हर साल की तरह इस साल भी आपकी दीपावली को शुभ और सौभाग्यवर्द्धक बनाने के लिए मेरी सहेली लेकर आई है ख़ास दिवाली पर ये विशेष लेख, जिनमें शुमार हैं घर की सजावट से लेकर लक्ष्मी पूजन की विधि, वास्तु टिप्स और न्यूमरोलॉजी गाइड. तो चलिए, ज्योतिषी और वास्तु विशेषज्ञ रिचा पाठक के साथ मिलकर इस दिवाली पर पूजा विधि और मंत्रों के माध्यम से शांति, सफलता और समृद्धि की ओर एक कदम और बढ़ाएं और मनाएं शुभ दीपावली!
दिवाली, भारत का सबसे महत्वपूर्ण और उल्लासपूर्ण पर्व, न केवल एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि एक ऐसा अवसर भी है जो आपके जीवन में समृद्धि, सुख और शांति लाने का एक ख़ास मौक़ा होता है. विशेष रूप से इस साल 2025 में दिवाली का यह पर्व 18 अक्टूबर से लेकर 23 अक्टूबर तक मनाया जाएगा. यह समय न केवल व्यक्तिगत जीवन के लिए, बल्कि कॉर्पोरेट और व्यापारिक सफलता के लिए भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है. ज्योतिष, वास्तु और अंकशास्त्र के द्वारा आप इस दिवाली को स़िर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति, आर्थिक समृद्धि और व्यावसायिक सफलता के एक नए अध्याय के रूप में बदल सकते हैं.
धनतेरस
शनिवार, 18 अक्टूबर 2025
धनतेरस का महत्व
समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद
- धनतेरस, दीपावली के पांच दिवसीय पर्व का प्रथम दिन है और इसे धन एवं समृद्धि का प्रतीक माना जाता है.
- इस दिन आयुर्वेदाचार्य भगवान धन्वंतरि तथा धन के अधिपति भगवान कुबेर की विशेष पूजा की जाती है.
- माना जाता है कि इस दिन घर में की गई पूजा और उपाय जीवन में धन, स्वास्थ्य और सफलता का मार्ग प्रशस्त करते हैं. सोना-चांदी या किसी भी धातु की वस्तु ख़रीदने की परंपरा समृद्धि का प्रतीक है.
- वास्तु शास्त्र की दृष्टि से भी यह दिन विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह वास्तु दोष निवारण और सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह का श्रेष्ठ समय है.
धनतेरस पूजा विधि
शुभ मुहूर्त
समयः शाम 6.30 बजे से 8.00 बजे तक
इस समय किए गए कुबेर और धन्वंतरि पूजन से सर्वोत्तम फल प्राप्त होते हैं.
पूजा विधि
पूजा स्थल का चयन
घर के उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) में स्वच्छ और पवित्र स्थान पर पूजा स्थल तैयार करें.
मंत्र जप
श्रीं कुबेराय नमः
धन्वंतरि नमः
दीप और धातु का प्रयोग
दीपक जलाकर पूरे घर को प्रकाशमान करें. साथ ही सोना-चांदी या धातु की कोई वस्तु अवश्य ख़रीदें, ताकि घर में समृद्धि और सुख-शांति का आगमन हो.
नरक चतुर्दशी/ काली चौदस
सोमवार, 20 अक्टूबर 2025
नरक चतुर्दशी का महत्व
बुराई का नाश और अच्छाई की जीत
- नरक चतुर्दशी का दिन नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने और पवित्रता को आकर्षित करने का दिन है.
- इस दिन मां काली और यमराज की पूजा करके हम अपने जीवन से दुख और दरिद्रता को दूर करते हैं.
- साथ ही उबटन लगाकर स्नान करने की परंपरा के माध्यम से हम शारीरिक और मानसिक शुद्धता प्राप्त करते हैं.
नरक चतुर्दशी पूजा विधि
शुभ मुहूर्त
समयः प्रातः 5.30 से 7.00 तक
इस समय उबटन और शुद्धिकरण करना सबसे श्रेष्ठ माना गया है.
पूजा विधि
उबटन और स्नानः सुबह जल्दी उठकर उबटन लगाकर स्नान करें, जिससे आपके शरीर से नकारात्मकता निकल जाए.
काली मां की पूजाः काली महाक्रूरी मंत्र का जाप करें.
दीपक प्रज्जवलित करेंः घर के प्रत्येक कोने में दीपक जलाएं, विशेष रूप से घर के मुख्य द्वार पर.
लक्ष्मी पूजन
मंगलवार, 21 अक्टूबर 2025
मां लक्ष्मी की पूजा का महत्व
- दिवाली के दिन मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व होता है, क्योंकि यह देवी लक्ष्मी के स्वागत का पर्व है.
