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कहानी- कोरोना 2 (Story Series- Corona 2)

"अच्छी आदत है. हमेशा ऐसा ही करना चाहिए. पैसा हमारा है, पर संसाधन तो देश के हैं." किंशु दादा की गूढ़ बात समझने के लिए अभी छोटा था, इसलिए तुरंत बोल पड़ा, "क्यूं बाज़ार से और नहीं ला सकते थे?"

      "... मैं उस समय पुणे में था. नई-नई नौकरी जॉइन की थी. वहां कोरोना का प्रकोप सबसे ज़्यादा था. क्योंकि देश की ज़्यादातर आईटी कंपनीज़ वहीं थीं. कर्मचारी विदेश जाते रहते थे. बस अपने साथ बीमारी ले आए. कंपनी ने सुरक्षा हेतु वर्क फ्रॉम होम की व्यवस्था की, तो मैं बॉस से इजाज़त लेकर तुरंत पहली फ्लाइट पकड़कर मम्मी-पापा के पास जयपुर आ गया. मुझे आया देख, पापा ने मुंबई में जाॅब कर रही दीदी से भी घर आने को कहा. 2-3 दिन में दीदी को भी अनुमति मिल गई. तब तक थोड़ा ख़तरा भी बढ़ गया था और लोग भी जागरूक हो गए थे..." "हां, तभी तो जब तुम्हारी बुआ आई, तो हमने सीधे उसे नहाने भेज दिया. डिटोलयुक्त पानी से नहाकर जब वह बाहर आई, तभी उसे चाय-खाने के लिए पूछा था." दादा ने बताया, तो दादी हंस पड़ी. "बेचारी भूखी-प्यासी खाने पर टूट-सी पड़ी थी... खाने-पीने की चीज़ों की भी तब राशनिंग शुरू करनी पड़ी थी. मेरी नपा-तुला खाना बनाने की आदत तभी से तो पड़ी है." "अच्छी आदत है. हमेशा ऐसा ही करना चाहिए. पैसा हमारा है, पर संसाधन तो देश के हैं." किंशु दादा की गूढ़ बात समझने के लिए अभी छोटा था, इसलिए तुरंत बोल पड़ा, "क्यूं बाज़ार से और नहीं ला सकते थे?" "अरे हम इसे महत्वपूर्ण बात तो बताना भूल ही गए. पूरे देश में 21 दिन का लॉकडाउन कर दिया गया था. उससे पहले जनता कर्फ्यू था." पुरानी बातें याद करती दादी की आंखें चमक उठी थीं. "कोई इस नन्ही-सी जान को बताएगा कि यह ‘लॉकडाउन’ और ‘जनता कर्फ्यू’ किन चिड़ियाओं के नाम हैं?" किंशु ने भोली-सी शक्ल बनाते हुए कहा, तो सबकी हंसी छूट गई. यहां तक कि लैपटॉप पर काम कर रही सान्या भी बेटे की मासूमियत पर मुस्कुरा दी. कुछ देर पूर्व का गंभीर माहौल यकायक ही सहज हो उठा. यह भी पढ़ें: बच्चों की बौद्धिक क्षमता को प्रभावित करते हैं खिलौने… (Toys Affect The Intellectual Ability Of Children) "मैं बताता हूं." राहुल ने अब तक गूगल पर सही तारीख़ भी सर्च कर ली थी. "जनता कर्फ्यू लगाया गया था 22 मार्च, 2020 को. जिसका तात्पर्य था कि उस दिन सवेरे 7 बजे से रात्रि 9 बजे तक कोई भी अपने घर से बाहर नहीं निकलेगा. यह जनहित में लगाई गई पाबंदी थी, ताकि बीमारी के संक्रमण की चेन को रोका जा सके. किंशु, मैं तुम्हें एक तस्वीर के माध्यम से समझाता हूं. यह तस्वीर उस समय ख़ूब वायरल हुई थी. देखो ये क्रम से माचिस की तीलियां... ये प्रथम 9 जल रही हैं. अब यह दसवीं तीली आग पकड़ने से बची रह गई, तो इसके आगे की शेष समस्त तीलियां भी आग पकड़ने से बची रह गईं. समझ आया?"

अगला भाग कल इसी समय यानी ३ बजे पढ़ें...

    [caption id="attachment_182852" align="alignnone" width="246"]Sangeeta Mathur संगीता माथुर[/caption]   यह भी पढ़ें: उत्तम संतान के लिए माता-पिता करें इन मंत्रों का जाप (Chanting Of These Mantras Can Make Your Child Intelligent And Spiritual)      

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