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मूवी रिव्यूः सांड की आंख (Movie Review Of Saand Ki Aaankh)
फिल्मः सांड की आंख
कलाकारः तापसी पन्नू, भूमि पेडनेकर, प्रकाश झा, विनीत कुमार सिंह
निर्देशकः तुषार हीरानंदानी
स्टारः 3
यह फिल्म भारत की सबसे उम्रदराज शार्पशूटर्स चंद्रो तोमर और प्रकाशी तोमर की बायॉग्रफी है. शूटर दादियों की जिंदगी की कहानी भी हमारे देशवासियों के लिए किसी मिसाल से कम नहीं है और इस पर बनी तापसी पन्नू और भूमि पेडनेकर की फिल्म सांड की आंख से बड़ा ट्रिब्यूट दोनों के लिए शायद ही कुछ और हो सकता है.
कहानीः बागपत के जोहर गांव में स्थित ये कहानी है तोमर परिवार की बहू चंद्रो और प्रकाशी तोमर की, जो अपनी जिंदगी में घर का काम करने, खाना पकाने, अपने पति की सेवा करने, खेत जोतने और भट्टी में काम करने के अलावा ज्यादा कुछ खास कर नहीं पाईं. उनके पति दिन भर हुक्का फूंकते और बड़ी-बड़ी बातें करते हैं. जिंदगी के 60 साल ऐसे ही जीवन निकाल देने के बाद चन्द्रो और प्रकाशी को अचानक से अपने शूटिंग टैलेंट का पता चलता है. लेकिन शूटर बनने का सपना देखने लगी इन दोनों दादियों के सामने एक-दो नहीं बल्कि हजारों चुनौतियां हैं. इनमें से सबसे बड़ी है शूटिंग की ट्रेनिंग लेना और उससे भी बड़ी है टूर्नामेंट में जाकर खेलना. जो औरतें कभी अपने घर से बिना किसी मर्द के बाहर ना निकली हों, उन्होंने कैसे अपने इस सपने को ना सिर्फ पूरा किया बल्कि बाकी देशभर की महिलाओं को भी कर दिखाने की प्रेरणा कैसे दी यही इस फिल्म में दिखाया गया है.
एक्टिंगः तापसी और भूमि की एक्टिंग दर्शकों को कभी हंसने पर तो कभी रोने पर मजबूर कर देती है. पर्दे पर जब दोनों साथ में होती हैं, तो आप उनका काम देखकर मन ही मन उनकी दाद दे रहा होता है. कई सीन ऐसे हैं, जिनमें दोनों की एक्टिंग दूसरे से बेहतर है. लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि दोनों की केमिस्ट्री इतनी लाजवाब है कि दोनों एक-दूसरे के साथ फिट बैठती हैं. दोनों ही अदाकाराओं के साथ प्रकाश झा ने भी देसी हरियाणवी व्यक्ति का अच्छा किरदार निभाया है.
डायरेक्शनः तुषार हीरानंदानी का निर्देशन भी इस फिल्म का एक मजबूत पक्ष है. फिल्म में जिस तरह से हरियाणा की पृष्ठभूमि को फिल्माया है वह काबिलेतारीफ है. कलाकारों और निर्देशक का अच्छा तालमेल देखने को मिलता है जिस वजह से छोटे-छोटे सीन्स भी पूरी कहानी बयां करते हैं.
म्यूज़िकः फिल्म के गाने 'वूमनिया' और 'उड़ता तीतर' पहले से ही पॉप्युलर है और अच्छे बन पड़े हैं. फिल्म के डायलॉग्स भी ठीक-ठाक ही हैं, लेकिन सबसे ज्यादा आपको तापसी और भूमि का प्रोस्थेटिक मेकअप अखर सकता है. फिल्म का फर्स्ट हाफ थोड़ा स्लो है लेकिन सेकंड हाफ दर्शकों को अच्छे से बांधे रखता है.