सलमान खान भले ही दबंग हों लेकिन एक्टिंग के मामले में इनका हाथ तंग ही है. इंडस्ट्री में इतने साल काम करने के बाद अब भले ही कुछ रोल्स में वो फिट बैठते हैं लेकिन जब भी वो इमोशनल सीन करते हैं लोगों की हंसी छूट जाती है. हालाँकि फ़िल्म तेरे नाम में इन्हें ज़रूर पहली और शायद आख़िरी बार सच में एक्टिंग करते देखा गया था.
जॉन अब्राहम की बॉडी जितनी दमदार और हॉट है एक्टिंग उतनी ही ठंडी है. इनके चेहरे पर लोग एक्सप्रेशन देखने को तरस जाते हैं, लेकिन ये हैं कि हर सिचुएशन में एक ही तरह के एक्सप्रेशन देते देते थकते ही नहीं.
तुषार कपूर को देख के तो लोग यही सोचते हैं कि आख़िर क्या सोच के इन्होंने इस फ़ील्ड को चुना. बस स्टार किड हैं इसलिए सोचा बन जाएँगे हीरो. इनकी डायलॉग डिलीवरी तो इतनी कमाल की है कि फ़िल्म गोल माल में भी इनको गूंगे का रोल दिया गया और उसी में लोगों को ये पसंद भी आए.
अर्जुन कपूर को तो उनकी एक्टिंग के लिए इतने निगेटिव कमेंट्स मिलते हैं कि खुद अर्जुन भी अपने आप पर हंसते हंसते उन्हें लेते हैं. अर्जुन की समास्या भी उनके एक्सप्रेशन की ही है जो आते ही नहीं चेहरे पर. दमदार शरीर है पर एक्टिंग उतनी ही बेदम है.
टाइगर श्रॉफ के लिए कहा जाता है कि वो बहुत कुछ कर सकते हैं सिवाय एक्टिंग के. फ़्लैट एक्सप्रेशन देने में वो भी माहिर हैं. बॉडी शानदार है, डांसिंग कमाल है, स्टंट्स अच्छे करते हैं लेकिन जो नहीं कर सकते वो है एक्टिंग. लोग कहते हैं कि इनको एक्टिंग छोड़ कोरियोग्राफ़र बन जाना चाहिए, शायद वहां ये ज़्यादा फिट बैठें, लेकिन स्टार किड्स तो यही सोचते हैं कि एक्टिंग इनको विरासत में मिली होती है.
उदय चोपड़ा ने आख़िर क्या सोचा कि वो बड़े फ़िल्मी ख़ानदान से हैं तो लोगों की भावनाओं से खेल सकते हैं? क्यों हीरो बनने तक का ख़याल आया उनके मन में. एक्टिंग के नाम पर ज़ीरो और बनने चले हीरो.
हरमन बावेजा पर भी उदय चोपड़ा वाली बात लागू होती है. उन्हें लगा कि चेहरा रितिक रोशन से मिलता है तो हीरो बन सकते हैं, लेकिन एक्टिंग नाम की भी कोई चीज़ होती है या नहीं. खैर हरमन खुद ही समझ गए होंगे जब दर्शकों ने उन्हें नकार दिया.
हिमेश रेशमिया ने अच्छा ख़ासा सिंगिंग और म्यूज़िक कंपोज़र का करियर छोड़ के हीरो बनने की ठानी, उन्हें लगा वो फेमस हैं तो लोग उनको हीरो के रूप में भी हज़म कर लेंगे, लेकिन एक्टिंग तो सीख लेते पहले.
जैकी भगनानी को भी लगा कि पिता बड़े प्रोड्यूसर हैं तो क्यों ना मैं भी हीरो बन जाऊं लेकिन अपनी पहली फिल्म फ़ालतू की सफलता के बाद भी वो टिक नहीं पाए क्योंकि हमेशा एक सा एक्सप्रेशन भला दर्शक कितना और कब तक बर्दाश्त करते. अब वो खुद भी फ़िल्म मेकिंग में आ गए, शायद यहां उनकी दाल गले.
इनमें से कुछ हीरोज़ तो ऐसे भी हैं जिन्होंने बक़ायदा मशहूर एक्टिंग स्कूल्स से एक्टिंग की ट्रेनिंग ली है. सोचिए ट्रेनिंग लेने पर ये हाल है तो बिना ट्रेनिंग के ये क्या गुल खिलाते.
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