मैं आज भी
वही तो कह रहा हूं
जो सालों से कह रहा था
तुम भी तो सुन रहे हो
सालों से मुझे
मैं कह कहां रहा हूं
और तुम सुन कहां रहे हो
तुम सुन लेते तो
मेरा कहना रुक जाता
और मैं वह कह पाता
जो कहना चाहता था
तो तुम समझ लेते और
तुम्हारा सुनना रुक जाता
मुझे हमेशा लगता है
समझना तुम्हें है
और तुम मौन रह कर मुझे बताते हो
सुनना मुझे है
तुम्हारे मौन की भाषा
मैं समझ पाता तो
कुछ हो जाता
क्योंकि मेरे कहने भर से कुछ होता तो
अब तक हो जाता
मुझे सुनना सीखना चाहिए
मौन की भाषा को
और अपनी बात कहने के लिए
शब्द नहीं
मौन का प्रयोग
करना चाहिए
हो सकता है
इस बहाने हम दोनों
एक-दूसरे की अनकही बात
सुन सकें…
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