दिवाली के तुरंत बाद बहनें भाई दूज का इंतजार करती हैं, क्योंकि ये त्योहार भाई-बहन के बीच प्रेम की डोर को और मजबूत बनाता है. परदे पर तो कलाकारों के कई भाई-बहन होते हैं, लेकिन असली भाई-बहन के साथ त्योहार मनाने की बात ही कुछ और है. इन टीवी सेलिब्रिटीज़ ने अपने रियल भाई-बहन के साथ ऐसे मनाया भाई दूज का त्योहार.
शरद मल्होत्रा (Sharad Malhotra)
यह भाई दूज मैं अपने परिवार और चचेरे भाइयों के साथ कोलकाता में हूं. 10 महीनों के बाद उन्हें देखने के लिए मैं बहुत उत्सुक हूं, विशेष रूप से इस महामारी में परिवार से दूर रहना काफी मुश्किल था इसलिए इस बार अपने परिवार से मिलने की ख़ुशी और भी बढ़ गई है. हालांकि इस बार त्योहार में पहले की तरह सबसे एक साथ मिलना नहीं हो पाया, लेकिन अपने माता-पिता को देखने और उन्हें गले लगाने के सुख से बड़ी और कोई ख़ुशी नहीं है.
प्रणिता पंडित (Pranitaa Pandit)
मेरे भाई मुझसे ग्यारह साल बड़े हैं और मेरी बहन मुझसे नौ साल बड़ी हैं. मेरा उनके साथ बहुत प्यारा रिश्ता है और वो मुझे बहुत लाड़ करते हैं. मेरे भाई ने हमेशा मुझे प्रेरित किया है और मेरा मार्गदर्शन कियाहै. मुझे एक घटना याद है जब मैं उनसे कहा था कि आप मुझे दिवाली या भाई दूज पर कुछ भी न दें, मैं उस समय बहुत छोटी थी, लेकिन उन्होंने मुझे बहुत सारी स्टेशनरी, बहुत महंगी चीजें देकर इस त्योहार को मेरे लिए बहुत खास बना दिया था. हमारे लिए ये त्योहार बहुत ख़ास है.
अक्षित सुखिजा (Akshit Sukhija)
मेरी एक बड़ी बहन है, जिसकी शादी हो चुकी है. उसकी शादी करीब पांच साल पहले हो चुकी है और वो मुझसे सात साल बड़ी है. हमारे बीच बहुत प्यारी बॉन्डिंग है. वो दिल्ली में रहती है और उसका एक बच्चा भी है, इसलिए वो महामारी के कारण मुंबई नहीं आ सकती. मैं जल्द ही उनसे मिलने जा रहा हूं, लेकिन भाई दूज पर उनसे नहीं मिल पा रहा हूं. मुझे आज भी तीन साल पहले का भाई दूज का वो दिन याद है जब मेरी दिल्ली में शूटिंग हो रही थी और मुझे सुबह 6 बजे तक वहां पहुंचना था, इसलिए मैं सुबह 5 बजे अपनी बहन के घर पहुंच गया. हमने साथ मिलकर भाई दूज का त्योहार मनाया और फिर मैं शूटिंग के लिए निकल गया. इससे पता चलता है कि ये त्योहार कितने खास हैं और ये त्योहार हमें इस रिश्ते की अहमियत सिखाता है.
राजश्री रानी (Rajshri Rani)
मेरे तीन बड़े भाई हैं जो मुझसे काफी बड़े हैं. उन्होंने हमेशा मुझे लाड़ किया है. उनके साथ मेरा रिश्ता प्यार और देखभाल का अधिक है, लेकिन मेरे एक चचेरे भाई हैं जो मेरी उम्र के हैं और हमारा रिश्ता नोकझोंक भरा है. बचपन में मैं भाई दूज के लिए बहुत उत्साहित रहती थी, क्योंकि इस दिन मुझे पैसे मिलते थे. लेकिन अब सिर्फ इस दिन का इंतजार इसलिए रहता है, ताकि मैं घर पर अपने भाइयों के साथ कुछ समय बिता सकूं.