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कहानी- सिगरेट के धुएं के जादुई छल्ले (Short Story- Cigarette ke dhue ke Jadui challe)

"मुझे माफ़ कर यार. तेरे शौक देखकर मेरा तो दिल दहल रहा है. तुझे क्या हो गया नेहा?''
''ज़्यादा सेंटी मत हो यार, लाइफ एंजॉय करना सीख! यह मुंबई है. हम यहां नहीं जिए, तो कहां जिएंगे? शामली में?''
''पर ये बेकार शौक रखकर ही क्या मुंबई की लाइफ एंजॉय कर सकते हैं? जो ये सब शौक नहीं रखते, वे नहीं जी रहे यहां?''

तान्या ऑफिस में पूरी तन्मयता से काम कर रही थी. शाम के पांच बजे थे. नया-नया जॉब था. कुछ करने का, कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ने का नया-नया जोश था. तभी उसके मोबाइल पर नेहा का फोन आया. तान्या के चेहरे पर एक मुस्कुराहट उभर आई. उसके हेलो कहते ही नेहा ने अपने सदाबहार मस्त अंदाज़ में कहा, ''चल, आ जा. मुंबई में फ्राइडे नाइट से ही मस्ती शुरू हो जाती है.’’
नेहा के कहने के ढंग पर ही तान्या को हंसी आ गई, ''कल आ जाऊं. मामीजी ने तो अब मेरा डिनर भी बना लिया होगा.''
''अरे छोड़ मामीजी को. यह मुंबई है. शामली से यहां मामी, मौसी के साथ डिनर करने में अपनी लाइफ वेस्ट करने आई है क्या?''
''अच्छा मेरी मां, पर मेरे कपडे़ भी…"
''मेरे कपड़े पहन लेना और मामीजी को बता दे कि अब तू उनके घर संडे शाम को ही जाएगी.''
''नेहा, मां को यह अच्छा नहीं लगेगा.''
''चुपचाप आ जा, डिनर ऑर्डर करेंगे, मस्ती करेंगे. मैं भी घर पहुंच ही रही हूं."
''ठीक है, आती हूं."
तान्या ने कुछ ख़ुशी से, कुछ चिंता से अपना काम ख़त्म किया और परेल अपने ऑफिस से नेहा के फ्लैट पर भांडुप जाने के लिए निकल गई. वह नेहा के घर जा रही है, उसकी मामी यह सुनकर कुछ गंभीर तो हुई पर फिर प्यार से कहा, "ठीक है, टेक केयर बेटा."
तान्या और नेहा दोनों शामली के एक ही मोहल्ले में पली-बढ़ी थी. नेहा को मुंबई में सालभर पहले ही अच्छा जॉब मिल गया था. वह एक वन बेड रूम फ्लैट किराए पर लेकर रहती थी. तान्या ने अभी एक महीना पहले ही मुंबई में जॉब ज्वाइन किया था. उसके मामा-मामी के दोनों बेटे विदेश में रहते थे, तो मामा-मामी अनिल और सुनीता ने तान्या की मम्मी सुधा से यही कह दिया था कि तान्या उनके साथ रह सकती है.
तान्या को मामा-मामी के साथ अच्छा लगता था. दोनों उससे भरपूर स्नेह करते. नेहा दो-तीन बार तान्या से मिल चुकी थी. तान्या हर बार यह देखकर हैरान हुई थी कि मुंबई आने के बाद नेहा का पूरी तरह से कायापलट हो चुका था. वह अच्छे जॉब पर थी. अकेली रह रही थी. अपनी इस आज़ाद ज़िंदगी को वह अपने हिसाब से एंजॉय कर रही थी.


तान्या जब नेहा के फ्लैट पर पहुंची, नेहा ने जैसे ही फ्लैट का दरवाज़ा खोला, दोनों ख़ुश होकर गले तो मिली पर तान्या को खांसी का दौरा सा पड़ गया. खांसते-खांसते बोली, "नेहा, यह तो सिगरेट की स्मैल है, तू सिगरेट पीने लगी है?"
''हां, पीएगी?''
''तू पागल हो गई है क्या?''
तान्या पहले भी नेहा से मिलने आई थी, पर उसे यह पता नहीं चल पाया था. आज ध्यान से फ्लैट में नज़र दौड़ाई. किचन के एक कोने में शराब की बोतलें भी पड़ी थीं. सिगरेट के खाली पैकेट्स पड़े थे. तान्या के माथे पर सिलवटें पड़ गईं, ''नेहा, यह तो बड़ी ग़लत बात है, तूने यह सब क्या शुरू कर दिया?''

