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कविता- जब तुम कहीं नहीं हो… (Poetry- Jab Tum Kahin Nahi Ho…)

ये धड़कनें तुम्हारे आस पास ठहरीं
माना कि तुम नहीं हो
जब सोचता हूं अकेला
तस्वीर तुम्हारी उभरी
कैसे कह दूं कि तुम नहीं हो
हालात के हाथों जो वक़्त क़ैद है
वरना वो कौन था
जो कहता कि तुम नहीं हो
इस दिल ने एक दिन
जो तस्वीर खींच ली थी
दिल पे हाथ रख कर
कह दो वो तुम नहीं हो
चांद और सितारे एक साथ चल रहे हैं
उम्र मेरी जा कर जिस मोड़ पर रुकी है
उस मोड़ का इक सिरा
कह दो कि तुम नहीं हो
किस किस का नाम लूं मैं 
किस किस की बात कह दूं
इतने बड़े जहान में
क्यों दुनिया लगे है खाली
क्या तुम नहीं ये जानते
कि मेरे इस जहान में
बस, जब तुम कहीं नहीं हो…

- मुरली मनोहर श्रीवास्तव

Photo Courtesy: Freepik

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