सूफी गायिकी के उस्ताद कैलाश खेर आज सफल गायक हैं. उनकी गायकी के दीवाने देश ही नहीं पूरी दुनिया में हैं, लेकिन कैलाश के लिए मेरठ से बॉलीवुड तक का सफर तय करना इतना आसान नहीं था. यहां तक कि उनके जीवन में एक दौर ऐसा भी आया कि उन्होंने सुसाइड तक करने की कोशिश की थी. उन्होंने ऐसा क्यों किया था, कितनी संघर्षपूर्ण रही उनकी ये सक्सेस जर्नी, आइए जानते हैं.
कैलाश खेर का जन्म कश्मीरी पंडित परिवार में मेरठ (उत्तर-प्रदेश) में हुआ था. कैलाश के घर में शुरू से ही संगीत का माहौल रहा. उनके पिता पारंपरिक लोक गायक थे. कैलाश को बचपन से ही गाने का शौक था. महज 12 वर्ष की उम्र से उन्होंने शास्त्रीय संगीत की शिक्षा लेनी शुरू कर दी थी. वे पाकिस्तानी सूफी गायक नुसरत फतेह अली खान से बहुत पर प्रभावित थे और संगीत के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए उन्हें प्रेरणा भी उन्हीं से मिली. लेकिन आज जिस मुकाम पर कैलाश खेर हैं, वहां तक पहुंचने के लिए उन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ा है.
महज 13 साल की उम्र में वो संगीत की तलाश में घर छोड़कर निकल पड़े थे.
कैलाश खेर को शुरू से ही संगीत में दिलचस्पी थी. कैलाश को लगता था कि जो हुनर उनके अंदर है, उसे निखारने के लिए उन्हें किसी गुरू की जरूरत है. वे घर से तो निकल पड़े थे, पर घर छोड़ने के बाद कैलाश को जिंदगी काटने के लिए पैसों की तो ज़रूरत थी ही. इसलिए कैलाश ने संगीत की शिक्षा देनी शुरू कर दी. उन्हें हर क्लास के 150 रुपये मिलते थे. बस उनका जीवन कटने लगा. उन्हें मिलता था. इस पैसे से कैलाश अपना खर्च चलाने लगे. पर कुछ दिनों बाद उन्हें लगने लगा कि सिर्फ इतने से पूरा जीवन नहीं कटेगा. कुछ और सोचना पड़ेगा.
फैमिली लाइफ, 9 साल के बेटे के पिता हैं कैलाश खेर
कैलाश खेर ने 11 साल पहले 14 फरवरी, 2009 को मुंबई बेस्ड स्टूडेंट शीतल भान से शादी की थी. शादी के दो साल बाद कैलाश दिसंबर, 2011 में बेटे कबीर के पिता बने. वैसे, कैलाश खेर की वाइफ शीतल बेहद खूबसूरत हैं और पेशे से लेखिका हैं. वो कद में भी कैलाश खेर से लंबी हैं. कैलाश खेर जहां 5 फीट 2 इंच के हैं, वहीं उनकी पत्नी की हाइट करीब साढ़े 5 फीट है.
जब डिप्रेशन की वजह से सुसाइड करने की कोशिश की
प्लेबैक सिंगिंग से लेकर अपने म्यूजिक कॉन्सर्ट में कैलाश खेर ने काफी शोहरत कमाई है, लेकिन उन्हें यहां तक पहुंचने के लिए काफी संघर्ष भी करना पड़ा है. उनकी जिंदगी में एक दौर ऐसा भी था कि वो डिप्रेशन में आ गए थे और उन्होंने आत्महत्या करने की कोशिश तक की थी. दरअसल घर छोड़ने के बाद कैलाश ऋषिकेश आकर बस गए और गंगा तट पर साधु संतों के साथ मिलकर भजन मंडली में हिस्सा लेने लगे थे. इस दौरान उन्होंने इस दौरान वो ज्योतिष और कर्मकांड सीखने तक की कोशिश की. यहां भी मन नहीं लगा
तो खुद का बिजनेस शुरू किया. 1999 में उन्होंने अपने एक फैमिली फ्रेंड के साथ हैंडिक्राफ्ट का बिजनेस शुरू किया. कुछ समय तो ये काम ठीक चला, लेकिन फिर कैलाश को इस काम में भारी नुकसान हुआ. बिजनेस में नुकसान होने से कैलाश डिप्रेशन में चले गए और उन्होंने अपनी जिंदगी को खत्म करने का फैसला कर लिया. उन्होंने एक दिन नदी में छलांग तक लगा दी, लेकिन उनके दोस्तों ने उन्हें डूबने से बचा लिया. इस तरह सुसाइड की कोशिश में वो कामयाब नहीं हो पाए.
सपनों के शहर जाने के बाद संयोग से गायक बन गए
इतना सब करने के बाद कैलाश खेर को लग रहा था कि वो एक सफल गायक बन सकते हैं. साल 2001 में दिल्ली से निकल कर वो मुंबई पहुंच गए. पैसे तो थे नहीं तो पैसों के अभाव के चलते वो सस्ते से चॉल में रहते थे. काम की तलाश में जगह-जगह भटकते रहते थे. उनकी हालत इतनी खराब थी कि स्टूडियो जाने तक के लिए उनके पास पैसे नहीं होते थे. उनके पास पहनने के लिए एक सही चप्पल भी नहीं थी. वह एक टूटी चप्पल ले 24 घंटे स्टूडियो के चक्कर लगाते रहते, ताकि कोई उनकी आवाज को सुन उनको गाने का मौका दे दे. फिर उनकी मुलाकात हुई डायरेक्टर राम सम्पत से, जिसने उनकी ज़िंदगी बदल दी. राम संपत ने कैलाश को एड जिंगल्स गाने का मौका दिया. कैलाश ने पेप्सी से लेकर कोका कोला जैसे बड़े ब्रान्ड्स के लिए जिंगल्स गाए.
'अल्लाह के बंदे' गाने से मिली पहचान
मुंबई में कई सालों तक स्ट्रगल करने के बाद कैलाश को फिल्म 'अंदाज' से ब्रेक मिला. इस फिल्म में कैलाश ने 'रब्बा इश्क ना होवे' में अपनी आवाज दी, जिसे लोगों ने पसन्द किया, लेकिन उन्हें पहचान मिली 'अल्लाह के बंदे' गाने से. इसके बाद वो इतने हिट हो गए कि कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. कैलाश 18 से अधिक भाषाओं में गाने गा चुके हैं. बॉलीवुड में ही उन्होंने 500 से ज्यादा गाने गाए और दर्जनों अवार्ड जीत चुके हैं. 'तेरी दीवानी', 'ओ सिकंदर' उनके पॉपुलर गाने में से एक हैं.
'पद्मश्री' सम्मान
कैलाश खेर को साल 2017 में 'पद्मश्री' पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. फिल्मफेयर बेस्ट मेल प्लेबैक सिंगर का अवॉर्ड भी कैलाश खेर अपने नाम कर चुके हैं.