पहली नज़र का प्यार बहुत कम लोगों की किस्मत में होता है. पहली ही नज़र में जिसे चाहो वो आपका हमसफ़र बन जाए, उससे ज़्यादा नसीबवाला भला कहां मिलेगा? स्वरूप संपत और परेश रावल यही वो ख़ुशनसीब जोड़ा है, जिन्होंने ज़िंदगी से जो चाहा उन्हें वो सब मिला. पहली नज़र का प्यार आज हमसफ़र बनकर ज़िंदगी की धूप-छांव में पिछले 34 सालों से उनका साथ निभा रहा है और रंगमंच की यह जोड़ी असल ज़िंदगी में भी उतनी ही कामयाब है, जितनी रुपहले परदे पर. आज स्वरूप संपत के जन्मदिन पर आइए जानें कहां और कैसे मिले ये लव बर्ड्स और कैसी रही इनकी प्रेम कहानी?
दो कामयाब हस्तियां
'ये जो है ज़िंदगी' में रेनू वर्मा का किरदार निभानेवाली स्वरूप संपत और बॉलीवुड के मशहूर कलाकार परेश रावल की लव स्टोरी हर युवा जोड़े के लिए एक प्रेरणा है. जहां एक ओर मिस इंडिया रह चुकी स्वरूप संपत बॉलीवुड एक्ट्रेस, टीवी एक्ट्रेस और एक बेहतरीन थियेटर पर्सनालिटी हैं. फ़िल्म नाखुदा से बॉलीवुड में डेब्यू करनेवाली स्वरूप संपत ने सवाल, लोरी, हिम्मतवाला जैसी कई फ़िल्में कीं. उन्होंने कई मराठी और गुजराती प्ले में एक्टिंग और और डायरेक्शन दोनों किया है. हाल ही में वो करीना कपूर की फ़िल्म की एंड का और फिर उरी द सर्जिकल स्ट्राइक में नज़र आई थीं. वहीं दूसरी ओर परेश रावल ने शुरुआती दौर में निगेटिव किरदार निभाने के बाद, जो कॉमेडी की बरसात शुरू की तो अंदाज़ अपना अपना का तेजा हो या हेरा फेरी के बाबू भइया की ज़बर्दस्त कॉमेडी के बाद हंगामा, गोलमाल और मालामाल वीकली जैसी फिल्मों में दर्शकों को हंसा हंसाकर लोट पोट कर दिया. परेश रावल ने अभिनय के साथ ही 2014 से लेकर 2019 तक राजनीतिक पारी भी खेली, वो गुजरात से बीजेपी के लोकसभा सांसद चुने गए थे. साल 2014 में ही उन्हें अभिनय के क्षेत्र में योगदान के लिए भारत सरकार की तरफ़ से पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया.
जब परेश को हुआ पहली नज़र का प्यार
ये उन दिनों की बात है, जब परेश रावल और स्वरूप संपत कॉलेज में पढ़ा करते थे. कॉलेज के मस्तीभरे दिनों में से ही एक ख़ुशगवार दिन था, जब परेश रावल ने गुलाबी साड़ी पहने एक बेहद ख़ूबसूरत लड़की को कॉलेज में ब्रोशर बांटते हुए देखा. गुलाबी साड़ी में उस लड़की की गुलाबी रंगत ने परेश रावल को ऐसा दीवाना बनाया कि वो पहली ही नज़र में उसे अपना दिल दे बैठे. उसी समय उन्होंने अपने दोस्त को कहा कि मैं इसी लड़की से शादी करूंगा. यह लड़की कोई और नहीं स्वरूप संपत ही थीं. शादी के बाद दिए एक इंटरव्यू में स्वरूप संपत ने बताया था कि उस दिन जब परेश रावल ने पहली बार मुझे देखा और अपने दोस्त से ऐसा कहा, तो मैंने उनकी बात सुनकर भी अनसुनी की. वो ब्रोशर लेने के बहाने काउंटर पर आए और फिर थोड़ी देर में चले गए. लेकिन सबसे मजेदार बात यह रही कि करीब सालभर तक इन्होंने मुझसे दोस्ती करने की कोई कोशिश भी नहीं की.
