पहली बार हिंदी सिनेमा में इस तरह की दमदार एक्शन, रोमांच, रोगंटे खड़े कर देनेवाले स्टंट्स देखने मिले हैं 'क्रैक- जीतेगा तो जिएगा' में. विद्युत जामवाल और अर्जुन रामपाल के हैरतअंगेज कारनामे देख दांतों तले उंगलियां दबा लेंगे आप. गज़ब की केमिस्ट्री स्टंट्स के मामले में दिखी अर्जुन और विद्युत में. स्पोर्ट्स एक्शन को लेकर पहली बार इस तरह की हिंदी फिल्म बनी है.
ख़तरनाक स्टंट्स के क्रेज़ी, वीडियो गेम खेलनेवाले, टीनएजर्स, बच्चों और ख़ासकर एक्शन की दीवानों को यह फिल्म यक़ीनन बेहद पसंद आएगी.
निर्देशक आदित्य दत्त, जिन्होंने विद्युत जामवाल के साथ ही कमांडो 3 बनाई थी और आशिक बनाया आपने, टेबल नंबर 21 जैसी फिल्में भी बना चुके हैं, का निर्देशन ठीक-ठाक है, पर उनसे बढ़कर स्टंट कोरियोग्राफर रवि वर्मा का काम बेमिसाल है. उस पर सोने पर सुहागा रहा मार्क हैमिल्टन की सिनेमैटोग्राफी और एक्शन कोरियोग्राफर केरी ग्रेग के लाजवाब सीक्वंस. भारतीय सिनेमा में पहली बार स्काई डाइविंग, बाइक चेंज, टॉप ऑफ बिल्डिंग स्टंट्स की गज़ब की रोमांचित कर देनेवाले स्टंट्स हैं.
विद्युत जामवाल, सिद्धार्थ दीक्षित का सपना पोलैंड में हो रहे एक्सट्रीम स्पोर्ट्स इवेंट्स के कंप्टीशन में पार्ट लेना और जीतना रहा है, जिसे अर्जुन रामपाल मैदान के नाम से चलाते हैं. यही सपना उनके बड़े भाई निहाल ने भी देखा था. लेकिन इसी प्रतियोगिता के दौरान उनकी मौत हो जाती है. माता-पिता नहीं चाहते कि सिद्धार्थ भी अपने इसी जुनून में जान गंवा बैठे. परंतु खेल का यह जुनून सिद्धार्थ पर इस कदर हावी रहता है कि वह आख़िरकार इसे जीतने के लिए वहां पहुंचता है. यहां के गेम के रूल्स कुछ अलग है और वह देव, अर्जुन रामपाल के हिसाब से चलते हैं, जिसे जीतने के लिए जान की बाजी लगानी पड़ती है. इसी दरमियान सिद्धार्थ को पता चलता है कि उसके बड़े भाई की मौत खेल में एक्सीडेंट के रूप में नहीं, बल्कि साजिश के तहत हुई थी. अब भाई की मौत का बदला लेने का जुनून उस पर सवार हो जाता है.
सिद्धार्थ इस खेल के दरमियांन आलिया, नोरा फतेही, जो एक सोशल मीडिया इनफ्लुंसर है, से मुलाक़ात होती है. दोनों के बीच प्यार हो जाता है.
इसी बीच पैट्रिशिया, एमी जैक्सन, जो पुलिस अफसर बनी है, से भी आमना-सामना होता है. जेमी लीवर की कॉमेडी जबरन मुस्कुराने के लिए मजबूर करती है. विलेन के क़िरदार में अर्जुन रामपाल के अलावा बिजॉय आनंद भी प्रभावित करते हैं.
क्या सिद्धार्थ जीत पता है? भाई की मौत का बदला ले पता है?.. जानने के लिए फिल्म तो देखनी पड़ेगी.
विद्युत जामवाल फिल्म हीरो के साथ निर्माता की भूमिका भी निभा रहे हैं. उन्होंने अपने एक्शन हीरो फिल्म्स के तले अब्बास सैय्यद के साथ इस फिल्म को प्रोड्यूस किया है. आदित्य दत्त ने मोहिंदर प्रताप सिंह, रेहान खान व सरीम मोमिन के साथ मिलकर फिल्म की कहानी लिखी है.
फिल्म का बैकग्राउंड म्यूज़िक थ्रिल पैदा करने में कामयाब रहा है. इसके गीत-संगीत भी साथ निभाते हैं. ख़्याल रखना गाना ठीक-ठाक है. ढाई घंटे के इस एक्शन ड्रामा मूवी में स्टंट्स, रोमांस, एक्शन, इमोशन सब कुछ है. यूं तो फिल्म कई कमी और खामियां हैं, लेकिन इन सब के बावजूद एक अलग तबका जो गेमिंग में इंटरेस्ट रखता है और एडवेंचर्स की एक अलग दुनिया में जाना चाहता है, तो उनके लिए क्रैक है.
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