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तान्या सहेली के शौक देख कुछ उदास और गंभीर हुई.
''देख तानी, उपदेश मत देना.'' फिर उसे प्यार से बिठाते हुए उसके लिए जूस लाई. उसे देते हुए ख़ुद भी वहीं बैठ गई, बोली, ''तेरे मेरे पापा और भाई सब तो सिगरेट-शराब पीते हैं. फिर मैं क्यों नहीं पी सकती? तू अपने पापा और भाई को क्या कभी रोक पाई है?''
तान्या उसके लॉजिक पर हैरान सी उसे देखती रह गई, बोली, "वे ग़लत करते हैं, तो क्या हम भी ग़लत करें?''
''अरे यार, रिलैक्स, चल बता क्या खाएगी? पिज़्ज़ा?''
''हां चलेगा." तान्या ने सहज होते हुए कहा.
नेहा ने डिनर ऑर्डर कर दिया, फिर पूछा, ''वाइन पीएगी?''
तान्या ने हाथ जोड़े, "मुझे माफ़ कर यार. तेरे शौक देखकर मेरा तो दिल दहल रहा है. तुझे क्या हो गया नेहा?''
''ज़्यादा सेंटी मत हो यार, लाइफ एंजॉय करना सीख! यह मुंबई है. हम यहां नहीं जिए, तो कहां जिएंगे? शामली में?''
''पर ये बेकार शौक रखकर ही क्या मुंबई की लाइफ एंजॉय कर सकते हैं? जो ये सब शौक नहीं रखते, वे नहीं जी रहे यहां?''
''नहीं,'' कहते कहते नेहा ने हंसते हुए कहा, ''एक चीज़ दिखाऊं? बड़ी मेहनत से सीखा है.''
''क्या?''
''देख,'' कहकर नेहा ने सिगरेट का पैकेट खोला, फिर कहा, ''ओह ख़त्म हो गई लास्ट है. चल तानी, देख मेरा स्टाइल!’’ कहकर नेहा ने सिगरेट सुलगाई और हवा में धुंए के वैसे ही छल्ले बनाए जैसे मूवीज़ में दिखाया जाता है. तान्या ने अपने सिर पर निराशा से हाथ मारा. नेहा ने कहा, "तानी, पता है जब ये धुंए के छल्ले उड़ाती हूं न, लगता है यही लाइफ है. धुंए के इन जादुई छल्लों में जैसे एक थ्रिलिंग लाइफ में पहुंच जाती हूं, एकदम बिंदास, बेफिक्र! वाह तानी, मज़ा आ जाता है, ट्राई करेगी?''
''कभी नहीं."
नेहा ठहाका लगाते हुए उठी और एक ग्लास में शराब भी लेकर बैठ गई. तान्या बहुत असहज हुई कहा, "तेरी ये आदतें देखकर मुझे बहुत दुख हो रहा है नेहा.''
''क्यों? दुख क्यों हो रहा है? लड़के भी तो पीते हैं. समानता का ज़माना है. हम लड़को से कम हैं क्या?''
''लड़कों से बराबरी अच्छी चीज़ों में भी हो सकती है. अपने को लड़कों से इन शौकों में बराबरी देकर क्या मिलेगा तुम्हे? ख़राब हेल्थ?''
तान्या गंभीर बैठी रही. अचानक नेहा ने कहा, ''रुक, मैं ज़रा और सिगरेट मंगवा लेती हूं, ख़त्म हो गई है.''
फिर उसने डिलीवरी बॉय को फोन किया, ''प्लीज़ एक पैकेट गोल्ड फ्लैक ले आना, मैं पेमेंट कर दूंगी."
तान्या चुपचाप नेहा की हरकतें देखती रही. दोनों फिर आम बातें, हंसी-मज़ाक करने लगी. दो पुरानी सहेलियों की आम मस्ती शुरू हुई. दोनों अपने-अपने ऑफिस की बातें शेयर करती रहीं. नेहा अपने पैग बना-बना कर पीती रही. तान्या उसे आंखें दिखाती रही. थोड़ी देर बाद डोरबेल हुई. नेहा ने की होल से देखा, खाने का ऑर्डर आ गया था. नेहा ने दरवाज़ा खोला. डिलीवरी बॉय ने उसे खाने के पैकेट्स दिए. साथ ही एक पैकेट सिगरेट भी दिया. नेहा ने उसे सिगरेट की क़ीमत के साथ पचास रुपए एक्स्ट्रा भी दिए, तो वह बोला, "मैडम, यह कम है और दो."
''अरे, एक सिगरेट ही तो मंगाई है एक्स्ट्रा! इतना बहुत है. चलो, जाओ.''
''ऐ मैडम!'' कहते कहते उस लड़के ने पीछे सोफे पर बैठी तान्या पर एक नज़र डाली. सरसरी नज़र पूरे फ्लैट पर डालते हुए अंदर आ गया, ''मैडम, पैसे तो और भी चाहिए!’’ कहते कहते पलक झपकते ही नेहा के हाथ से उसका पर्स छीना उसमें से सारे रुपए निकाले और सीढ़ियों से उतर कर भाग गया. नेहा का फ्लैट पांचवीं फ्लोर पर था. नेहा उसके पीछे चिल्लाते हुए भागी. तान्या भी उसके पीछे भागी. ग्राउंड फ्लोर पर जाकर वह लड़का रुक गया.
दोनों को देखकर कुटिलता से हंसा. उसके दो साथी भी नीचे खड़े थे. वे भी दोनों लड़कियों को देखकर भद्दे इशारे करने लगे. बिल्डिंग का वॉचमैन आया. लड़कों को डपटने लगा, तो एक लड़के ने कहा, "अरे भाई, तू क्यों ऐसी लड़कियों के लिए बीच में आ रहा है?'' कहकर हंसते हुए लड़कों ने बाइक स्टार्ट की और चले गए. नेहा और तान्या ग़ुस्से में अपमानित सी खड़ी की खड़ी रह गईं. ऊपर घर खुला था. दोनों फिर लिफ्ट से ऊपर आईं. नेहा का ग़ुस्सा सातवें आसमान पर था. आते ही एक पैग एक घूंट में चढ़ा गई, फिर बोली, “मैं इसे छोडूंगी नहीं. इसकी शिकायत करुंगी. पहले इसकी कंपनी में शिकायत कर दूं." कहकर उसने उस लड़के की शिकायत की. फिर बोली, "अब पुलिस स्टेशन जाऊंगी, पास में ही है."
तान्या ने कहा, "पुलिस का चक्कर छोड़, तूने इस लड़के की शिकायत तो कर ही दी है न. टाइम देख, रात हो गई है."
"नहीं, मैं किसी से नहीं डरती. इस लड़के को तो सबक सिखा कर रहूंगी." कहते कहते तान्या ने एक पैग और लिया, फिर सिगरेट सुलगा ली. तान्या उसे रोकती रह गई.


