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जब श्‍वेता तिवारी को मिला थ्री कैरेट डायमंड (When Shweta Tiwari Got 3 Carat Diamond)

‘कसौटी ज़िंदगी की’ सीरियल की प्रेरणा यानी श्वेता तिवारी किसी परिचय की मोहताज़ नहीं हैं. टीवी इंडस्ट्री में श्वेता तिवारी एक जानामाना चेहरा हैं. शादी ग्लैमर वर्ल्ड में आपकी एंट्री रोक देती है, मां बनने के बाद महिलाएं करियर पर ज़्यादा ध्यान नहीं दे पातीं, शादी के बाद महिलाएं अपना फ़िगर मेंटेंन नहीं कर पातीं... ऐसी तमाम मान्यताओं को झुटलाकर श्‍वेता तिवारी ने साबित कर दिया है घर, बच्चा, करियर सब कुछ एक साथ आसानी से हैंडल किया जा सकता है. बस, मन में कुछ कर दिखाने का जज़्बा होना चाहिए. अपनी इस मल्टी टास्किंग स्किल और क़ामयाबी से जुड़े कई अनकहे राज़ श्‍वेता तिवारी ने शेयर किए हमारे साथ. क्या आपने कभी सोचा था कि आप ग्लैमर इंडस्ट्री में काम करेंगी? जब आपकी क़िस्मत में किसी फ़ील्ड से जुड़ना लिखा होता है, तो उसके लिए रास्ते अपने आप खुलते चले जाते हैं. मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. मैं अपने स्कूल में डांस कॉम्पटीशन में हिस्सा लिया करती थी. एक बार डांस कॉम्पटीशन में मैंने फ़र्स्ट प्राइज़ जीता था. उस शो के जज एक थियटर डायरेक्टर थे. उन्होंने मुझसे कहा, मैं एक प्ले कर रहा हूं, क्या तुम उसमें काम करना चाहोगी? मैंने सोचा, ट्राई करने में हर्ज़ क्या है? मैं अपनी मम्मी के साथ वहां गई और प्ले में काम करना शुरू कर दिया. थिएटर में काम करने के दौरान ही मुझे सीरियल में काम करने का मौका मिला, लेकिन मुझे बड़ा ब्रेक मिला एकता कपूर के शो 'कसौटी ज़िंदगी की' से. उसके बाद मुझे पीछे मुड़कर देखने की ज़रूरत नहीं पड़ी. आपने बचपन में बहुत स्ट्रगल किया है. क्या कभी अफसोस होता है अपने बचपन के बारे में सोचकर? मेरे बचपन की यादें बहुत सुखद नहीं हैं. मैं एक मिडल क्लास, बल्कि लोअर मिडल क्लास फैमिली में पली-बढ़ी हूं. मेरे माता-पिता दोनों काम करते थे. पिता सेल्स मैनेजर थे और मां मोड रिसर्च कंपनी में काम करती थी. मैं और मेरा छोटा भाई कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ते थे. बहुत छोटी उम्र से ही मैं ये महसूस करने लगी थी कि मां को घर और हमारी पढ़ाई का ख़र्च उठाने में बहुत मुश्किल होती है इसलिए सातवीं क्लास से मैंने भी काम करना शुरू कर दिया. मैं एक ट्रैवेल एजेंट के यहां फ़ोन रिसीव करने का काम करती थी. इस काम के लिए मुझे पांच सौ रुपए तनख़्वाह मिलती थी. मां को मेरे काम करने से बहुत तकलीफ़ होती थी इसलिए वो अक्सर मुझे काम करने के लिए मना करती थीं. उन्हें डर लगा रहता था कि कहीं काम करने से मेरी पढ़ाई का नुक़सान न हो जाए. स्कूल की छुट्टियां पड़ने पर भी मैं काम किया करती थी. मैंने ट्यूशन लेने से लेकर डोर टु डोर सेल्स गर्ल का काम भी किया है. आई लैंस से लेकर मिक्सर बेचने तक का काम भी किया है. मां के साथ मैंने मोड रिसर्च सेंटर में भी काम किया. मैं छुट्टियों में इतना काम कर लेती थी कि मेरी पढ़ाई का ख़र्च निकल जाए. क्या बुरा व़क्त इंसान के व्यवहार को बदल देता है? हां, मेरे साथ ऐसा हुआ है. मेरी पिछली ज़िंदगी का मेरे व्यवहार पर कुछ समय तक असर ज़रूर पड़ा, उस दौरान मैं काफ़ी चिड़चिड़ी हो गई थी, लेकिन मैंने अपनी पर्सनल लाइफ़ का अपने