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कहानी- डील 1 (Story Series- Deal 1)

 

‘कुछ कहे… पर क्या?’ एक कंकड़ जब झील में फेंकते हैं, तो वह जहां गिरता है, वहां तो लहर उठती ही है, लेकिन फिर लहर फैलती जाती है. दूर-दूर किनारों तक लहरें ही लहरें होती चली जाती हैं. उसके भीतर भी उस समय लहरें उठ रही थीं, कंकड़ बहुत ज़ोर से फेंका था शिखा ने.

        ‘‘मेरे अंदर मां बनने की कोई इच्छा नहीं है, इसलिए सिंपल-सी बात है कि मुझे बच्चा नहीं चाहिए. बच्चे पालना, उनके लिए अपनी नींद ख़राब करना और अपने करियर को दांव पर लगाना... ये सब चीज़ें मेरे एजेंडे में हैं ही नहीं. कभी मातृत्व की भावना जागी, तो देखा जाएगा.’’ शिखा ने अपने मुंह से च्यूंइगम निकाली और टिश्यू पेपर पर रख उसे कॉरिडोर के एक कोने में रखे मिकी माउस की आकृतिवाले डस्टबिन में फेंक दिया.   यह भी पढ़ें: 6 रिलेशनशिप गुरु, जो रिश्ते में दे सकते हैं आपको बेस्ट सलाह( 6 Relationship Gurus, Who Can Give You Best Relationship Advice)     जितनी सहजता से उसने यह बात कही थी, वह उसके लिए मानो उसी चबाई हुई च्यूंइगम को मुंह से निकालकर फेंकने जैसा ही सहज था या शायद उससे भी कहीं ज़्यादा आसान और सहज. क्योंकि उसने इस बात को कहने से पहले पल भर भी उसे चबाया तक नहीं था. फटाक से बिना भूमिका बांधे या ढेर सारे तर्कों का पिटारा खोले, बस कह दिया था. च्यूंइगम को तो पहले बेरहमी से चबाया जाता है और कुछ मिनटों बाद स्वाद बिगड़ने पर उसे फेंक दिया जाता है… बस इतना ही साथ होता है च्यूंइगम का मुंह के साथ. च्यूंइगम और ज़िंदगी से जुड़ी इतनी अहम् बात, दोनों में तारतम्य कैसे हो सकता है? पर शिखा के संदर्भ में वह यह बात कह सकता है. राहुल ठिठका पल भर को. साकेत मॉल में दोनों चक्कर काट रहे थे. यूं ही बेवजह… इस अत्याधुनिक और ब्रांडेड शोरूम वाले मॉल में घूमना शिखा को बहुत पसंद है और राहुल को उसका साथ देना ही पड़ता है. विंडो शॉपिंग भी करनी पड़ती है और कैफे कॉफी डे में कॉफी भी पीनी पड़ती है. वहां से शिखा ऑक्सीडाइज्ड ईयररिंग्स न ख़रीदे, ऐसा विरले ही होता है. साड़ी पहने या सूट या टाइट जींस के साथ टी-शर्ट, ऑक्सीडाइज्ड ईयररिंग्स कानों में अवश्य लटकाती है. ‘‘यू नो, इन्हें पहनने से एक एथनिक लुक आता है.’’ एमबीए करने के बाद, एक कंपनी में बतौर मैनेजमेंट कंसल्टेंट काम कर रही शिखा का ‘एथनिक लुक’ बहुत अपीलिंग लगता है, इसमें कोई संशय नहीं है. देखा जाए तो वह किसी ट्रेंड सेटर से कम नहीं है. लेकिन शिखा रुकी नहीं थी, इसीलिए उसने भी तेज कदम बढ़ाए और उसके साथ चलने लगा. ‘कुछ कहे… पर क्या?’ एक कंकड़ जब झील में फेंकते हैं, तो वह जहां गिरता है, वहां तो लहर उठती ही है, लेकिन फिर लहर फैलती जाती है. दूर-दूर किनारों तक लहरें ही लहरें होती चली जाती हैं. उसके भीतर भी उस समय लहरें उठ रही थीं, कंकड़ बहुत ज़ोर से फेंका था शिखा ने.   यह भी पढ़ें: क्या आप भी अपने रिश्तों में करते हैं ये ग़लतियां? इनसे बचें ताकि रिश्ते टिकाऊ बनें (Common Marriage Mistakes To Avoid: Simple And Smart Tips For A Healthy And Long-Lasting Relationship)     हैरानी की बात थी कि उसने यह जानने की कोशिश भी नहीं की थी कि उसकी यह बात सुनकर उसकी प्रतिक्रिया क्या और कैसी हो सकती है. दो लोग जब साथ ज़िंदगी गुज़ारनेवाले हों, तो दोनों का निर्णय में सहमति होना भी तो ज़रूरी है… लेकिन शिखा ने तो अपना फ़ैसला सुना दिया था. वह माने या ना माने, उसे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता, जैसे उसकी इच्छा का कोई महत्व नहीं है.

अगला भाग कल इसी समय यानी ३ बजे पढ़ें

सुमन बाजपेयी     अधिक कहानियां/शॉर्ट स्टोरीज़ के लिए यहां क्लिक करें – SHORT STORIES         डाउनलोड करें हमारा मोबाइल एप्लीकेशन https://merisaheli1.page.link/pb5Z और रु. 999 में हमारे सब्सक्रिप्शन प्लान का लाभ उठाएं व पाएं रु. 2600 का फ्री गिफ्ट.

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