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ग़ज़ल (Gazal)

आ गए आपकी मेहरबानी हुई
दिल की सरगम बजी शादमानी हुई

मिल गई प्यार की सल्तनत अब हमें
वो भी राजा हुआ मैं भी रानी हुई

जब से पड़ने लगी वो निगाह-ए-करम
फूल जैसी खिली ज़िन्दगानी हुई

लग गई क़हक़हों की झड़ी देखिए
इस कदर दोनों में ख़ुश बयानी हुई

फूल बूटे तरन्नुम से गाने लगे
जब शुरू प्यार की यह कहानी हुई

आज मौक़ा मुक़द्दर ने दे ही दिया
जो ये हासिल तेरी मेज़बानी हुई

दिल से 'डाली' लगाते हैं हम इसलिए
जां से प्यारी तेरी हर निशानी हुई…

- अखिलेश तिवारी डाली

  • शादमानी- ख़ुशी
  • निगाह-ए-करम- कृपादृष्टि

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