रिश्ता चाहे जो भी, लेकिन हर रिश्ते की एक मर्यादा होती है और जब ये मर्यादा टूटती है, तो परिवार भी बिखरता है और समाज भी. लेकिन आज की हक़ीक़त यही है कि अधिकांश रिश्तों की मर्यादाएं टूट रही हैं और अमर्यादित होते ये रिश्ते सोचने पर मजबूर कर देते हैं कि आख़िर समाज को हो क्या गया है?

हाल ही में एक ख़बर ने बहुत तूल पकड़ा कि एक बुआ ने अपने ही भतीजे से शादी की और प्यार की बात कही. इतना ही नहीं उन दोनों की 8 साल की एक बेटी भी है. वो महिला ख़ुद कह रही है कि प्यार हो गया, तो इसमें क्या ग़लत है. हम साथ रह रहे हैं और हमारी बेटी भी है.
इसी तरह हिमाचल प्रदेश से एक प्रेमी जोड़ा गायब था, पुलिस के ढूंढ़ने पर ये जोड़ा बिहार के जहानाबाद में मिला. दरअसल ये दोनों चचेरे भाई-बहन हैं. लड़का बेंगलुरु में जॉब करता है और लड़की हिमाचल के बद्दी इलाके से है. लड़का जब गांव गया तो दोनों की मुलाक़ात हुई. फिर बातें होने लगीं, जो प्यार में बदल गई. परिवार के विरोध के चलते दोनों ने भागकर मंदिर में शादी कर ली.
उत्तर प्रदेश के आंबेडकर नगर इलाके से भी एक ऐसे ही अमर्यादित रिश्ते की खबर आई, जिसने सबको चौंका दिया. खबर ये थी कि 52 साल की इंद्रावती ने अपने ही पोते से शादी रचा ली. हालांकि पूरी जांच-पड़ताल के बाद ये बात सामने आई कि 25 साल का लड़का आज़ाद महिला का सगा पोता नहीं है, बल्कि गांव के रिश्ते में वो उसका पोता लगता है. दोनों एक ही जाति के हैं, इसलिए गांव वालों का कहना है कि दोनों में दादी-पोते का रिश्ता हुआ. खैर, इन दोनों का समाज और परिवार ने बहिष्कार कर दिया है. महिला के चार बच्चे हैं और यह उसकी तीसरी शादी है.
इन दिनों इसी तरह के रिश्तों की ख़बरें आम हो चुकी है और हम हर बार यही सोचते हैं कि समाज आख़िर किस दिशा की ओर बढ़ रहा है. इतना ही नहीं, इस विषय का एक और पहलू भी है और वो यह कि कई बार ये मर्यादा एक तरफ़ से भी तोड़ी जाती है. हम आजकल अक्सर ऐसी घटनाओं के बारे में सुनते हैं कि कहीं पिता ने बेटी का बलात्कार कर दिया, तो कहीं बेटे ने ही मां की आबरू लूट ली.
क्यों बढ़ रही हैं ऐसी घटनाएं?
- बढ़ते एक्सपोज़र के चलते आजकल कम उम्र में ही बच्चों को बहुत कुछ आसानी से देखने को मिल जाता है. एक्सपेरिमेंट करने के लिए वो ग़लत जगह से ग़लत जानकारी हासिल करने लगते हैं और सही-ग़लत का फ़र्क़ नहीं समझते.
- ग़लत लाइफस्टाइल, नशे की लत और सेल्फ कंट्रोल की कमी सभी में बढ़ती जा रही है.
- लोगों में अग्रेशन बढ़ता जा रहा है और सहनशक्ति कम हो रही है, जिससे आपराधिक प्रवृति बढ़ रही है.
- स्वार्थ की भावना भी एक बड़ी वजह है, क्योंकि आजकल चाहे महिलाएं हों या पुरुष, सबकी सोच यही बनती जा रही है कि ये हमारी ज़िंदगी है, हम जो चाहे करें, किसी की क्यों सुनें, कोई रोक-टोक बर्दाश्त नहीं करते आजकल लोग. न समाज की परवाह है, न परिवार और बड़ों का डर.

