में रखें. इमोशनल एक्सपेंसेस से जितना बचेंगे, उतना कम तनाव में रहेंगे.
- फाइनेंशियल स्ट्रेस होने पर मेडिटेशन अवश्य करें.
- क़रीबी व दोस्तों से अपनी समस्या शेयर करें. अक्सर उनकी सलाह कारगर साबित होती है.
- कोई भी परेशानी व आर्थिक प्रॉब्लम को मन में न रखें, परिवार से शेयर करें. वे इस समस्या से उबरने में सहायता करने के साथ जीवन को अलग नज़रिए से देखने के लिए भी प्रोत्साहित करेंगे.
- टाइम मैनेजमेंट के साथ बजट प्लानिंग भी करें.
- सही व उचित इंवेस्टमेंट करने के पहलुओं पर भी ध्यान दें. जैसे कहां, कितना और कब पूंजी निवेश करने से अधिक लाभ हो सकता है. योजनाबद्ध तरी़के से पूंजी निवेश करें.
- हर रोज़ ध्यान, प्राणायाम और सैर ज़रूर करें. इससे तन-मन दोनों ही शांत व रिलैक्स रहता है.
- प्रतिदिन कम से कम आधे घंटे वर्कआउट करें, ताकि फिटनेस बना रहे, जिससे दिलोदिमाग़ अच्छी तरह से काम कर सके.
- काम के तनाव व थकान होने पर अच्छी नींद ज़रूर लें, जिससे स्ट्रेस कम हो सके.
- अपनी पसंद का कुछ नया सीखने की कोशिश करें, ताकि ज़िंदगी में उत्साह और नयापन बना रहे.
- हेल्दी डायट लें. संतुलित व उचित खानपान मानसिक व शारीरिक रूप से फिट रहने के साथ फाइनेंशियल स्ट्रेस को दूर करने में भी मदद करेगा.
- भावनात्मक रूप से मज़बूत बनें. इसके लिए एक्सपर्ट की भी राय ले सकते हैं.
- प्रेरणादायी बातें पढ़ें व देखें, जिससे स्वयं को किसी भी स्थिति-परिस्थिति में संतुलित रखने में मदद मिलती है.
- ऊषा गुप्ता

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