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खाने के टेबल पर आपका व्यवहार बताता है आपका पारिवारिक माहौल (Your behavior at the dining table reveals your family environment)

खाने के समय या फिर डिनर टेबल पर अच्छा खाना मिले, भला ये कौन नहीं चाहता. हर किसी की ख़्वाहिश रहती है कि उसे खाने में स्वादिष्ट भोजन मिले. लेकिन कई लोगों की ये चाहत होती है कि खाने की टेबल पर स्वादिष्ट भोजन के साथ परिवारवालों का साथ भी मिले. वैसे भी किसी के घर के लोगों का व्यवहार जानना हो, तो उनके साथ एक डिनर प्लान करें. ऐसा करके आप उनके बारे में बहुत कुछ जान जाएंगे.

डाइनिंग एटिकेट दूसरों के प्रति सांस्कृतिक मूल्यों और व्यक्तिगत सम्मान को दर्शाता है. फिर चाहे फॉर्मल डिनर हो, कैजुअल मील हो या कोई और पर्सनल डिनर. सही टेबल मैनर्स सबके लिए ख़ुशनुमा डाइनिंग अनुभव सुनिश्‍चित करते हैं. आइए, डाइनिंग एटिकेट के साथ फैमिली नेचर को समझते हैं.

खाने का इंतज़ार करते समय ग़ुस्सा आना

कई बार होता है ना कि मम्मी ने खाने के लिए आवाज़ लगा दी और हम अपना काम छोड़कर डिनर टेबल पर पहुंच जाते हैं. लेकिन जब हम पहुंचते हैं, तो पता चलता है अभी तो सब्ज़ियां गर्म ही हो रही हैं और हमारा पारा हाई हो जाता है कि जब खाना तैयार नहीं था तो हमें क्यों बुलाया. क्या आपको लगता है ये सही तरीक़ा है? इसके विपरीत खाना नहीं लगा, तो हमें खाना लगाने में मदद करनी चाहिए, ना कि चिल्लाना चाहिए. इससे पता चलता है कि उस घर के बच्चे मम्मी-पापा की कितनी रिस्पेक्ट करते हैं. अगर कहीं बाहर खाना खा रहे हैं और वेटर ने आने में देर लगा दी, तो आप उस वक़्त चिल्लाएंगे या फिर उसे नम्रता से जल्दी खाना लाने को कहेंगे. आपका ये बर्ताव बहुत कुछ दर्शाता है.

टेबल पर अपनी बारी का इंतज़ार करें

कई लोगों की आदत होती है जैसे ही रोटी टेबल पर आए, तो लपक कर उसे वे ही ले लेना चाहते हैं, ताकि जल्दी खाना ख़त्म करके वे उठकर जा सकें, ये अच्छी आदत नहीं है. हमेशा टेबल पर अपनी बारी आने का इंतज़ार करें, न कि खाना लेने की जल्दीबाज़ी करें. हमेशा धैर्यपूर्वक अपनी बारी का इंतज़ार करें और दूसरों को भी सम्मान दें. इससे आपके धैर्यपूर्ण व्यवहार का पता चलता है.

जब सब खाना खा लें तभी टेबल से उठें

अगर आपका खाना जल्दी ख़त्म हो गया है, तो भी टेबल से उठने की ज़ल्दबाज़ी ना मचाएं. सामनेवाले को अपना खाना ख़त्म करने दें, तभी आप भी उठें. बच्चों को भी बताएं कि अगर सभी के साथ खाना खाने बैठे हैं, तो सभी लोगों के खाना शुरू करने के बाद ही खाना खाएं और जब सभी खाकर उठें, तभी डाइनिंग टेबल पर से उठें, वरना लोग आपको जज करेंगे.

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विनम्र तरी़के से डिश पास करें

खाने की डिश पास करना भी एक भारी काम तो नहीं लगता आपको? कहीं आपका जवाब ये तो नहीं होता कि ख़ुद ले लो इधर आकर, मैं अपना खाने में बिज़ी हूं. अगर आप भी ऐसा करते हैं, तो ये व्यवहार सही नहीं है. अगर आप घर के बड़े भी हैं और आपको लगता है ये करना आपकी ज़िम्मेदारी नहीं है तो भी आप ग़लत हैं. ये कोई काम नहीं है, बल्कि टेबल पर किया जाने वाला आपसी व्यवहार है. अगर खाने के दौरान कोई आपको खाने की डिश पास करने को कहे, तो विनम्र तरी़के से कर दें. आपसे ही बच्चे सीखेंगे. बच्चे को बताएं कि अगर उन्हें कोई डिश पास करे या कुछ खाने को परोसे, तो उसका धन्यवाद करें.

