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फिल्म रिव्यूः छपाक (Movie Review Of Chhapaak)

फिल्मः छपाक कलाकारः दीपिका पादुकोण, विक्रांत मेसी, अंकित बिष्ट निर्देशकः मेघना गुलजार स्टारः 3.5 लंबे इंतजार के बाद आखिरकार मेघना गुलजार की फिल्म छपाक सिनेमाघरों तक पहुंचने के लिए तैयार है. जैसा कि हम सभी जानते हैं कि यह फिल्म एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल की जिंदगी पर आधारित है. इस फिल्म को लेकर हर किसी को बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन यह कहना गलत न होगा कि उम्मीदों पर शत-प्रतिशत खरी नहीं उतरी है. फिल्म का सेकेंड हाफ व क्लाइमेक्स जबर्दस्त है, लेकिन तलवार और राजी जैसी फिल्में बना चुकीं मेघना गुलजार से निर्देशक के तौर पर बहुत ज़्यादा उम्मीदें थीं, जिसमें वे पूरी तरह पास नहीं हुई हैं. हमें 4.5 स्टार्स की उम्मीद थी, लेकिन 3.5 देकर समझौता करना पड़ा. फिल्म के कुछ सीन्स कमाल के बन पड़े हैं, पर अगर ओवर ऑल बात करें तो ऐसा लगता है कि छपाक और ज़्यादा बेहतर बन सकती थी. कहीं-कहीं फिल्म बहुत धीमी लगती है. Chhapaak कहानीः फिल्म छपाक की कहानी दिल दहला देने वाली है. ये कहानी है मालती अग्रवाल (दीपिका पादुकोण) की, जिसपर एसिड से अटैक किया गया है. मालती का पूरा चेहरा जल चुका है और उसकी जिंदगी तबाह हो गई है. लोगों का शक उसके बॉयफ्रेंड राजेश (अंकित बिष्ट) पर जाता है, लेकिन मालती का गुनहगार राजेश नहीं बल्कि उसी का जानकार बब्बू उर्फ बशीर खान और उसकी रिश्तेदार परवीन शेख है. 19 साल की मालती की मदद में आगे आती है उसके पिता की मालकिन शिराज और उनकी वकील अर्चना (मधुरजीत सरघी). अर्चना, मालती का केस लड़ती है और उसे न्याय दिलाने के लिए मेहनत करती है. वहीं मालती की मुलाकात होती है अमोल से, जो अपनी पत्रकार की नौकरी छोड़कर एसिड अटैक सर्वाइवर्स के इलाज के लिए NGO चला रहा है. मालती और अमोल साथ काम करते हैं और प्यार में पड़ जाते हैं. https://www.youtube.com/watch?v=9vpJacoyBIQ परफॉर्मेंसः फिल्म का कास्ट बेहद टू- द प्वॉइंट है. दीपिका पादुकोण को अगर फिल्म की रूह कहा जाए तो अतिशयोक्ति न होगी. निर्मात्री और अभिनेत्री के रूप में तेज़ाब से जले चेहरे के साथ पेश होना उन जैसी हिरोइन के लिए साहसी कदम ही कहा जाएगा, मगर वे मालती की भूमिका को जीवंत कर गई हैं.  ये उनकी अभी तक की सबसे बेस्ट परफॉर्मेंस है, जिसे देखकर आपको बहुत कुछ महसूस होगा. मालती के किरदार में आपको दर्द, खुशी, हिम्मत सबकुछ देखने को मिलेगा. दीपिका का विक्रांत को कैमरा में इंटरव्यू देना, पुलिस को पहला स्टेटमेंट और एसिड अटैक के बाद पहली बार अपना चेहरा देखना, इन सीन्स को दीपिका की एक्टिंग आपके रोंगटे खड़े देगी. विक्रांत मेसी ने अपनी भूमिका को जानदार बनाया है. उन्हें और ज्यादा स्क्रीन स्पेस दिया जाना चाहिए था.  विक्रांत और दीपिका के अलावा फिल्म के बाकी एक्टर्स अंकित बिष्ट, मधुरजीत सरघी संग देवस दीक्षित और अन्य सपोर्टिंग एक्टर्स ने बढ़िया काम किया है. इसके अलावा असल जिंदगी की एसिड अटैक सर्वाइवर ऋतू, बाला, जीतू और कुंती, जो कि फिल्म की शीरो यानी हीरो हैं, का काम भी अच्छा है. निर्देशनः निर्देशक के रूप में मेघना गुलजार ने अपने तरकश के सारे तीर निकाल दिए है. उन्होंने इस फिल्म में अपनी जान झोंक दी है. फिल्म देखकर आपको एहसास होगा कि वो एसिड अटैक से गुजर रही लड़की के दर्द को महसूस किया है, जो ऐसे संवेदशनशील विषय पर फिल्म बनाते समय लाजमी है. यही वजह है कि फिल्म कभी-कभी कहानी से भटक जाती है और उसमें मालती के साथ एसिड अटैक के जुड़े सर्वाइवर के बारे में बात होने लगती है. सिनेमेटोग्राफी, म्यूजिक, एडिटिंग और प्रोस्थेटिक्स बहुत कमाल है. गुलजार के लिखे लिरिक्स और अरिजीत सिंह की आवाज आपको अंदर तक कचोटती है. ये भी पढ़ेंः  ‘कभी खुशी कभी गम’ की शूटिंग के दौरान प्रेग्नेंट थी काजोल, दो बार हुआ मिसकैरेज (Kajol Reveals She Suffered Two Miscarriages Prior To Nysa And Yug)    

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