अब मुझे किसी से शिकवा ना शिकायत है
अब मैं अकेला हूं, कितनी बड़ी राहत है
थी चोट लगी उनको और अश्क बहे मेरे
ऐ दिल तू ही बतला दे क्या यही चाहत है
प्यार में था उनके इंतज़ार का ये आलम
हर वक़्त गुमां होता जैसे कोई आहट है
खत का जवाब मेरे आता ज़रूर
पर कलम न उठी उनसे हाय कैसी नज़ाकत है
मुझको मुकाबिल पाकर उनका नकाब उठाना
क़यामत से पहले हाय ये कैसी क़यामत है
जनाज़े को मेरे वो न कांधा देने आए
दोस्तों से मुझको बस इतनी शिकायत है
अब मैं अकेला हूं, कितनी बड़ी राहत है…
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Photo Courtesy: Freepik
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