कॉलेजों में दाख़िला लेने के लिए हर साल की तरह इस बार भी विद्यार्थियों की जद्दोजेहद शुरू हो गई है. दाख़िला पाने की होड़ में उनका ध्यान इस ओर जाता ही नहीं कि जिस संस्थान/इंस्टिट्यूट में वे दाख़िला ले रहे हैं, कहीं वह फर्ज़ी तो नहीं है? एडमिशन के समय इस तरफ़ उनका ध्यान नहीं जाता है और जब उनका ध्यान जाता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है. हम यहां पर ऐसी ही महत्वपूर्ण बातें बता रहे हैं, जिन्हें जानकर आप फर्ज़ी संस्थानों की धोखाधड़ी से बच सकते हैं.
दाख़िला लेने से पहले बरतें ये सावधानियां
- आजकल बहुत से फर्ज़ी संस्थान विद्यार्थियों को लुभाने के लिए अख़बारों में आकर्षक विज्ञापन देते हैं. विद्यार्थियों की ज़िम्मेदारी बनती है कि किसी यूनिवर्सिटी/संस्थान की जांच-पड़ताल किए बिना विज्ञापनों को देखकर दाख़िला न लें.
- अन्य अख़बारों की तुलना में शैक्षिक व रोज़गार संंबंधी विज्ञापन रोज़गारवाले अख़बार में ज़्यादा छपते हैं. ये शैक्षिक व रोज़गार विज्ञापन भारत सरकार द्वारा प्रकाशित किए जाते हैं, इसलिए विद्यार्थी इन विज्ञापनों पर विश्वास कर सकते हैं.
- कुछ फर्ज़ी संस्थान इंजीनियरिंग जैसे प्रोफेशनल कोर्स को पत्राचार द्वारा करवाने का दावा करते हैं, साथ ही यह भी दावा करते हैं कि इन संस्थानों में दाख़िला लेने के लिए एंट्रेंस टेस्ट देने की ज़रूरत नहीं है, ऐसे संस्थानों के झांसे में न आएं.
- इसी तरह से फर्ज़ी प्राइवेट या विदेशी संस्थान भी डिग्री देने का दावा करें, तो इनके बहकावे में न आएं.
- दाख़िला लेने से पहले उस संस्थान के मौजूदा या पूर्व विद्यार्थियों से उसकी विश्वसनीयता के बारे में जानकारी हासिल कर लें.
- दाख़िले के समय अगर कोई संस्थान विद्यार्थी से नक़द फीस भरने के लिए कहे, तो सावधान हो जाएं. यह भी एक संकेत हो सकता है फर्ज़ी संस्थान के नाम पर पैसा ऐंठने का. इसलिए फीस हमेशा चेक, बैंक ड्राफ्ट या डिजिटल पेमेंट द्वारा करें.
- आजकल अनेक इंस्टिट्यूट अपनी वेबसाइट पर दाख़िले संबंधी भ्रमित करनेवाले विज्ञापन डालते हैं. वेबसाइट के इन भ्रामक विज्ञापनों में फंसने की बजाय उनके मैनेजमेंट से मिलकर अपनी जिज्ञासाओं को दूर करने की कोशिश करें.
- फर्ज़ी संस्थानों की झूठी शानो-शौक़त, जैसे- नई बिल्डिंग और चमचमाते हुए ऑफिस को देखकर प्रभावित न हों. अगर आपके मन में किसी तरह की जिज्ञासा या सवाल हो, तो बिना झिझक वहां के कर्मचारी से पूछें.
- दोस्तों की देखादेखी किसी कॉलेज या इंस्टिट्यूट में आंख बंद करके दाख़िला लेने की ग़लती न करें. जब तक संस्थान के बारे में पूरी जानकारी हासिल न कर लें, तब तक फीस जमा न करें.
- B. Pharm, M.Pharm आदि फार्मेसी कोर्सेस और उनसे संबंधित मान्यता प्राप्त संस्थानों की जानकारी उनकी वेबसाइट www.pci.nic.in से मिल जाएगी.
- ऑडियोलॉजी व स्पीच से जुड़े कोर्सेस के बारे में और मान्यता प्राप्त संस्थानों की जानकारी उनकी वेबसाइट www.rehabcouncil.nic.in पर मिल जाएगी.
