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जानिए शरीर में विटामिन सी की भूमिका (Vitamin C in Disease Prevention and Cure)

अधिकतर लोगों को लगता है कि विटामिन सी (Vitamin C) इंफेक्शन से लड़ने में मदद करता है. यही वजह है कि लोग फल, सब्ज़ियों व सप्लीमेंट की मदद से ज़्यादा से ज़्यादा विटामिन सी ग्रहण करने की कोशिश करते हैं, ताकि उन्हें सर्दी-ज़ुकाम जैसी बीमारी न हो. लेकिन यह सोच कितनी सही है और रोगों (Diseases) को दूर रखने में विटामिन सी की क्या भूमिका है? यह जानने के लिए हमने बात की एसआरवी ममता हॉस्पिटल डोंबिवली की न्यूट्रिशनिस्ट और डायटिशियन डॉ. रुगवेदिता एस. शिंदे सेे. Vitamin C विटामिन सी क्या है? विटामिन सी का दूसरा नाम एस्कॉर्बिक एसिड है. यह एक प्रकार का एंटीऑक्सीडेंट है. आपको बता दें कि एंटीऑक्सीडेंट हमारे शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाता है. फ्री रेडिकल्स क्या हैं? जब हमारा शरीर ऊर्जा प्राप्त करने के लिए खाने को ब्रेकडाउन करता है तो उस ब्रेकडाउन की प्रक्रिया के दौरान फ्री रेडिकल्स बनते हैं. जिस तरह वेल्डिंग करते समय स्पार्क्स निकलते हैं और उसके पास ज़्यादा जाने पर जलने या आंखों को नुकसान पहुंचने का डर रहता है, वैसे ही खाने को पचाते समय भी फ्री रेडिकल्स निकलते हैं और वे आस-पास की टिशूज़ यानी कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त कर देते हैं. इसलिए इन क्षतिग्रस्त टिशूज़ को हील करना व फ्री रेडिकल्स को न्यूट्रलाइज़ करना ज़रूरी है, वरना फ्री रेडिकल्स धीरे-धीरे टिशूज़ को चोटिल कर सकते हैं, जिसके कारण हृदय संबंधी बीमारियां, कैंसर, ब्लडप्रेशर व डायबिटीज़ इत्यादि हो सकते हैं. आपको बता दें कि फ्री रेडिकल्स स़िर्फ शरीर में ही नहीं बनते, बल्कि प्रदूषित वातावरण में भी फ्री रेडिकल्स होते हैं. इसके अलावा स्मोकिंग करनेवालों के शरीर में बहुत ज़्यादा फ्री रेडिकल्स बनते हैं. यहां तक कि सूरज की अल्ट्रा वॉयलेट किरणों से भी फ्री रेडिकल्स बनते हैं. इसी कारण से बहुत-सी बीमारियां होती हैं. विटामिन सी के मुख्य कार्य Vitamin C Foods फ्री रेडिकल्स के खिलाफ़ विटामिन सी का बहुत बड़ी भूमिका होती है. यह फ्री रेडिकल्स से लड़ने का काम करता है. विटामिन सी का दूसरा काम कोलैजन का निर्माण करना होता है. कोलैजन शरीर की हीलिंग या इम्यूनिटी के लिए बहुत ज़रूरी है. यह शरीर की हीलिंग क्षमता को बढ़ाता है. शरीर पर चोट लगने पर उसे ठीक करने का काम कोलैजन करता है. जो लोग पर्याप्त मात्रा में विटामिन सी ग्रहण करते हैं उनके घाव जल्दी भरते हैं. शरीर में विटामिन सी की कमी होने पर हीलिंग धीरे-धीरे होती है. स़िर्फ इतना ही नहीं, विटामिन सी आयरन को शरीर में एब्जॉर्ब होने में मदद करता है. शरीर में विटामिन सी जितना ज़्यादा होता है, आयरन का अवशोषण भी उतना ही अधिक होता है. जो लोग नियमित रूप से विटामिन सी का सेवन करते हैं, उनके शरीर में विटामिन सी का लेवल मेंटेन रहता है जिससे शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है. ये भी पढ़ेंः कहीं आप ग़लत समय पर तो विटामिन्स नहीं ले रहे? (Are You Taking Your Vitamins Correctly?) क्यों ज़रूरी है इसका सेवन? विटामिन सी व विटामिन बी कॉम्प्लेक्स वॉटर सोल्यूबल हैं यानी ये पानी में घुलनेवाले विटामिन्स हैं, इसलिए शरीर इन्हें जमा करके नहीं रख सकता. पानी में घुलने के कारण ये मूत्र के साथ शरीर से निकल जाते हैं. यही वजह है कि विटामिन सी और विटामिन बी कॉम्प्लेक्स का रोज़ाना सेवन करना ज़रूरी होता है. अगर हम विटामिन सी रोज़ ग्रहण नहीं करेंगे, तो उनके द्वारा किए जानेवाले काम नहीं हो पाएंगे. विटामिन सी के स्रोत फलों व सब्ज़ियों में सबसे अधिक मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है. सिट्रस फ्रूट्स, जैसे-संतरा, मौसंबी, नींबू, अंगूर, स्ट्रॉबेरी, कीवी, लाल व हरी शिमला मिर्च, ब्रोकोली, टमाटर इत्यादि में विटामिन सी की मात्रा सबसे अधिक होती है. एक बात ध्यान में