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ग़ज़ल- धड़कन… (Gazal- Dhadkan…)
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ग़ज़ल- धड़कन… (Gazal- Dhadkan…)

By Usha Gupta in Shayeri , Geet / Gazal , Short Stories
एक दिन मैं
अपनी ही धड़कनों से
नाराज़ हो गया
इतनी सी शिकायत लेकर
कि जब तुम
उसके सीने में नहीं धड़क सकती
तो मेरे सीने में धड़कने की
ज़रूरत क्या है
धड़कनों का मज़ा तो तभी है
जब वो महबूब के
दिल में धड़कना जानें
जैसे मेरे दिल में
तड़पती हुई
तुम्हारी धड़कन…
– शिखर प्रयाग
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Photo Courtesy: Freepik