Close

ग़ज़ल (Gazal)

देख लेती हूं तुम्हें ख़्वाब में सोते-सोते
चैन मिलता है शब-ए-हिज्र में रोते-रोते

इक तेरे ग़म के सिवा और बचा ही क्या है
बच गई आज ये सौगात भी खोते-खोते

प्यार फलने ही नहीं देते बबूलों के शजर
थक गए हम तो यहां प्यार को बोते-बोते

बेवफ़ा कह के उसे छेड़े हैं दुनिया वाले
मर ही जाए न वो इस बोझ को ढोते-ढोते

इतनी दीवानी बनाया है किसी ने मुझको
प्यार की झील में खाती रही गोते-गोते

ऐसा इल्ज़ामे-तबाही ये लगाया उसने
मुद्दतें हो गईं इस दाग़ को धोते-धोते

आ गया फिर कोई गुलशन में शिकारी शायद
हर तरफ़ दिख रहे आकाश में तोते-तोते

तेरे जैसा ही कोई शख़्स मिला था 'डाली'
बच गए हम तो किसी और के होते-होते…

- अखिलेश तिवारी 'डाली'

Gazals

यह भी पढ़े: Shayeri

Photo Courtesy: Freepik

Share this article