काम पर असर नहीं पड़ने दिया. जब भी कोई औरत तलाक़ लेने का फैसला करती है, तो लोग उसे ही दोषी मानते हैं. कोई ये जानने की कोशिश नहीं करता कि आखिर उसकी ज़िंदगी में क्या चल रहा है, वो अपनी पर्सनल लाइफ में किस दौर से गुज़र रही है. मेरी ज़िंदगी के कड़वे अनुभवों ने मुझे बहुत कुछ सिखाया, मुश्किल हालात में जीना और मुश्किलों से बाहर निकलना भी. मेरे ख़्याल से बुरा वक़्त परीक्षा की तरह होता है, जिसे पार करके आपको जीत हासिल होती है. यह भी पढ़ें: घरेलू हिंसा के लिए पति के खिलाफ आवाज़ उठाई इन टीवी अभिनेत्रियों ने (TV Actresses Who Have Faced Domestic Violence) आपके परिवार का आपकी ज़िंदगी पर क्या असर पड़ा है? अच्छी-बुरी, चाहे जैसी भी हो, लेकिन ये एहसास ही अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि होती है कि आपके पास अपनी फैमिली है. हम जानते हैं कि ये वो लोग हैं जो हमें बिना किसी स्वार्थ के प्यार करते हैं. इनके प्यार में कोई दिखावा, कोई फरेब नहीं है. इनके लिए न तो हमारी हार-जीत या पैसे मायने रखते हैं और न ही हमारी शक्ल या क़ामयाबी, ये स़िर्फ हमें प्यार करते हैं. परिवार में रहकर ही हम एक-दूसरे से प्यार करना, बड़ों का सम्मान करना सीखते हैं. जो लोग अपने परिवार के साथ रहते हैं वे ख़ुद को सुरक्षित महसूस करते हैं, उनका फ्रस्टेशन लेवल कम होता है, उनकी ग्रोथ ज़्यादा होती है. तनावग्रस्त वही लोग रहते हैं, जिन्हें लगता है कि उनके पास कोई अपना नहीं है. आप अपनी ज़िंदगी का सबसे ख़ूबसूरत लम्हा किसे मानती हैं? जब मेरी बेटी का जन्म हुआ और मैंने महसूस किया कि मेरे पेट में से एक प्यारी-सी बच्ची बाहर आई है. जब मैंने उसे पहली बार देखा, तो मैं यकीन ही नहीं कर पा रही थी कि मेरे पेट में इतने दिनों तक इतनी प्यारी बच्ची की रूपरेखा तैयार हो रही थी. सच, औरत के लिए मां बनने से प्यारा एहसास और कोई हो ही नहीं सकता. अपने फैन्स से कितना प्यार मिलता है आपको? मैं लकी हूं कि मुझे ऐसे फैन्स मिले हैं, जिन्हें मेरे ऑटोग्राफ़, फोटोग्राफ़ वगैरह से कोई मतलब नहीं, वो बस मुझे गले लगाकर रोने लगते हैं. मेरे चेहरे, हाथ को छूकर देखते हैं. हां, कई बार ़फैन्स को रोक पाना मुश्किल ज़रूर हो जाता है. एक बार मैं एक सोशल इवेंट में रायपुर गई थी. वहां भीड़ इतनी जुट गई थी कि कंट्रोल कर पाना मुश्किल हो गया था और मेरे कपड़े तक फट गए थे. वो वाकया मैं कभी नहीं भूल सकती. इसी तरह बहुत पहले मैंने दिलेर मेहंदी का एक एलबम पैसा-पैसा किया था. उसमें मैंने कैट सूट पहना था. उसी दौरान जुहू (मुंबई) के एक सिग्नल पर मेरी कार के पास एक ज़ैन कार रुकी, जिसमें कुछ औरतें बैठी थीं. उनमें से एक ने मेरी कार के ग्लास को नॉक किया. मैंने सोचा, फैन होगी, कुछ कहना चाहती होगी, लेकिन जैसे ही मैंने ग्लास नीचे किया, उसने मुझे बुरी तरह डांटना शुरू कर दिया. कहने लगी, तुम्हें उस एलबम में इतना छोटा पैंट पहनने की क्या ज़रूरत थी? तुम्हें देखकर मेरी बेटी ने साड़ी पहनना शुरू किया. अब तुम आधा-आधा पैंट पहनोगी तो वो भी ऐसा ही करेगी. