- Entertainment
- Shopping
- Quiz
- Relationship & Romance
- Sex Life
- Recipes
- Health & Fitness
- Horoscope
- Beauty
- Others
काव्य- बारिश और मन (Kavya- Baris...
Home » काव्य- बारिश और मन (Kavya- ...
काव्य- बारिश और मन (Kavya- Barish Aur Maan)

By Usha Gupta in Shayeri , Geet / Gazal , Short Stories
बारिश की बूंदों ने आज फिर दिल को गुदगुदाया है
रिमझिम फुहारों ने मौसम को आशिक़ाना बनाया है
ठंडी बयार कर रही आलिंगन मेरा
लगता है बिछड़ा मीत कोई मुझसे मिलने आया है
बारिश की बूंदों ने आज फिर दिल को गुदगुदाया है
ओढ़ इंद्रधनुषी चूनर आसमान ने किया श्रृंगार
मन मयूर भी नाच रहा जब बूंदों ने सुनाई मधुर झंकार
ऐसा लगा मानो कोई सोए अरमान जगाने आया है
बारिश की बूंदों ने आज फिर दिल को गुदगुदाया है
चंचल मन सी चंचल बूंदें हलचल सी पैदा करती है
गिली मिट्टी की सोंधी ख़ुशबू मन में मदहोशी सी भर देती है
ऐसा लगता है दिल के साजों को बूंदों ने मधुर संगीत से सजाया है
बारिश की बूंदों ने आज फिर दिल को गुदगुदाया है…
यह भी पढ़े: Shayeri