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कविता- ज़रूरी थी… (Kavita- Zaruri Thi…)

By Usha Gupta in Shayeri , Geet / Gazal , Short Stories
बाकी थी तमन्नाएं हसरत अधूरी थी
चाहतें तड़पती थीं और दुआ अधूरी थी
फिर तेरी आंख से जीने का उजाला मांगा
उम्र तो मिली थी मुझे रोशनी ज़रूरी थी
व़क्त तो कट जाता ज़ुल्फ़ों की छांव में
पर ज़िंदगी गुज़रने को धूप भी ज़रूरी थी
धूल तेरे पांव की चंदन सी महकी थी
ख़ुशबू बदन की तेरी सांस में ज़रूरी थी
ऩज़रें बदलती रहीं हालात देख कर
एक निगाह ऐसे में तेरी ज़रूरी थी…
मुरली मनोहर श्रीवास्तव
मेरी सहेली वेबसाइट पर मुरली मनोहर श्रीवास्तव की भेजी गई कविता को हमने अपने वेबसाइट में शामिल किया है. आप भी अपनी कविता, शायरी, गीत, ग़ज़ल, लेख, कहानियों को भेजकर अपनी लेखनी को नई पहचान दे सकते हैं…
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Summary
Article Name
कविता- ज़रूरी थी... (Kavita- Zaruri Thi…) | Best Hindi Kavitaye | Hindi Poem
Description
मेरी सहेली वेबसाइट पर मुरली मनोहर श्रीवास्तव की भेजी गई कविता को हमने अपने वेबसाइट में शामिल किया है. आप भी अपनी कविता, शायरी, गीत, ग़ज़ल, लेख, कहानियों को भेजकर अपनी लेखनी को नई पहचान दे सकते हैं…
Author
Meri Saheli Hindi Magazine