नेहा ने ग़ुस्से में कांपती आवाज़ मैं कहा, "इसी समय पुलिस स्टेशन जा रही हूं.” फिर अपना बैग उठाया और चल दी.
तान्या भी उसके साथ-साथ चलती रही. पुलिस स्टेशन वॉकिंग डिस्टेंस पर ही था. नेहा ने वहां बैठे दो पुलिस वालों को पूरी बात बताते हुए अपना फोन दिखा कर कहा, "यह देखिए, इस लड़के की पूरी डिटेल्स. आप इसे अरेस्ट कीजिए.''
पहले पुलिस वाले ने दूसरे पुलिस वाले पर नज़र डाली. दोनों हंसे. एक बोला, "क्या मैडम, इतना ग़ुस्सा क्यों उस लड़के पर कर रही हो?"
नेहा चिल्लाई. कुछ नशे में, कुछ ग़ुस्से में. उसकी आवाज़ लहरा रही थी, "आपको बात समझ नहीं आई क्या?"
पुलिस वाले ने कहा, "आप सिगरेट पीती हो?''
''हां, तो?''
"शराब भी?''
''हां."
''अकेली रहती हो?''
''हां, इस सबका क्या मतलब है?''
''घरवाले कहां हैं?''
''आपको क्या करना है?''
''घरवालों को पता है, आपका स्मोकिंग, ड्रिंकिंग सब चालू है?''
नेहा अब झिझकी, "नहीं, पर आपको इस सबसे क्या करना है?''
पहला पुलिस वाला नेहा के थोड़ा क़रीब आया, "मैडम, आपने तो बहुत पी हुई है.''
तान्या इस दौरान जैसे किसी सदमे में घिरी खड़ी थी. किसी भी पुलिस स्टेशन में आने का यह उसका पहला मौक़ा था. वह अजीब सी दशा में मूर्तिवत खड़ी थी. नेहा गुर्राई, "आप उस लड़के के ख़िलाफ़ मेरी रिपोर्ट लिखिए.''
पुलिस वाले ने कुछ टालने वाले अंदाज़ में कहा, "कल आना जब आप ख़ुद नशे में न हों." कहकर दोनों पुलिस वाले कुछ अलग से अंदाज़ में हंसने लगे. तान्या ने नेहा का हाथ पकड़ा, "नेहा, चलो यहां से."
''जाओ मैडम, फ्रेंड की बात सुनो."
नेहा वहां डटी रही. पुलिस वाला फिर बोला, "मैडम, सिगरेट, शराब सब चलता है आपका, बॉयफ्रेंड, सेक्स सब चालू है?"
उसकी भद्दी सी हंसी पर नेहा की आंखों में अपमान के आंसू आ गए. तान्या उसे खींचती हुई सी बाहर ले गई. नेहा के आंसू अब नहीं रुक रहे थे. वह अब कुछ नशे में झूम सी भी रही थी. घर आने पर तान्या ने उसे प्यार से बिठाया. पानी पिलाया. उसे अब नेहा पर ग़ुस्सा नहीं तरस आ रहा था. पुलिस वालों की नज़रें, उनकी बातें याद करके नेहा को झुरझुरी सी आ रही थी.