- आर्किटेक्ट से जुड़े कोर्सेस के बारे में और मान्यता प्राप्त संस्थानों की जानकारी के लिए उनकी वेबसाइट www.coa.gov.in से संपर्क करे.
- B.Sc.(Agr.), B.Sc. (Biotechnology), BTech (Dairy Technology) जैसे एग्रीकल्चर साइंस से संबंधित विभिन्न विषयों में ग्रैजुएशन/पोस्ट ग्रैजुएशन स्तर के कोर्सेस के लिए मान्यता प्राप्त संस्थानों व सिलेबस के बारे में स्वीकृति देने का ज़िम्मा इंडियन काउंसिल फॉर एग्रीकल्चर रिसर्च का है. इनकी वेबसाइट www.icar.org.in पर जाकर सारी जानकारी हासिल कर सकते हैं
- टीचर्स एजुकेशन से संबंधित मान्यता प्राप्त कोर्स व कॉलेज की लिस्ट आपको नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन (NCTE) से मिल जाएगी. इसके लिए उनकी वेबसाइट www.ncte-india.org से चेक करें.
इंस्टिट्यूट की वेबसाइट से जानकारी प्राप्त करें
विद्यार्थियों की यही कोशिश होनी चाहिए कि किसी भी कोर्स में दाख़िला लेने के लिए हाल ही में खुले नए संस्थानों व इंस्टिट्यूट की बजाय पुराने संस्थानों व इंस्टिट्यूट का चुनाव करें. पुराने संस्थानों व इंस्टिट्यूट के बारे में सारी जानकारी व सूचनाएं उनकी वेबसाइट पर मिल जाएंगी. इसके अलावा अपने दोस्तों व रिश्तेदारों से भी आप संस्थान के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं. ध्यान रखें कि संस्थान जितना पुराना होगा, उसकी विश्वसनीयता उतनी अधिक होगी.
ज़रूरी है यूनिवर्सिटी से एफिलिएशन की जांच
कई बार डिस्टेंस एजुकेशन संबंधित कोर्स के लिए प्राइवेट इंस्टिट्यूट को विभिन्न यूनिवर्सिटीज़ से मंजूरी दी जाती है, जिसके अंतर्गत क्लासेस उक्त इंस्टीट्यूट द्वारा लगाई जाती है और एग्ज़ाम भी उसी इंस्टीट्यूट द्वारा कराए जाते हैं, जिससे एफिलिएशन ली गई होती है. ऐसे मामलों में यूनिवर्सिटी द्वारा जारी किए गए ऑर्डर या नोटिफिकेशन की कॉपी ज़रूर मांगें.
संस्थान की वैल्यू चेक करें
विद्यार्थी अगर इंस्टिट्यूट की सत्यता जांचना चाहते हैं, तो इसके लिए इंस्टिट्यूट के मैनेजमेंट से प्लेसमेंट कंपनियों और नौकरी करनेवाले उन युवाओं (जिन्होंने इस संस्थान से कोर्स किया है) के बारे में पूछें. अगर इंस्टिट्यूट कैंपस में नामी-गिरामी कंपनियां प्लेसमेंट के लिए आती हैं, तो इसका मतलब है कि इंस्टिट्यूट की वैल्यू है. अगर विद्यार्थियों को यह अंदेशा हो कि वह फर्ज़ी संस्थानों के जाल में फंस चुके हैं, तो परेशान होने की बजाय महत्वपूर्ण कदम उठाएं, जैसे-
- संस्थान में जाकर अन्य विद्यार्थियों के साथ मिलकर एडमिनिस्टेटर से बात करके फीस रिफंड करने को कहें.
- अगर वे लोग फीस वापस न करें, तो कंज्यूमर कोर्ट जाएं.
- बोगस संस्थानों में अपना समय और पैसा बर्बाद करने की बजाय पत्राचार, डिस्टेंस एजुकेशन के द्वारा अन्य कोर्स में दाख़िला लेकर अपना साल बर्बाद होने से बचाएं.
- फर्ज़ी संस्थानों के बारे में रेग्युलेटरी एंजेसी में भी शिक़ायत करें.
- पूनम नागेंद्र शर्मा
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