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बच्चों में आत्मविश्वास जगाने के आसान उपाय (Easy Ways To Build Self-Confidence In Children)

आज की पीढ़ी बहुत तेज़ी से आगे बढ़ रही है. हर क्षेत्र में प्रतियोगिता बढ़ गई है. ऐसे में यह भी संभव है कि कुछ बच्चे पीछे रह जाएं. कई बच्चे शारीरिक या मानसिक रूप से कमज़ोर होते हैं, जिसके कारण वे समय के साथ तालमेल नहीं बैठा पाते. ख़ास तौर पर ऐसे बच्चों में आत्मविश्वास पैदा करना माता-पिता के लिए एक चुनौती बन जाता है.

अक्सर देखा गया है कि माता-पिता अपने बच्चे की तुलना दूसरों से करते हुए उसकी आलोचना करते हैं या उसे डराते-धमकाते हैं. इसका विपरीत असर बच्चे के मन पर पड़ता है और वह मानसिक रूप से और अधिक डरपोक और कमज़ोर हो जाता है. बच्चों को आत्मविश्वासी और निडर बनाने के लिए घर का वातावरण सकारात्मक, रचनात्मक और उत्साहवर्धक होना चाहिए.

निर्णय लेने के लिए प्रोत्साहित करें

बच्चे को उसकी उम्र के अनुसार निर्णय लेने की अनुमति दें और उसे इसके लिए प्रोत्साहित करें. इससे उसका आत्मविश्वास बढ़ता है. एक शोध के अनुसार, अगर बच्चे का लिया गया निर्णय सही है, तो उसकी सराहना करनी चाहिए. किसी भी दो-तीन चीज़ों में से एक चुनने के लिए बच्चे को प्रेरित करें, ताकि वह निर्णय लेने की क्षमता विकसित कर सके.

उसके प्रयासों की भी प्रशंसा करें

शोध से यह भी सिद्ध हुआ है कि बच्चों की सिर्फ़ सफलता की नहीं, बल्कि उनके प्रयासों की भी प्रशंसा करना बहुत आवश्यक है. यदि बच्चा किसी कारणवश किसी काम में असफल हो जाए, तो उसकी आलोचना या डांटने की बजाय उसके प्रयासों की सराहना करें और अगली बार अधिक मेहनत करने की सलाह दें. इससे बच्चा निराश होने की बजाय आगे बढ़ने की प्रेरणा पाता है.

सम्मानजनक व्यवहार रखें

जिन बच्चों के पैरेंट्स का व्यवहार और वाणी सम्मानजनक होता है, उन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता है. इससे उनका मनोबल मज़बूत होता है, आत्मविश्वास बढ़ता है और वे सकारात्मक सोच विकसित करते हैं. ऐसे बच्चे किसी भी चुनौती का सामना करते हुए केवल जोख़िम नहीं, बल्कि अनुभव प्राप्त करने की दृष्टि से सोचते हैं.

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चुनौतियों के समय प्रोत्साहित करें

हर चुनौतीपूर्ण परिस्थिति में बच्चे को निर्णय लेने और प्रयास करने के लिए प्रेरित करें. एक रिसर्च से यह साबित हुआ है कि बच्चों को छोटी-छोटी असफलताओं का अनुभव होने देना चाहिए और उनके साथ उस पर चर्चा कर मार्गदर्शन करना चाहिए. असफलता के कारणों को समझाने से उनका आत्मविश्वास बढ़ता है. बच्चे की असफलता पर उस पर दबाव डालना, आलोचना करना या उसे अपमानित करना अनुचित है.

सामाजिक संपर्क और भावनात्मक बुद्धिमत्ता विकसित करें

सामाजिक अनुभवों के माध्यम से बच्चे न केवल आत्मविश्वासी बनते हैं, बल्कि आत्म-नियंत्रण की समझ भी विकसित करते हैं. उन्हें सामाजिक और भावनात्मक क्षमताओं पर नियंत्रण पाने के लिए खेल-कूद, प्रतियोगिताओं और समूह गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें.

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इस प्रकार सकारात्मक मार्गदर्शन, सराहना और स्वतंत्रता से बच्चों में आत्मविश्वास का निर्माण होता है, जो उनके भविष्य की सफलता की नींव है.

- स्नेहा सिंह 

Photo Courtesy: Freepik

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