तेरी आंखों से कब राहों का उजाला मांगा
अपनी आंखों में बस थोड़ी सी ज़िंदगी दे दे
सदियों से इस जहां में इश्क़ इक गुनाह ठहरा
ज़ुल्फ़ों की छांव में मुझे थोड़ी सी ज़िंदगी दे दे
खुदा ने तिल तेरे चेहरे को नज़र कर रखा है
अपने पहलू में मुझे थोड़ी सी ज़िंदगी दे दे
रस्मों-रिवाज दुनिया के पत्थरों के साये हैं
अपने ख़्वाबों तले मुझे थोड़ी सी ज़िंदगी दे दे
हर तरफ़ मौत के सायों के खौफ़ फैले हैं
दिल मे रख ले मुझे थोड़ी सी ज़िंदगी दे
पीरो दरगाह जा के एक दुआ मांगी है
अपनी तमन्ना में मुझे थोड़ी सी ज़िंदगी दे दे
ज़िंदगी बस ज़िंदगी है ज़िंदगी से क्या मांगूं
अपने साये में मुझे थोड़ी सी ज़िंदगी दे दे...
- शिखर प्रयाग
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