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थोड़ी देर पहले लाइफ को इसी तरह एंजॉय करने की बात करने वाली नेहा अब फूट-फूट कर रो रही थी. तान्या ने उसके पास बैठकर उसका हाथ पकड़कर प्यार से कहा, "नेहा, मैं यह नहीं कहती कि उस लड़के या पुलिस वालों ने ठीक किया. वे पूरी तरह से ग़लत थे, पर सोच! तेरी सिगरट की लत ने आज हमें कहां पहुंचा दिया. हम पढ़ी-लिखी, आत्मनिर्भर लड़कियां इस समय कहां से रात को वापस आ रही हैं. रात इस समय दस बजे अपनी इंसल्ट करवा कर आ रही हैं. लड़कों से बराबरी सिगरेट, शराब पीकर नहीं करनी है. सही रास्ते पर चलते हुए मेहनत करके हम आज अपने पैरों पर खड़े हो गए, कर ली हमने लड़कों से यह बराबरी!अकेले रहकर सिगरेट के धुएं के छल्ले उड़ाना ही तुम्हारा सपना था?इसीलिए घर से मीलों दूर आए हम? हमारे पैरेंट्स ने हमें लड़कों के बराबर समझते हुए ही यह आज़ादी दी है, न कि हम आज यहां हैं. क्यों ग़लत शौकों में तुम्हे बराबरी करके दिखाना है?''
नेहा सिसकती जा रही थी. चुप नहीं हुई, तो तान्या ने उठकर उसकी गोद में सिगरेट का पैकेट फेंका, कहा, "ले, धुएं के छल्ले उड़ा ले. डूब जा इसके जादुई धुएं में. कर ले दुनियाभर के पुरुषों से बराबरी!''
नेहा झटके से उठी, सिगरेट का पैकेट डस्टबिन में फेंक कर मारा और तान्या के गले लगकर ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी. तान्या ने उसे बांहो में भर कर जी भर कर रोने दिया. वह समझ गई थी कि उसकी सहेली इस रात के बुरे अनुभव के बाद इस धुएं के बुरे जादू से बाहर आ गई है.

पूनम अहमद

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Photo Courtesy: Freepik

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