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ग़ज़ल- अब मैं अकेला हूं, कितनी ब...
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ग़ज़ल- अब मैं अकेला हूं, कितनी बड़ी राहत है… (Gazal- Ab Main Akela Hun, Kitni Badi Rahat Hai…)

By Usha Gupta in Shayeri , Geet / Gazal , Short Stories
अब मुझे किसी से शिकवा ना शिकायत है
अब मैं अकेला हूं, कितनी बड़ी राहत है
थी चोट लगी उनको और अश्क बहे मेरे
ऐ दिल तू ही बतला दे क्या यही चाहत है
प्यार में था उनके इंतज़ार का ये आलम
हर वक़्त गुमां होता जैसे कोई आहट है
खत का जवाब मेरे आता ज़रूर
पर कलम न उठी उनसे हाय कैसी नज़ाकत है
मुझको मुकाबिल पाकर उनका नकाब उठाना
क़यामत से पहले हाय ये कैसी क़यामत है
जनाज़े को मेरे वो न कांधा देने आए
दोस्तों से मुझको बस इतनी शिकायत है
अब मैं अकेला हूं, कितनी बड़ी राहत है…
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Photo Courtesy: Freepik