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं इसे कॉम्प्लिमेंट समझूं या क्रिटिसिज़्म, इस बात से ख़ुश होऊं कि लोग मेरा स्टाइल फॉलो कर रहे हैं या इस बात से दुखी होऊं कि लोग मुझे इसी गेटअप में देखना पसंद करते हैं. कई बार लोगों को समझाना मुश्किल हो जाता है कि हम एक पर्टिक्युलर क़िरदार को जी रहे होते हैं, असल में हम ऐसे नहीं हैं. यह भी पढ़ें: शादीशुदा ज़िंदगी में दो बार फेल होने के बाद श्वेता तिवारी को तीसरी बार हुआ है प्यार, क्या आप जानते हैं श्वेता तिवारी की ज़िंदगी का ये राज़ (Shweta Tiwari Is In Love For The Third Time After Failing Twice In Married Life) आप किस तरह के आउटफिट पहनना पसंद करती हैं? मुझे साड़ी और सलवार-कमीज़ पहनना पसंद है, इन्हें पहनकर मुझे ये नहीं सोचना पड़ता कि मैंं कैसी लग रही हूं, क्योंकि मुझे पता होता है कि इनमें मैं अच्छी लगती हूं. हां, रेग्युलर वेयर में मैं जीन्स-टीशर्ट पहनना पसंद करती हूं, क्योंकि इन्हें मेंटेनेंस की ज़रूरत नहीं होती. आपके बाल बहुत ख़ूबसूरत हैं. इनकी देखभाल कैसे करती हैं आप? अपने बालों की देखभाल के लिए मैं नानी-दादी के ज़माने का फ़ॉर्मूला इस्तेमाल करती हूं. मैं अपने बालों में ख़ूब तेल लगाती हूं, वो भी बाल धोने के एक-दो घंटे पहले नहीं, बल्कि एक रात पहले. मेरे ख़्याल से बालों के लिए तेल से अच्छी खुराक और कोई हो ही नहीं सकती. इससे बाल नहीं झड़ते, डैंड्रफ़ नहीं होता, बाल सॉफ़्ट और हेल्दी बने रहते हैं. बालों की बात तो हो गई, अब हमें अपनी ख़ूबसूरती का राज़ भी बता दीजिए. शूटिंग पर मेकअप के अलावा मैं अपनी त्वचा के लिए अलग से कुछ नहीं करती. हां, मैंने सुना है कि पानी त्वचा को यंग और हेल्दी बनाए रखता है, इससे त्वचा रूखी नहीं होती, जिससे झुर्रियां नहीं पड़तीं इसलिए मैं ख़ूब पानी पीती हूं. आपको किस तरह का खाना पसंद है? मुझे सिंपल खाना पसंद है. दाल-चावल मेरा फेवरिट है. मैं बहुत अच्छी दाल बना भी लेती हूं. कोई ऐसा झूठ जिसे आपने अब तक छुपाकर रखा है? मां को पता चलेगा कि मैंने नॉनवेज खाना शुरू कर दिया है तो मुझे मार डालेंगी. मैं चिकन बहुत अच्छा बना लेती हूं. मेरी बेटी को मेरे हाथों से बना ऑमलेट, भुर्जी, एग पकौड़ा, एग करी आदि बहुत पसंद है. क्या शॉपिंग की दीवानी हैं आप? मैं जब अपसेट होती हूं तो शॉपिंग करती हूं. हालांकि शॉपिंग मेरा एडिक्शन नहीं है, लेकिन जब भी अपसेट होती हूं तो शॉपिंग करने निकल जाती हूं. इससे मुझे बहुत ख़ुशी मिलती है. क्या किसी चीज़ की लत है आपको? हां, सुबह की चाय मेरा एडिक्शन है. सुबह की चाय न मिले तो मेरा पूरा दिन ख़राब जाता है. यह भी पढ़ें: श्वेता तिवारी और अभिनव कोहली के बीच फिर छिड़ी बहस, सोशल मीडिया पर बेटी पलक को बनाया निशाना (Shweta Tiwari And Abhinav Kohli Accuse Each Other On Social Media) ऐसी कौन-सी चीज़ है जिसे पाकर आपको बहुत ख़ुशी हुई? जब मैं छोटी थी तो किसी ज्योतिषी ने कहा था कि इसे थ्री कैरेट डायमंड पहनना चाहिए. तब मेरे लिए उसे ख़रीदना आसान नहीं था, लेकिन पांच-छह साल पहले जब मैंने यह ख़रीदा, तो मुझे एक तरह से जीत का एहसास हो रहा था कि आख़िरकार मैंने थ्री कैरेट डायमंड पा ही लिया. मैंने कभी सोचा नहीं था कि ज़िंदगी मुझे इतना आगे ले जाएगी, लेकिन मुझे सब कुछ आसानी से नहीं मिला है इसलिए मैं चीज़ों की क़द्र करना जानती हूं. मैं ये मानती हूं कि अगर हम बहुत मेहनत करें, तो अपनी क़िस्मत बदल सकते हैं. मैं भाग्य को मानती हूं, लेकिन क़िस्मत के भरोसे भी नहीं बैठी रहती. - कमला बडोनी

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