हालात मेरे देखकर क्यूं आसमां हैरान है
मैं अकेला ही नहीं, हर शख़्स परेशान है
वादा किया था जिसने साथ निभाने का
फिर क्या हुआ कुछ ऐसा, जो वो बना अनजान है
मालूम था ये सब को है कत्ल किया उसने
मुंसिफ का ये कहना था, ये शख़्स तो नादान है
माना तू सज़दे करता मंदिर और मस्जिदों में
तेरा दिल भी जानता है, तू कितना बेईमान है
महफ़िल में उसने यारों ख़ुद आज बुलाया है
महसूस ये होता है, अब वक़्त मेहरबान है
गर्दिश के दौर में भी ये सोचकर संभला हूं
बस एक कदम उठा ले, ये आख़िरी इम्तिहान है…
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