Close

कहानी- किटी पार्टी 3 (Story Series- Kitty Party 3)

 

“क्या ऐसा हो सकता था कि विपुल के पैरेंट्स के लिए तुम भी कुछ ऐसा ही करती...” “देखो अनुभा, ये ग़लत बात है... मेरे पैरेंट्स ने विपुल के लिए बहुत किया है... उसके जन्मदिन और एनिवर्सरी पर हमेशा महंगा गिफ्ट दिया है. जब मैं मायके जाती हू़ं, तब विपुल को एक दामाद के रूप में वीआईपी ट्रीटमेंट मिलता है.”

            ... यहां तो सुबह-सुबह भागते-दौड़ते नाश्ता बनाओ. घर आओ, तो रात को सास के साथ रसोई में खटो... सोच के देखो, मां के राज में ऐसा हो सकता था... जो स्नेह माता-पिता देते हैं, सास-ससुर दे सकते है क्या...” सुनीता की हां में हां मिलाते हुए अरुणिमा बोली, “ये तो सही बात है, यूं दोष केवल बहुओं पर लगाना ग़लत है. वैसे भी जब बेटे ही अपने मां-बाप के नहीं होते, तो बहू क्या करें.” “अरुणिमा बुरा मत मानना, पर तुमने ही बताया था कि तुम्हारे पति ने तुम्हे बिना बताए तुम्हारे पापा के जन्मदिन पर महंगी घड़ी देकर तुम्हें भी सरप्राइज़ कर दिया था...” “हां, तो मैंने विपुल को थैंक्स बोला था. उनके लिए मेरे मन में इज्ज़त बढ़ गई थी...” “क्या ऐसा हो सकता था कि विपुल के पैरेंट्स के लिए तुम भी कुछ ऐसा ही करती...” “देखो अनुभा, ये ग़लत बात है... मेरे पैरेंट्स ने विपुल के लिए बहुत किया है... उसके जन्मदिन और एनिवर्सरी पर हमेशा महंगा गिफ्ट दिया है. जब मैं मायके जाती हू़ं, तब विपुल को एक दामाद के रूप में वीआईपी ट्रीटमेंट मिलता है.”     यह भी पढ़ें: ससुराल के लिए खुद की ऐसे करें मानसिक रूप से तैयार… ताकि रिश्तों में बढ़े प्यार और न हो कोई तकरार (Adapting in A New Home After Marriage: Tips & Smart Ways To Adjust With In-Laws)     “तो क्या विपुल के पैरेंट्स ने तुम्हारे लिए कभी कुछ नहीं किया?” “किया है, विपुल इकलौता बेटा है भई.. अपने बेटे-बहू के लिए फ़र्ज़ है करना. बेटियों के लिए भी तो उनका हाथ खुला है. ननदें आती हैं, तो सासू मां महंगे गिफ्ट लुटाती हैं उन पर भी... सास-ननद हाथ पर हाथ धरे गप्पे लड़ाती हैं और मैं काम में जुटती हूं...” “बिल्कुल वैसे ही जैसे तुम्हारे मायके जाने पर तुम्हारी भाभी काम में जुटती है... तुम भी मायके से महंगे गिफ्ट लाती हो...” यह सुनकर अरुणिमा झेंपी, तो अनुभा हंसकर बोली, “मुझे लगता है कि पूरी चेन ही गड़बड़ है. यदि प्रत्येक लड़की ये सोचे कि वो अपनी संवेदना और उदारता अपने माता-पिता अपने मायके तक ही सीमित नहीं रखेगी और सास सोचे कि वो अपनी संवेदना, ममता व उदारता अपनी बेटी तक सीमित न रखे, तो कदाचित ये समस्या सुलझे...” “ऐसा कभी नहीं होगा...” सुनीता ने अनुभा को घूरते हुए जवाब दिया, तो अनुभा हंसकर बोली, “क्यों नहीं होगा... ससुराल में अपने सास-ससुर के प्रति संवेदनशीलता और मायके में अपनी भाभी के प्रति उदारवाद का रवैया अपनाकर एक नई शुरुआत हो सकती है.”     यह भी पढ़ें: वज़न घटाना चाहते हैं, तो बदलें सुबह की ये 9 आदतें (Adopt These 9 Morning Habits For Weight Loss)     “यानी हम ही हर जगह अपनी भूमिका ढूंढ़ें, पुरुषों को ज़िम्मेदारियों से मुक्त कर दें...”

अगला भाग कल इसी समय यानी ३ बजे

पढ़ें..

मीनू त्रिपाठी    
अधिक कहानियां/शॉर्ट स्टोरीज़ के लिए यहां क्लिक करें – SHORT STORIES

Share this article