सर्व प्रदूषण दूर हो, खुल कर लेवें सांस।
स्वच्छ जगत फिर से बने, रहे न मन में फांस।।
जहां कहीं भी नज़रें जातीं, वहीं प्रदूषण की भरमार।
आँख मूंद कर हुई प्रगति ने, बदल दिया जग का व्यापार।।
पॉलिथीन प्लास्टिक कचरे से, हमको मिलती नहीं निजात।
नष्ट नहीं होता यह वर्षों, लगता जाता है अम्बार।।
सस्ता सुलभ भले लगता है, कौन सहेगा इसकी हानि।
बीमारी के बीज छिपे हैं, जो दुख देते हमें अपार।।
उड़-उड़ कर हर कोने पहुंचे, खाकर मरतीं कितनी गाय।
अगर जलाते गैसें बनतीं, जिनसे मचता हाहाकार।।
आज शपथ यह लेनी मिल कर, नहीं करेंगे अब उपयोग।
प्लास्टिक मुक्त बने भूमंडल, बदलेगा फिर से संसार।।
चलो बनाएं मिल सभी, धरती स्वर्ग समान।
स्वस्थ्य प्रगति चहुँ दिशि करे, रचें नया विज्ञान।।
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Photo Courtesy: Freepik
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