तुम्हें और क्या दूं मैं दिल के सिवा...1964 में रिलीज हुई फिल्म ‘आई मिलन की बेला’ का बेहद मशहूर गाना, जिसे पिक्चराइज किया गया था खूबसूरत अभिनेत्री सायरा बानो और हैंडसम हंक राजेंद्र कुमार पर. और बस ये जोड़ी सबकी आंखों में रच बस गई थी. खुद सायरा और राजेंद्र कुमार भी एक दूसरे की आंखों में बस गए थे. कहा जाता है कि इसी फिल्म से शुरू हुई थी सायरा बानो और राजेंद्र कुमार की लव स्टोरी. इसके बाद इस जोड़ी की 1968 में आई फिल्म ‘झुक गया आसमान’ भी बड़ी हिट साबित हुई. इस फिल्म का भी एक गाना ‘कौन है जो सपनों में आया’ काफी हिट हुआ और इस गाने के सुपरहिट होने के बाद लोग यह समझने लगे कि राजेंद्र कुमार के सपने में कोई और नहीं बल्कि सायरा बानो ही शामिल हो गई हैं. लेकिन अभी लोगों के इस सपने का टूटना बाकी था, क्योंकि इस लव स्टोरी में कोई तीसरा आनेवाला था.
और तीन बच्चों के फादर से दिल लगा बैठीं सायरा
जिस तरह आज बॉलीवुड में खान हीरोज़ का दौर है, उसी तरह उस ज़माने में कुमार हीरोज़ की तिकड़ी फ़िल्म हिट होने के गारन्टी हुआ करती थी. ये तिकड़ी थी- दिलीप कुमार, मनोज कुमार और राजेंद्र कुमार की तिकड़ी. इसमें से राजेंद्र कुमार की हर फिल्म सिल्वर जुबली मनाती थी, इसीलिए उनका नाम ही जुबली कुमार पड़ गया.
खैर राजेन्द्र उस समय शादीशुदा थे और तीन बच्चों के पिता भी, लेकिन ये जानते हुए भी कि राजेंद्र शादीशुदा हैं और उनके बच्चे भी हैं, सायरा खुद को उनसे प्यार करने से न रोक सकीं. वो हर हाल में उनके साथ रहने को तैयार थीं. कहा जाता है कि राजेंद्र भी उनकी खातिर अपनी पत्नी और बच्चों को छोड़ने को तैयार थे. वह शादी के लिए सायरा को प्रपोज करने ही वाले थे, लेकिन ऐसा हो न सका...
सायरा की मां इस रिश्ते से टेंशन में थीं
नसीम बानो इन सब अफवाहों से बहुत टेंशन में आ गई. उन्हें यह रिश्ता रास नहीं आ रहा था. वजह थी राजेंद्र कुमार का शादीशुदा होना और दूसरे धर्म से ताल्लुक रखना. दोनों को अलग करने के लिए नसीम ने एड़ी चोटी का बल लगा दिया और अपनी बेटी को इस रिश्ते से बाहर निकालने की कोशिश करनी शुरू कर दी. अपने मंसूबे को अंजाम तक पहुंचाने के लिए नसीम बानो ने दिलीप कुमार का सहारा लिया. सायरा बचपन से ही दिलीप साहब की दीवानी थीं, ये बात नसीम बानो अच्छी तरह जानती थीं और इसी बात का फायदा उन्होंने उठाया.
दिलीप कुमार पर फिदा थीं सायरा बानो
सायरा बानो ने बचपन में दिलीप कुमार की सुपरहिट फिल्म मुगले आजम देखी थी. इस फिल्म को देखने के बाद से ही सायरा मन ही मन उन्हें चाहने लगी थीं.