जब दिल दे बैठीं स्वरूप
भले ही ब्रोशर काउंटर पर स्वरूप संपत ने परेश रावल को कुछ ख़ास तवज्जो नहीं दी, पर जब उन्होंने परेश को स्टेज पर ऐक्टिंग करते हुए देखा, तो अपनी नज़रें उन पर से हटा नहीं पायीं. एक इंटर कॉलेज ड्रामा कॉम्प्टीशन के दौरान जब उन्होंने परेश रावल को स्टेज पर अभिनय करते देखा, तो देखती ही रह गयीं. उनकी बेहतरीन अदाकारी ने स्वरूप का मन मोह लिया था. बकौल स्वरूप संपत सिर्फ़ मैं ही नहीं हॉल में बैठे लगभग सभी लोगों का यही हाल था. ड्रामा थोड़ा हिंसक था, लेकिन परेश की अदाकारी ने सबको मंत्रमुग्ध कर दिया था. उस समय जब ड्रामा ख़त्म हुआ तो पूरे हॉल में सन्नाटा था. स्वरूप बैकस्टेज जाने से ख़ुद को रोक नहीं पायीं. परेश रावल को उन्होंने बेहतरीन अभिनय के लिए बधाई दी और उसके बाद इस कपल को किसी बहाने की ज़रूरत नहीं पड़ी.
मिस इंडिया का ताज
कॉलेज के साथ-साथ थियेटर भी चल रहा था, उसी दौरान स्वरूप संपत के पिता ने उन्हें मिस इंडिया ब्यूटी कॉन्टेस्ट में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया, पर स्वरूप का इस कोई इरादा नहीं था. उन्होंने यह बात अपने भाई और परेश रावल को बताई और दोनों ने ही उनकी बात का समर्थन किया और ब्यूटी पेजेंट में हिस्सा लेने की सलाह दी. परेश रावल के सपोर्ट से उन्होंने कॉन्टेस्ट में हिस्सा लिया और नसीब देखिए, प्रतियोगिता जीतकर उन्होंने 1979 में मिस इंडिया का ताज अपने सर पर सजाया.
कहानी में आया एक अजीब मोड़
लेकिन कॉन्टेस्ट जीतने के ज़िंदगी ने अजीब मोड़ लिया. हमेशा से ही साथ खड़े रहनेवाले परेश रावल के मन में कहीं कुछ खटकने लगा. स्वरूप संपत ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनके मन में न जाने कहां से यह बात आ गई कि अब पहले जैसा कुछ नहीं रहेगा, सब बदल जायेगा. उनके मन में यह डर समा गया था कि मैं बदल जाऊंगी. पर ऐसा कुछ नहीं हुआ. मैंने उनका डर दूर किया और उन्हें पापा से अपना हाथ मांगने के लिए कहा. ज़िंदगी में किसी और चीज़ की बजाय यह मेरे लिए यह सबसे ज़्यादा मयबे रखता था, इसलिए जैसा मैंने चाहा था, वैसा ही हुआ. परेश ने पापा से शादी की बात की और हमारी शादी पक्की हो गयी.
पेड़ के नीचे लिए सात फेरे
दोनों ही बेहद शानदार शादी चाहते थे, पर सिर्फ़ घरवालों और करीबी दोस्तों की मौजूदगी में. वो सबको अपनी शादी के बारे में नहीं बताना चाहते थे. मुंबई के लक्ष्मी नारायण मंदिर में शादी का कार्यक्रम रखा गया. स्वरूप संपत ने बताया कि हमारे परिवार वाले 129 साल बाद बेटी की शादी देख रहे थे, इसलिए मैंने सबसे पहले ही कह दिया था कि कोई बहुत ज़्यादा इमोशनल मत होना. मैंने अपनी शादी ख़ूब एंजॉय की. हमने शादी की विधि के लिए 9 पंडित बुलाए थे, जो मंत्र जाप कर रहे थे. बाकी दुल्हनों की तरह बिना शरमाये मैंने अपनी शादी का खाना ख़ूब एंजॉय किया. शादी में बहुत ज़्यादा तामझाम नहीं था, बल्कि एक बहुत बड़ा पेड़ था, जिसके नीचे हमने सात फेरे लिए थे.
गृहस्थ जीवन
परेश रावल और स्वरूप संपत ने 1987 में शादी के बाद अपनी गृहस्थी को आगे बढ़ाया. उनके दो बेटे हैं, अनिरुद्ध और आदित्य रावल. अनिरुद्ध ने फ़िल्म सुल्तान में बतौर असिस्टेंट डायरेक्ट काम किया था, साथ ही वो अभिनेता नसरुद्दीन के साथ प्ले में मदद करते हैं. वहीं आदित्य न्यूयॉर्क में स्क्रीनप्ले की पढ़ाई कर रहा है.
कॉलेज के ज़माने से देखें तो परेश रावल और स्वरूप संपत पिछले 40 से भी ज़्यादा सालों से एक साथ हैं. जीवन के हर मोड़ पर साथ निभानेवाले और हर सुख-दुख में सबकुछ साथ झेलनेवाले इन लव बर्ड्स का प्यार यूं ही बना रहे. आपको इनकी प्यारी सी लव स्टोरी कैसी लगी, हमें ज़रूर बताएं.
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