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कहानी- कॉकटेल बनाम मॉकटेल 2 (Story Series- Cocktail Banam Mocktail 2)

"उफ़, कितना पॉल्यूशन, गंदगी और अव्यवस्था है इंडिया में! पता नहीं, कैसे रहते हैं लोग यहां?" 'जैसे पैदा होने से लेकर अभी एक साल पहले तक आप रहते आए थे.' नंदिनी मन ही मन भुनभुनाती हर एक सवाल का मन ही मन जवाब भी दिए जा रही थी. "शुक्र है, मैंने विदेश में ही बसने का निर्णय ले लिया..." 'अपना घर गंदा हो, तो लोग उसे साफ़ करते हैं, न कि पड़ोसी के घर जाकर रहने लग जाते हैं...'   ... "नहीं होगा मुझसे यह सब! जिस चीज़ के लिए अंदर से कोई उत्साह न हो, उसे जबरन बोझ की तरह कब तक ढोया जा सकता है?" तब नंदिनी उसे दिलासा देने लगती. सुजय के प्यार का वास्ता देती कि वह यह सब उसकी ख़ुशी के लिए कर रही है और प्यार में ऐसी छोटी-मोटी कुर्बानियां तो चलती हैं. सुजय आया. एयरपोर्ट पर ही तनु का बदला रंग-रूप देखकर वह खिल उठा. बड़ी गर्मजोशी से उसने अपने दोस्त से मिलवाया. उसे भी सुजय के साथ ही विदेश में नौकरी मिली थी और वह भी छुट्टी लेकर परिवार से मिलने आया था. अंतर था तो बस इतना कि वह अविवाहित था. तनु के चुस्त लिबास और एक्सेंट ने शायद उसके दिमाग़ में तनु की कुछ और ही छवि बना दी थी, क्योंकि वह बेहद अंतरंगता और उन्मुक्तता से उससे बातें करने लगा था. सुजय मयंक के साथ सामान और टैक्सीवाले में उलझा हुआ था. ऐसे में तनु बेचारी असहज होते हुए भी किसी तरह बर्दाश्त करती रही. नंदिनी तो देख-देखकर ही बेतरह खीज उठी थी. आख़िर वही तनु को खींच ले गई, "चलिए दीदी, हम टैक्सी में बैठते हैं." नंदिनी की यह खीज रास्तेभर बरक़रार रही. क्योंकि घर पहुंचने तक सुजय जीजाजी का एक ही प्रलाप ज़ारी था, "उफ़, कितना पॉल्यूशन, गंदगी और अव्यवस्था है इंडिया में! पता नहीं, कैसे रहते हैं लोग यहां?" 'जैसे पैदा होने से लेकर अभी एक साल पहले तक आप रहते आए थे.' नंदिनी मन ही मन भुनभुनाती हर एक सवाल का मन ही मन जवाब भी दिए जा रही थी. "शुक्र है, मैंने विदेश में ही बसने का निर्णय ले लिया..." 'अपना घर गंदा हो, तो लोग उसे साफ़ करते हैं, न कि पड़ोसी के घर जाकर रहने लग जाते हैं...' नंदिनी के जले-भुने मन में हर सवाल का जवाब तैयार था. घर पहुंचते ही नंदिनी और तनु चाय-नाश्ते की तैयारी में लग गईं. सुजय सोफे पर पसर से गए. "अब दो-तीन दिन तो जेटलेग के नशे में ही निकल जाएगें. वह उतरेगा, तो जाने का वक़्त हो जाएगा." 'जेट लेग का नशा, तो फिर भी दो-तीन दिन में उतर जाएगा जीजाजी! पर यह पश्चिम के अंधानुकरण का नशा कब उतरेगा? कहीं ऐसा न हो कि उसके उतरते तक तनु दीदी आपकी ज़िंदगी से निकल जाए...’ नंदिनी के मन की भुनभुनाहट अभी भी ज़ारी थी. तनु का उतरा हुआ उदास चेहरा इस भुनभुनाहट की आग में घी का काम कर रहा था. यह भी पढ़ें: 5 रिलेशनशिप हैबिट्स जो आपके रिश्ते के लिए टॉक्सिक साबित हो सकती हैं (5 Toxic Relationship Habits That Can Ruin Any Relationship) "मैं परांठे सेंकती हूं, तब तक दीदी आप इधर चिकन सॉसेजेस तैयार कर लीजिए." नाश्ते और खाने में तनु और नंदिनी ने इंडियन और कॉन्टिनेंटल दोनों तरह की रेसिपीज़ रखने का प्रयास किया था, ताकि सभी अपनी पसंद और सुविधानुसार ले सकें. पर सुजय और उनके दोस्त ने परांठों को छुआ तक नहीं. नंदिनी को आश्चर्य हो रहा था आलू के परांठों के नाम से ही लार टपकाने वाले सुजय जीजाजी ने ‘सो ऑयली’ कहते हुए परांठों की प्लेट एक ओर सरका दी थी. लेकिन तनु के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे. वह मूर्तिवत बैठी सॉसेजेस को कांटे से कोंचती रही. शायद उसे इसी सब की उम्मीद थी. नंदिनी मन ही मन सोचने को मजबूर हो गई... अगला भाग कल इसी समय यानी ३ बजे पढ़ें... संगीता माथुर   अधिक शॉर्ट स्टोरीज के लिए यहाँ क्लिक करें – SHORT STORIES

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