खाने में कमियां न निकालें

इस बात को समझें कि जो भी खाना बना रहा है, वह उसमें मेहनत कर रहा है. अगर वह आपके टेस्ट के अनुसार नहीं है, तो एक बार उन्हें बता दें या फिर ख़ुद थोड़ा सा एफर्ट करके उस खाने को अपने टेस्ट के अनुसार बना लें. लेकिन बजाय इसके पूरे टाइम उनके बनाएं खाने की बुराइयां करना शिष्टाचार नहीं है. इससे लगता है कि आपके घर में लोग हमेशा छोटी-छोटी बातों पर उलझते होंगे और एक-दूसरे के एफर्ट की सराहना नहीं करते होंगे. इसलिए अगर किसी डिश का स्वाद अच्छा न लगे, तो भी उसका मज़ाक न उड़ाएं. उनके बनाए खाने की इज़्ज़त करें.

अपने खाने की प्लेट ख़ुद उठाकर रखें

अगर आप भी खाना खाने के बाद अपनी प्लेट टेबल पर छोड़कर ही चले जाते हैं, तो ऐसा ना करें. यह सही नहीं है. यह शिष्टाचार का पहला नियम है कि अपने झूठे बर्तन ख़ुद उठाने चाहिए. जिन घरों मे पुरुष अपने बर्तन महिलाओं से नहीं उठवाते, बल्कि ख़ुद ही किचन में रखते हैं, उन घरों में महिलाओं का सम्मान किया जाता है, ये बात साफ़ समझ आती है. बाहर से आनेवाला व्यक्ति भी इसे देखकर आपके घर के माहौल का अंदाज़ा लगा लेता है कि यहां महिलाओं को केवल काम करने की मशीन नहीं समझा जाता.

मुंह में खाना रखकर बोलना

कई लोगों की आदत होती है कि वह खाना खाते हुए ज़ोर-ज़ोर से बोलते या हंसते रहते हैं और उनके मुंह से खाना गिरता रहता है. यह चीज़ सामनेवाले को बहुत बुरी लगती है. मुंह में खाना रखकर कभी नहीं बोलें. यह देखनेवाले को बहुत भद्दा लगता है. साथ ही गले में खाना अटकने का भी डर रहता है. इससे कई बार यह भी इम्प्रेशन पड़ता है कि इस घर में किसी को गुटका, पान मसाला आदि खाने की आदत भी हो सकती है, तभी मुंह में खाना भरकर बोलना यहां नॉर्मल है. इसलिए बातचीत शुरू करने से पहले चबाना और निगलना बंद करें. मुंह में खाना रखकर बोलने से यह न केवल भद्दा दिख सकता है, बल्कि बातों को समझने में दिक़्क़त भी हो सकती है.

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खाने की टेबल पर मोबाइल बैन हो

यह फैमिली का मी टाइम होता है. जहां पूरे दिन के थके हुए लोग एक-दूसरे से अपनी दिनचर्या की अच्छी-बुरी बातें शेयर करते हैं. ऐसे में अगर आप वहां मोबाइल पर बातें करते हुए खाने लगेंगे, तो बाकी लोग भी अनकंफर्टेबल हो जाएंगे. कोई गेस्ट आया हुआ है, तो उसे भी लगेगा कि यह कैसी फैमिली है, गेस्ट की कोई परवाह नहीं है अपने मोबाइल में ही लगे हैं, तो फिर हमें क्यों बुलाया? इसलिए डाइनिंग टेबल पर सबके साथ खाते हुए फोन की रिंगटोन साइलेंट कर लें या वाइब्रेशन पर डाल लें.

सर्विंग साइज़ का ध्यान रखें

अपनी प्लेट में उतना ही खाना लें, जितना आप खा सकते हैं. खाना बर्बाद करने से बचें. यदि फैमिली के साथ भोजन कर रहे हैं, तो दूसरी बार लेने से पहले फैमिली के बारे में भी सोच लें. अगर लग रहा है कि कोई चीज़ कम है, तो उसे बाकी लोगों के लिए भी छोड़ दें. इससे पता चलता है कि आप खाने और कमाने के महत्व को समझते हैं.

- शिखा जैन

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