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ग़ज़ल- मौन की भाषा… (Gazal- Moun...
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ग़ज़ल- मौन की भाषा… (Gazal- Moun Ki Bhasha…)

By Usha Gupta in Shayeri , Geet / Gazal , Short Stories
मैं आज भी
वही तो कह रहा हूं
जो सालों से कह रहा था
तुम भी तो सुन रहे हो
सालों से मुझे
मैं कह कहां रहा हूं
और तुम सुन कहां रहे हो
तुम सुन लेते तो
मेरा कहना रुक जाता
और मैं वह कह पाता
जो कहना चाहता था
तो तुम समझ लेते और
तुम्हारा सुनना रुक जाता
मुझे हमेशा लगता है
समझना तुम्हें है
और तुम मौन रह कर मुझे बताते हो
सुनना मुझे है
तुम्हारे मौन की भाषा
मैं समझ पाता तो
कुछ हो जाता
क्योंकि मेरे कहने भर से कुछ होता तो
अब तक हो जाता
मुझे सुनना सीखना चाहिए
मौन की भाषा को
और अपनी बात कहने के लिए
शब्द नहीं
मौन का प्रयोग
करना चाहिए
हो सकता है
इस बहाने हम दोनों
एक-दूसरे की अनकही बात
सुन सकें…
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