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कहानी- डील 3 (Story Series- Deal 3)

 

‘‘तुम्हारे परिवार में सब की पसंद बहुत अच्छी है,’’ शिखा ने कॉफी का सिप लेते हुए कहा, फिर टिश्यू पेपर से होंठ पोंछे. वह चुप ही रहा. हर सिप के बाद होंठ पोंछती है… पता नहीं कैसे एंजॉय करती होगी खाने-पीने की चीज़ों को. चम्मच और छूरी के बिना इसका काम नहीं चलता और वह जब तक हाथ से खाना ना खाए और उंगलियां ना चाटे उसे मज़ा नहीं आता.

              ... ‘‘डार्क ब्लू और चॉकलेट कलर तुम पर ख़ूब फबते हैं. एकदम बैलेंस कॉम्प्लेक्शन है तुम्हारा, न ज़्यादा गोरे, न ज़्यादा सांवले… एक गुनगुना-सा रंग पाया है तुमने. पंजाबी तो कतई नहीं लगते हो.’’ उसकी ब्लू टी-शर्ट को अपनी एकदम काली और घनी पलकोंवाली आंखों से आंखों में भरते चंचलता से बोली शिखा. बात क्या चल रही होती और शिखा किसी और पड़ाव पर अचानक पहुंच जाती है. सायास या वह ऐसी ही है, कभी-कभी उसके ऐसा करने से चलती बहस का रुख ही मुड़ जाता है और बिगड़ती बात और बिगड़ने से बच जाती है. उसके ऑफिस में लोग उसकी इस बात के मुरीद हैं. उसकी कुलीग और बेस्ट फ्रेंड ने राहुल को बताया था जब इन दोनों ने अपनी एंगेजमेंट पार्टी दी थी.   यह भी पढ़ें: क्या आप भी अपने रिश्तों में करते हैं ये ग़लतियां? इनसे बचें ताकि रिश्ते टिकाऊ बनें (Common Marriage Mistakes To Avoid: Simple And Smart Tips For A Healthy And Long-Lasting Relationship)     अपने-अपने दोस्तों और कलीग्स को बुलाया था दोनों ने. घर में जो फंक्शन हुआ था, उसमें भी वे सब आए थे, पर वहीं अड़ गए थे कि बिना दारु पिए वे माननेवाले नहीं हैं. हालांकि दारु उन्होंने तब भी सर्व की थी, लेकिन राहुल और शिखा के माता-पिता के सामने बिल्कुल सूफी बने रहने का दिखावा करते हुए कमबख़्तों ने हाथ तक नहीं लगाया था उसे और इसी बहाने अलग से पार्टी लेने के लिए हल्ला मचा दिया था. ‘बहुत चालाक हैं सारे के सारे’ अपने दोस्तों की बात सुन राहुल को हंसी आ गई. पर तब मज़ा भी तो किया था उन दोनों ने ही बहुत… जाम के साथ दोनों के होंठ भी तो टकराते रहे थे और ‘कपल किस’ के नाम पर ख़ूब छिछोरापन किया था सबने. होंठ पर तो नहीं, गालों पर ख़ूब किस हुए थे उस दिन. ‘‘कल ही छुटकी ख़रीद कर लाई थी. उसकी कंपनी में अक्सर सेल लगती है, ले आती है जब-तब.’’ राहुल ने टी-शर्ट के मुलायम कपड़े को महसूस करते हुए कहा. ‘‘तुम्हारे परिवार में सब की पसंद बहुत अच्छी है,’’ शिखा ने कॉफी का सिप लेते हुए कहा, फिर टिश्यू पेपर से होंठ पोंछे. वह चुप ही रहा. हर सिप के बाद होंठ पोंछती है… पता नहीं कैसे एंजॉय करती होगी खाने-पीने की चीज़ों को. चम्मच और छूरी के बिना इसका काम नहीं चलता और वह जब तक हाथ से खाना ना खाए और उंगलियां ना चाटे उसे मज़ा नहीं आता. कॉफी कैफे डे में अच्छी-ख़ासी भीड़ थी. ज़्यादातर कॉलेज के स्टूडेंट होते हैं या डेटिंग पर आए लड़का-लड़की या फिर लैपटॉप खोले काम करते एकदम स्मार्ट एक्ज़िक्युटिव टाइप के पुरुष और स्त्रियां. बड़े-बुज़ुर्ग कम ही दिखते हैं.   यह भी पढ़ें: 30 बातें जहां महिलाएं पुरुषों से बेहतर हैं (30 things women do better than men)   ‘‘ऐसा ही समझ लो,’’ शिखा ने टिश्यू पेपर से अपने चेहरे, होंठों और हाथों को पोंछा. ‘‘क्या?’’ असली बात के बीच इतना लंबा अंतराल होने के कारण पल भर को तो वह उसे भूल ही गया था.

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सुमन बाजपेयी       अधिक कहानियां/शॉर्ट स्टोरीज़ के लिए यहां क्लिक करें – SHORT STORIES         डाउनलोड करें हमारा मोबाइल एप्लीकेशन https://merisaheli1.page.link/pb5Z और रु. 999 में हमारे सब्सक्रिप्शन प्लान का लाभ उठाएं व पाएं रु. 2600 का फ्री गिफ्ट.

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