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लघुकथा- अपनों में बेगाने (Short Story- Apno Mein Begane)

"मम्मी, दादाजी और दादी कहां हैं?"  
तब अनिता ने जवाब दिया, "वरुण, वे लोग अभी तक आए ही नहीं हैं."   
अपनी मां का स्वभाव जानते हुए वरुण ने पूछा, "मम्मी, आपने उन्हें कब बताया और कब बुलाया?"
अनिता कोई जवाब नहीं दे पाई, किंतु वरुण सब कुछ समझ गया.  

वरुण को अपनी बहन की शादी में आने के लिए केवल एक सप्ताह की छुट्टी मिली. शादी के पांच दिन पहले ही वह घर आ पाया. घर पर नाना-नानी को देखकर वह बहुत ख़ुश हो गया.
वरुण ने उनका हालचाल पूछने के बाद पूछा, "नानाजी आप लोग कब आए?"
"बेटा आज ही एक माह पूरा हुआ है."   
वरुण बार-बार इधर-उधर देख रहा था. उसने अपनी मम्मी से पूछा, "मम्मी, दादाजी और दादी दिखाई नहीं दे रहे, क्या घूमने गए हैं बाहर?"
अनिता कोई जवाब नहीं दे पाई.  
वरुण ने अपना प्रश्न दोहराते हुए फिर से पूछा, "मम्मी, दादाजी और दादी कहां हैं?"  
तब अनिता ने जवाब दिया, "वरुण, वे लोग अभी तक आए ही नहीं हैं."   
अपनी मां का स्वभाव जानते हुए वरुण ने पूछा, "मम्मी, आपने उन्हें कब बताया और कब बुलाया?"
अनिता कोई जवाब नहीं दे पाई, किंतु वरुण सब कुछ समझ गया.  
उसने अपने पापा मुकेश की तरफ़ देख कर कहा, "पापा, आपने भी ख़्याल नहीं रखा या आप मम्मी से इतना डरते हैं."  

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दूसरे दिन वरुण के दादाजी और दादी भी विवाह में शामिल होने आ गए. यहां सब कुछ देखकर उन्होंने महसूस किया कि वह इस शादी में केवल मेहमान हैं. यहां उनकी किसी को ज़रूरत ही नहीं है. विवाह संपन्न हो गया और उनकी पोती संध्या की विदाई भी हो गई. वह भी अपनी सहेलियों और ख़्यालों में इस तरह खोई थी कि उसने भी उनकी तरफ़ कोई विशेष ध्यान नहीं दिया. वरुण अपने दादाजी और दादी का पूरा ख़्याल रख रहा था.
विदाई के तुरंत बाद उन दोनों ने भी अपना सामान बांध लिया. तब मुकेश ने उन्हें कुछ दिन रुकने के लिए कहा, किंतु वे नहीं रुके. उनके साथ वरुण भी तैयार हो गया.
अनिता ने प्रश्न किया, "वरुण, तुम कहां जा रहे हो?"
वरुण ने कहा, "मां, आपने तो दादाजी और दादी को अपनों में ही बेगाना बना दिया. मैं उन्हें अपने साथ ले जा रहा हूं और आपका यह व्यवहार में हमेशा याद रखूंगा."


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वरुण के मुंह से यह सुनकर अनिता और मुकेश का सिर शर्म से इस तरह नीचे झुक गया कि वे वरुण से नज़र नहीं मिला पाए.

- रत्ना पांडे

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Photo Courtesy: Freepik

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