
रेटिंग: ***
अनुराग बसु रिश्ते के ताने-बाने की गहराई को बख़ूबी समझते हैं और अपने जादुई निर्देशन के ज़रिए उसे एक अलग मुक़ाम भी देते हैं. उनके निर्देशन में बनी ‘मेट्रो... इन दिनों’ भी इसकी एक ख़ूबसूरत बानगी प्रस्तुत करती है. संगीतमय फिल्म जहां प्यार, इज़हार, परिचय, संबंध, भावनाएं... हर अंदाज़ को संगीत-धुन का सहारा लेकर पेश किया गया है.

हम एक ऐसी म्यूज़िकल जर्नी पर निकल पड़ते हैं, जहां पर कहीं टीनएजर्स की उलझन से रू-ब-रू होते हैं, तो कहीं युवाओं के करियर, शादी और बच्चे को लेकर मकड़जाल दिलो-दिमाग़ को मथती रहती है.

हां, पति-पत्नी के नीरस जीवन में रोमांस को पाने का एक्साइटमेंट वाला नज़रिया भी मनोरंजन के साथ सवालों के घेरे में भी ला देता है.

अब तीसरा पड़ाव भी क्यों अछूता रहे, वहां भी नारी का त्याग, बेचैनी और उपेक्षा है, तो पुरुष के भी अपनों के लिए महान बनने और अकेलेपन से जूझने के साथ समर्पण भी है.

फिल्म में मुख्य रूप से चार जोड़ियों की अलग-अलग कहानियां, उलझनें, छटपटाहट को दिखाया गया है. अनुपम खेर चाहते हैं कि उनकी विधवा बहू बेटे के दोस्त जो उसे चाहता है के साथ दूसरी शादी करके सैटल हो जाए. लेकिन बहू पति को दिए वादों के अनुसार ससुर की देखभाल करने उनके साथ ही रहना चाहती है.

नीना गुप्ता, दो बेटियां कोंकणा+सारा की मां, कभी अपने लिए जी ही नहीं पातीं. हमेशा पति, बच्चों व परिवार के लिए जीती रहीं.
काजोल, कोंकणा सेन पति मोंटी, पंकज त्रिपाठी के साथ लव मैरिज करके टीनएज बेटी के साथ हैप्पी मैरिड लाइफ गुज़ार रही है. परंतु कहानी ट्विस्ट तब आता है, जब पति एक्साइटमेंट के लिए डेटिंग ऐप में मस्ती लेने लगते हैं. इस रोमांच में कॉमेडी-ट्रेजडी दोनों ही है.

पार्थ, आदित्य रॉय कपूर मस्तमौला शख़्स है, जो ज़िंदगी का भरपूर लुत्फ़ उठा रहा है, वहीं चुमकी, सारा अली खान पढ़ाई, करियर, जॉब से लेकर रिश्ते-शादी तक को लेकर कंफ्यूज़ रहती है. उलझा हुआ क़िरदार. लेकिन चुमकी की ज़िंदगी में पार्थ का आना बहुत कुछ बदल कर रख देता है.

फातिमा सना शेख और अली फज़ल प्यार-शादी-पैरेंट्स बनने की ललक के साथ दोनों अपने करियर को लेकर ज़द्दोज़ेहद कर रहे हैं.

शुरू से अंत तक गीत-संगीत और सभी कलाकारों के ज़बर्दस्त अभिनय बेहतरीन समां बांधे रखता है. अभिनय ऐसी की हर क़िरदार के साथ-साथ हम भी इमोशनल हो जाते हैं. अनुपम खेर, नीना गुप्ता, कोंकणा सेन, पंकज त्रिपाठी, आदित्य रॉय कपूर, सारा अली, अली फज़ल, फातिमा सना शेख, सास्वता चटर्जी... हर किसी ने अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय किया है. सभी कलाकार बधाई के पात्र हैं.

अनुराग बसु ने प्यार, संगीत, मनोरंजन के साथ कई गंभीर संदेश भी दिए हैं, जिसे समझना होगा और ख़ुद को भी टटोलना होगा. प्रीतम का संगीत धुन की लाजवाब दुनिया में ले जाता है. संदीप श्रीवास्तव और सम्राट चक्रवर्ती के संवाद दिल को छूते हैं. बसु बंधुओं यानी अनुराग व अभिषेक बसु के छायांकन बेमिसाल हैं. टी-सीरीज़ फिल्म्स और अनुराग बसु प्रोडक्शंस की 'मेट्रो... इन दिनों' कह सकते हैं लंबे समय के बाद एक बढ़िया संगीतमय सिनेमा देखने को मिला.
क़रीब पौने तीन घंटे की यह फिल्म इस कदर मोहित किए रहती है कि हर लम्हा आपको गुनगुनाने और खो जाने का जी चाहने लगता है. लेकिन सतीश गौड़ा व बोधादित्य बनर्जी को इसे थोड़ा संपादित ज़रूर करना चाहिए था, क्योंकि हर कोई संगीत प्रेमी नहीं होता. फिल्म की कथा-पटकथा-निर्देशन सब कुछ अनुराग बसु का है, जो उम्दा है. भूषण कुमार, कृष्ण कुमार, तानी बसु और अनुराग बसु निर्मित 'मेट्रो... इन दिनों' भरपूर इंटरटेमेंट करने के साथ-साथ यह मैसेज भी देती है कि प्यार और रिश्तों के बगैर ज़िंदगी कुछ भी नहीं...
- ऊषा गुप्ता

Photo Courtesy: Social Media
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