- आजकल सोशल मीडिया पर चैटिंग में ही लोग बिज़ी रहते हैं या फिर रील्स बनाने में व्यस्त रहते हैं, शो ऑफ करने का कोई मौक़ा छोड़ना नहीं चाहते. बच्चों से लेकर पैरेंट्स तक इसी में लगे रहते हैं, जिससे रियल लाइफ में कोई क्या कर रहा है, इसकी किसी को न तो जानकारी होती है और न ही जानने की कोई कोशिश करता है. किसी को किसी की परवाह नहीं. बेटी अपने कज़िन से ही चैट में लगी है, इसी बातचीत में दोनों को प्यार हो जाता है, वहीं बेटा नशे की लत का शिकार हो रहा है, मां अपने होनेवाले दामाद पर ही लट्टू हो जाती है और पिता की नियत और नज़र बहू-बेटियों पर बिगड़ जाती है.
- ग़लत पैरेंटिंग से बच्चों को संस्कार, अनुशासन और मान-मर्यादा का महत्व नहीं समझ आ रहा और उनको अगर कोई कुछ समझाने की कोशिश भी करता है, तो उन्हें ये रोक-टोक या उनकी पर्सनल स्पेस, निजी ज़िंदगी में हस्तक्षेप लगने लगता है.
- लोगों को आजकल मान-मर्यादा ओल्ड फैशन या दकियानूसी सोच लगती है. मॉडर्न कल्चर के चक्कर में उन्हें लगता है कि हम जो सोचते या करते हैं, वो ही सही है. एक ही तो ज़िंदगी है, खुलकर और अपनी मर्ज़ी से जियो.
- ऐसा नहीं है कि सभी ऐसे हो गए हैं, लेकिन इस तरह की सोच दिन ब दिन बढ़ती जा रही है, जो ख़तरनाक है.
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ब्लड रिलेशन में रिश्ते बनाने के नुक़सान
- सबसे पहले तो यही नुक़सान है कि परिवार, भरोसा और मर्यादा टूटती हैं, लेकिन इसके मेडिकल एंगल से भी कई नुक़सान है.
- रिसर्च और अध्ययनों से यह साबित हो चुका है कि ऐसे रिश्तों से अगर संतान पैदा होती है, तो उनमें जेनेटिक डिसऑर्डर का ख़तरा बहुत बढ़ जाता है.
- ऐसे रिश्तों में जींस सेम होने के कारण कई तरह की समस्याएं होती हैं. कंसीव करने में समस्या हो सकती है और अगर प्रेग्नेंसी हो भी गई तो गर्भावस्था के दौरान कई परेशानियां, जटिलताएं और गर्भपात की आशंका बढ़ जाती है.
- ऐसे रिश्तों में हार्ट डिज़ीज़, डायबिटीज़, कैंसर, थेलीसीमिया जैसी अनुवांशिक बीमारियां होने का ख़तरा बढ़ जाता है.
- हालांकि कुछ धर्मों में ब्लड रिलेशन में शादी करने का चलन भी है, लेकिन उनको लेकर वैज्ञानिक अध्ययनों से साबित हुआ है कि अगर कोई अपने कज़िन या किसी अन्य ब्लड रिलेशन में शादी करता है, तो होनेवाले बच्चों में जन्मजात विकलांगता की संभावना दुगुनी हो जाती है.
- ऐसे रिश्तों से होनेवाले बच्चों की लाइफ स्पान भी कम होती है. इन्हीं सब बातों के चलते हिंदू धर्म में एक ही गोत्र में विवाह नहीं किया जाता. लेकिन आजकल लोग धर्म, गोत्र और जाति के परे अपने दिल की सुनते हैं, मनमानी करते है. तो ऐसे में शादी से पहले एक्सपर्ट की राय और परिवार व समाज के बारे में भी सोच लेना चाहिए. क्योंकि ऐसे अमर्यादित रिश्तों को बहिष्कार का सामना तो करना ही पड़ता है, साथ ही उनके परिवारों पर भी हमेशा के लिए कलंक लग जाता है.
- गीता शर्मा