यह किस्सा 1960 का है, जब दिलीप कुमार और मधुबाला की फिल्म मुगल-ए-आजम रिलीज हुई थी. लंदन में पढ़ी – लिखी 16 साल की सायरा बानो ने जब इस फिल्म का प्रीमियर देखा तो बस दिन रात दिलीप कुमार के ही सपने देखने लगीं. कहा जाता है कि प्रीमियर के वक्त सायरा बानो दिलीप कुमार से मिलने का ख्वाब भी संजोए बैठी थीं लेकिन दिलीप कुमार प्रीमियर में पहुंचे ही नहीं और सायरा का दिल टूट गया. उस वक्त मधुबाला के साथ दिलीप कुमार के रोमांस के चर्चे भी दूर-दूर तक थे, इसलिए सायरा ने सोचा दिलीप साहब बस उनके सपनों के राजकुमार बन कर रह जाएंगे. इस बीच सायरा ने खुद बॉलीवुड में एंट्री ले ली और राजेंद्र कुमार से दिल लगा बैठीं.
दिलीप कुमार ने सायरा को कैसे किया राजेंद्र कुमार से अलग
सायरा को राजेंद्र कुमार से अलग करने के लिए नसीम बानो दिलीप कुमार से मिलीं और उनसे कहा कि वो सायरा से राजेंद्र कुमार और उनके रिश्ते के बारे में बातचीत करें और उन्हें समझाएं.
23 अगस्त 1966 को सायरा ने अपनी बर्थडे पार्टी में लगभग पूरे बॉलीवुड को इनवाइट किया. दिलीप कुमार इस पार्टी में नहीं पहुंचे. जबकि राजेंद्र कुमार इस पार्टी में अपनी पत्नी के साथ पहुंचे. नसीम बानो खुद दिलीप कुमार के पास गईं और उन्हें पार्टी में आने के लिए कहा. नसीम बानो को दिलीप साहब न नहीं कह सके और पार्टी में पहुंचे.
सायरा को देखते ही दिल दे बैठे दिलीप कुमार
पार्टी में दिलीप साहब पहुंचे और जैसे ही उन्होंने सायरा को देखा, पहली ही नज़र में उन्हें अपना दिल दे बैठे. हालांकि, वो इससे पहले कई बार सायरा से मिले थे, लेकिन उनके मुताबिक उस दिन सायरा का अंदाज कुछ अलग ही था. वो खुद को उनके प्यार में गिरफ्तार होने से न रोक पाए. इस बात का जिक्र दिलीप साहब ने अपनी बायोग्राफी 'दिलीप कुमार: द सब्सटेंस एंड द शैडो' में भी किया है. वैसे भी दिलीप कुमार का मधुबाला से उन दिनों ताजा-ताजा ब्रेकअप हुआ था और उन्हें किसी के सहारे की ज़रूरत थी, जो नसीम ने सायरा बानो के रूप में उनके सामने पेश किया.
उन्होंने सायरा को राजेंद्र कुमार से दूरी बनाने के लिए कहा. सायरा ने इसके लिए एक शर्त रखी. वो शर्त ये थी कि इसके लिए दिलीप साहब को उनसे शादी करनी होगी. दिलीप साहब भी यही चाहते थे. दिलीप साहब के हां कहते ही सायरा के सिर से राजेंद्र कुमार का नशा काफुर होते देर न लगी. दिलीप और सायरा की स्टोरी, जब राजेंद्र को पता चली, तो उन्होंने भी सायरा से ब्रेकअप कर लिया. इसी के साथ ही सायरा और राजेंद्र कुमार का ये किस्सा भी यहीं पर हमेशा-हमेशा के लिए इतिहास के पन्नों में दफन हो गया.
आखिरकार 4 नवंबर 1966 को सायरा ने अपने से उम्र में 22 साल बड़े दिलीप कुमार से शादी कर ली. उस वक्त दिलीप कुमार की उम्र 44 साल और सायरा बानो सिर्फ 22 साल की थीं.
हर रोज नजर उतारती हैं सायरा
सायरा बानो आज भी दिलीप साहब से उतना ही प्यार करती हैं जितना वह 22 साल की उम्र में करती थीं. दिलीप साहब पिछले कई सालों से बीमार हैं और बेड पर ही हैं, लेकिन सायरा आज भी खुद उनका पूरा ख्याल रखती हैं. उनकी पूरी केयर करती नजर आती हैं. दिलीप साहब को किसी नजर ना लगे, इसलिए वो हर रोज उनकी नजर उतारती हैं. इतना ही नहीं दिलीप साहब को लोगों की दुआएं मिलें, इसलिए वो उनकी नज़र उतारकर गरीबों को अनाज और कपड़े देती रहती हैं.