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कविता- सुनो दोस्तों!.. (Poetry- Suno Dosto!..)

सुनो दोस्तों,
तुम घबराना मत..
जल्दी ही हम फिर मिलेंगे
जो साथी छूट गए
उनकी बातें याद करेंगे
कभी हंस देंगे, कभी रो लेंगे
फिर बैठेंगे कॉफी के कप लेकर साथ
गले लेगेंगे, डालेंगे हाथों में हाथ
कुछ दिन की ही दूरी है
बस एक मजबूरी है
सुनो दोस्तों,
तुम घबराना मत..
फिर होगा समंदर का किनारा
रेत पर फिर दौड़ेंगे, भागेंगे
महफ़िलें फिर जमेगी
हंसी का दौर फिर आएगा
बस इस लंबी रात को जाने दो
इंतज़ार करेंगे
सुनो दोस्तों,
तुम घबराना मत..
सामनेवाले झूमते पेड़ को देखो
पिछले पतझड़ में कैसा था
अब पत्ता-पत्ता चहकता है
फूलों से कैसा महकता है
ऐसे ही हम चहकेंगे
जल्दी ही हम फिर मिलेंगे
सुनो दोस्तों,
तुम घबराना मत…

Poonam Ahmed
पूनम अहमद

Poetry

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