Close

किटी से बाय, करें लाॅकडाउन उपाय… (Smart Tricks For Better Work-Life Balance During Lockdown)

एकबारगी देखें, तो अच्छा ही है, एक तरह से कोरोना के चक्कर में बिना सोचे-समझे एक ढर्रे पर भागती सबकी ज़िंदगियों पर यूं ब्रेक लग गया. कुछ सोचने-समझने और अपने लिए आत्मविश्लेषण का समय भी मिल गया है. ऐसे में दिए गए स्मार्ट ट्रिक्स से इस समय को यादगार भी बना सकते हैं.

शिक्षित गृहिणियों की लॉकडाउन में अजीब समस्या है. बोरियत में घिरी वे समझ नहीं पाती कि कैसे ख़ुश रहें? उनके कई पंसदीदा टीवी शोज़, सीरियल भी शूटिंग के अभाव में बंद पड़े हैं. दूसरी ओर किटी, शाॅपिंग आदि के बहाने से बाहर जाना भी बंद है. ले देकर वही किचन, साफ़-सफ़ाई, खाना, फ़रमाइशें, ज़रूरतें पूरी कर करके वे उकता भी रही हैं. क्योंकि इनके अलावा उन्हें टीवी सीरियल, किटी, गप्पे, शॉपिंग, नई ड्रेसेज, ज्वेलरी में फेसबुक, सेल्फी, वीडियो अपलोड, लाइक, लव की काउन्टिंग का खेल, जो कोरोना काल में सम्भव हो नहीं पा रहा, तो जैसे ज़िन्दगी में कोई चार्म नहीं रह गया. क्योंकि इन्हीं सब में उनकी ज़िन्दगी सिमटकर रह गई थी. उन्होंने कभी पढ़ाई भी की थी जैसे वे भूल ही चुकी. सोचकर देखें, तो करने के लिए तो बहुत कुछ है आपके पास, जो आपको ख़ुश और रुचिकर, स्वास्थ्यवर्धक व मनोरंजक भी, जो आप टाले हुए या भूले हुए हैं, जैसे-

• ताश, कैरम, लूडो, शतरंज आदि. याद है, कभी आप बहुत अच्छा खेला करती थीं? उन्हें निकालकर धूल साफ़ कीजिए. बुलाइए पति और बच्चों को रोज़ एक एक बाज़ी तो हो जाए. सच, बड़े दिनों बाद ऐसा आनंद आएगा.
• बच्चों और पति के साथ मिलकर यू ट्यूब से कभी बढ़िया रेसिपीज़ ट्राई करें, जो पहले वे बाज़ार में शौक से ला खा लेते थे. रोज़ कुछ नया ट्राई करें और सबके साथ ही आप भी किचन से ख़ाली हो जाएं.
• पुरानी अलबम फोटोज़ सपरिवार देखें, सम्भाले और संदर्भ याद करें. बताएं और आनंदित हों. बेमतलब की फोटोज़, मैसेजेज़ को डिस्कार्ट करने का सही समय है. मोबाइल से भी सारी फ़ालतू फोटोज़ हटा डालें. ज़रूरी अपने ड्राइव में सेव करें.
• परिवार के साथ सब अपनी आलमारियों से न पहनने जानेवाले कपड़ों, जूते-चप्पल, किताब-कापियों को छांटकर देने के लिए किसी कार्टन में अलग-अलग भर दें.
• समय का सदुपयोग करते हुए सब मिलकर घर को काॅक्रोच, छिपकली, चूहे, दीमक, मच्छर इत्यादि जीव-जंतुओं से मुक्त कर डालें.
• किचन से खाली डिब्बे, बेकार बर्तन, ख़राब सामग्री भी अलग कबाड़ में डालें और हटाएं. पति को दवाइयों का डिब्बा देकर एक्सपाइरी देखकर छांटने को कहें और बच्चों से फ़ालतू भरे खिलौने अलग हटाने के लिए खाली बैग दें. इस तरह घर को साफ़-सुथरा बनाएं.
• पाॅट में कुछ बीज डालकर बच्चों को पौधे लगाना सिखाएं. मिलकर अपने घर के बगीचे को संवारे.
• एक समय बना लें, जब सब रोचक, प्रसिद्ध, शिक्षाप्रद, ज्ञानवर्धक पुस्तकें, उपन्यास, कहानी, लेख, कविताएं पढ़ें-पढ़ाएं.अच्छी अवाॅर्ड विनिंग मूवीज़ सपरिवार देखकर लुत्फ़ उठाएं.
• जीवन के मज़ेदार और उपयोगी अनुभव परिवार के साथ शेयर करें और उनके भी सुने.
• पेंटिंग, सिलाई-कढ़ाई, लेखन पाठन आप क्या-क्या कर डालती थीं. अपने उन सोए व दबे शौक को जगाएं. कुछ सकारात्मक व ख़ूबसूरत सृजन कर डालें. रुचि अनुसार कुछ रचनात्मक करें और करवाएं. यू ट्यूब से अथवा एक-दूसरे के अपने-अपने स्किल यानी हुनर को सिखाएं, साथ ही सीखें भी.
• साइंस के छोटे प्रयोग के लिए बच्चों को उत्साहित करें उनके साथ स्वयं लगकर आनंद लें.
• देश-दुनिया की ख़बरों के साथ रिश्तों और मानवीय मूल्यों, अच्छे व्यवहार, संस्कार से भी समय-समय पर अवगत हों, याद करें और परिवार को भी जानकारी दें याद दिलाएं. परिवार के सभी सदस्यों के विचार, समस्याएं साथ बैठकर तसल्ली से सुने, समझें और सुलझाएं.
• फोन करने में तो कोई मनाही नहीं. सभी अपनों का समय-समय पर हालचाल लेते रहें.
• अपनी बुरी आदतों को छोड़ने के प्रयास में अच्छी आदतों को नियम से अपनाएं. अब आप सबके पास समय है. कोई भागमभाग या जल्दी नहीं. अच्छी आदतें, जैसे- जल्दी उठना, शारीरिक व्यायाम, योग करना, हेल्दी भोजन, समय पर खाना. बिना टीवी-वीडियो चलाए टेबल पर साथ नाश्ता व भोजन ज़रूर करें.
• किचन में, लॉन्ड्री में या कहीं भी ज़रूरत हो मदद लें. सहायता करना सिखाएं. टेबल लगाने व समेटने में सबकी मदद लें. मिलकर काम जल्दी भी होगा और सौहार्द भी बढ़ेगा.
• स्वास्थ्य, योग, संयम, सही दिनचर्या, नियमित खानपान, पौष्टिकता के विषय में जानकारी ले व दें और उस पर चलने के लिए प्रेरित करें. साथ ही सपरिवार अमल करने का प्रयास भी करें.
उपरोक्त बातों को ध्यान रखते व करते हुए आपको लॉकडाउन का पता ही नहीं चलेगा. एक स्थाई सुख, आनंद और संतुष्टि की नई अनुभूति आपमें असीमित ऊर्जा भर देगी. आप सुखद आश्चर्य अनुभव करेंगी कि लाॅकडाउन के बाद तो आप और आपका परिवार कितना स्वस्थ, समझदार व घर कितना सुचारु और व्यवस्थित हो गया है.

- डॉ. नीरजा श्रीवास्तव 'नीरू'

यह भी पढ़ें: कभी सोचा है, आख़िर हम झूठ क्यों बोलते हैं?.. (Why Do People Lie?..)

Share this article