रखें कि सब्ज़ी को पकाने से विटामिन सी की मात्रा कम हो जाती है. ऐसे में अगर पकाना भी हो तो बेक या स्टीम करना ज़्यादा बेहतर होता है. आग के नीचे पकाने से विटामिन सी जल्दी नष्ट हो जाता है. विटामिन सी का पूरा फ़ायदा उठाने के लिए फलों और सब्ज़ियों का ताज़ा होना ज़रूरी है. विटामिन सी युक्त फल व सब्ज़ियां जितनी पुरानी होगीं, उनमें उतना कम विटामिन सी होगा. इसलिए उसे बहुत अधिक दिनों तक स्टोर नहीं करना चाहिए. किन्हें अधिक विटामिन सी की आवश्यकता होती है? धूम्रपान करनेवालों, स्तनपान करानेवाली और गर्भवती महिलाओं को विटामिन सी ज़्यादा खाना चाहिए. इसके अलावा जो लोग ज़्यादा प्रदूषित जगहों पर रहते हैं, उन्हें अधिक मात्रा में विटामिन सी का सेवन करना चाहिए. गाय का दूध पीने वाले एक साल से कम उम्र के बच्चों को भी एक्सट्रा विटामिन सी देना चाहिए, क्योंकि गाय के दूध में विटामिन सी की मात्रा बहुत कम होती है और दूध को गर्म करने पर बचा-खुचा विटामिन भी ख़त्म हो जाता है. इसके अलावा कैंसर व किडनी संबंधी बीमारियों से जूझ रहे लोगों को भी अधिक विटामिन सी की आवश्यकता होती है. जो लोग डायलिसिस पर होते हैं, उन्हें भी अधिक विटामिन सी की आवश्यकता होती है. विटामिन सी की कमी होने पर लगातार कई हफ़्तों तक 10 मिलीग्राम से कम विटामिन सी ग्रहण करने से धीरे-धीरे शरीर में विटामिन सी की कमी होने लगती है. ऐसी स्थिति में स्कर्वी नामक बीमारी हो सकती है. इस रोग में कमज़ोरी महसूस होती है, मूसढ़ों में सूजन आ जाता है, त्वचा पर लाल-लाल धब्बे जैसे लक्षण दिखने लगते हैं. जोड़ों मे दर्द होता है और चोट ठीक होने में ज़्यादा समय लगता है. बाल पतले होकर टूटने लगते हैं. व्यक्ति डिप्रेशन में भी जा सकता है. इतना ही नहीं, स्कर्वी की बीमारी में हीमोग्लोबिन भी कम हो जाता है. अगर सही समय पर इसका इलाज न किया जाए तो मरीज़ की मौत भी हो सकती है. अन्य बीमारियों में विटामिन सी की उपयोगिता Vitamin C कैंसरः जो लोग अत्यधिक मात्रा में विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट ग्रहण करते हैं, उन्हें कैंसर होने का ख़तरा कम होता है, ख़ासतौर पर लंग्स कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, कोलोन कैंसर इत्यादि. दिल की बीमारियां- जो लोग फल व हरी सब्ज़ियों के माध्यम से विटामिन सी और अन्य पोषक तत्व ग्रहण करते हैं, उन्हें हृदय संबंधी रोग होने का ख़तरा कम होता है. चूंकि ये बीमारियां फ्री रेडिकल्स की वजह से ज़्यादा होती हैं, इसलिए विटामिन सी का सेवन करने से बहुत फ़ायदा पहुंचता है. आंख संबंधी बीमारियांः विटामिन सी का सेवन करने से आंख संबंधी बीमारियों से बचाव होता है. जो लोग अत्यधिक मात्रा में विटामिन सी, ज़िक, बीटा कैरोटिन इत्यादि का सेवन करते हैं, उन्हें आंखों की बीमारियां कम होती हैं और बीमारी हो जाए भी तो आंखों की रोशनी जाने की आशंका अन्य लोगों की तुलना में कम होती है. वायरल इंफेक्शनः वायरस से होनेवाली बीमारियां, जैसे- सर्दी, जुक़ाम इत्यादि में विटामिन सी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. नियमित रूप से फल व सब्ज़ियों के माध्यम से विटामिन सी का सेवन करने से इंफेक्शन उग्र रूप नहीं लेता. यानी इंफेक्शन हल्का होता है जो जल्दी ठीक हो जाता है. लेकिन यह ध्यान रहे कि सर्दी होने के बाद विटामिन सी ज़्यादा लेने से कोई फ़ायदा नहीं होता. कहने का अर्थ यह है कि विटामिन सी का असर दिखने में वक़्त लगता है. इसलिए शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए विटामिन सी का नियमित सेवन करना ज़रूरी है. विटामिन सी का अत्यधिक सेवन ख़तरनाक चूंकि विटामिन सी एक प्रकार का एसिड है. इसलिए इसका अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से उल्टी, डायरिया, पेट में मरोड़ इत्यादि परेशानियां हो सकती हैं. ये भी पढ़ेंः हार्मोन्स संतुलित रखने के 20 आसान तरीक़े ( 20 Ways To Maintain Hormonal Balance Naturally)

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