- लक्ष्मी माता को धन, समृद्धि और सुख की देवी माना जाता है. यह दिन न केवल व्यक्तिगत जीवन, बल्कि व्यवसायिक उन्नति और समृद्धि का भी अवसर प्रदान करता है.
- दिवाली का पर्व धार्मिक दृष्टिकोण से जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही यह आंतरिक शांति और बाहरी सफलता को भी प्रभावित करता है. लक्ष्मी पूजा के माध्यम से हम केवल भौतिक संपत्ति का स्वागत नहीं करते, बल्कि ख़ुशी, संतुलन और मानसिक शांति को भी जीवन में आमंत्रित करते हैं.
- यह पूजा इस बात का प्रतीक है कि हमारी मेहनत और अच्छे कर्मों के साथ ईश्वर का आशीर्वाद भी हमें प्राप्त होगा.
लक्ष्मी पूजा विधि
शुभ मुहूर्त
समयः शाम 6.48 से 8.20 तक
यह काल अमृत काल माना जाता है, जब देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद सर्वाधिक प्रभावी होता है. इस समय पूजा करने से जीवन में शांति, समृद्धि और स्थिरता का वास होता है.
लक्ष्मी पूजा सामग्री
कलशः पानी, आम के पत्ते और नारियल.
पंचामृतः दूध, शहद, दही, घी और शक्कर.
दीपकः घी या तेल का दीपक, अगरबत्ती, चंदन और हल्दी, कुमकुम, लक्ष्मी माता की मूर्ति या चित्र.
फूलः गेंदा, गुलाब, चमेली.
फलः केले, अनार, नारियल.
मिठाइयांः लड्डू, पेड़ा, बर्फी.
अन्य सामग्रीः
- सोने-चांदी के सिक्के, सुपारी और पान के पत्ते.
- तुलसी के पत्ते, घंटी, नारियल, अक्षत, मौली, गंगाजल.
- श्री यंत्र, कुबेर यंत्र, रुद्राक्ष माला.
मां लक्ष्मी पूजा विधि
पूजा स्थल का चयन
- उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) का चयन करें.
- स्थल को शुद्ध और पवित्र रखें.
- दीपक और फूलों से सजाएं, ताकि सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह हो.
- पूजा स्थल पर लक्ष्मी माता की मूर्ति या तस्वीर रखें.
- उन्हें सुंदर ढंग से सजाएं और पूजा के दौरान ध्यानपूर्वक आराधना करें.
श्री यंत्र का पूजन
श्री यंत्र को पीले कपड़े पर रखकर पूजन करें.
मंत्र जप
श्रीं महालक्ष्म्यै नमः मंत्र का जाप करें. यह धन, समृद्धि और सुख के आह्वान के लिए विशेष रूप से प्रभावी है.
दीपमालिका और दीपक जलाना
- घर के सभी कोनों में दीपक रखें.
- मुख्य द्वार पर विशेष रूप से चारमुख दीपक जलाएं.
- दीपक की रौशनी घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है और नकारात्मकता को नष्ट करती है.
प्रसाद वितरण
- पूजा के बाद सभी सदस्य मिलकर प्रसाद ग्रहण करेंे.
- मिठाई और प्रसाद बांटने से घर में सुख-समृद्धि और रिश्तों में एकजुटता बढ़ती है.
बलि प्रतिपदा
बुधवार, 22 अक्टूबर 2025
बलि प्रतिपदा का महत्व- बुराई का नाश
- बलि प्रतिपदा का दिन उस पौराणिक प्रसंग की याद दिलाता है जब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर असुर राज बलि के अहंकार का नाश किया था.
- यह पर्व धर्म की विजय और अधर्म के नाश का प्रतीक है.
- इसी कारण इसे घर और परिवार में समृद्धि, शांति और सकारात्मक ऊर्जा के प्रवेश का दिन भी माना जाता है.
शुभ मुहूर्त
समयः प्रातः 6.00 से 8.00
पूजा विधि
पूजा स्थल की तैयारी
- घर के उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) को पूजा के लिए चुनें.
- स्थान को अच्छी तरह स्वच्छ करें और
रंगोली बनाकर सजाएं.
- पूजा स्थल पर एक चौकी बिछाएं और उस पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं.
राजा बलि की स्थापना और पूजा
- राजा बलि की प्रतीकात्मक प्रतिमा, चित्र या कलश स्थापित करें.
- उन्हें पुष्प, अक्षत, रोली और दीपक से पूजन करें.
मंत्र जप
नमो भगवते वामनाय मंत्र का जप करें. इस मंत्र के जप से अहंकार और बुराई का नाश होता है.
दान का महत्व
- बलि प्रतिपदा के दिन ज़रूरतमंदों को भोजन, कपड़े या धन का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है.
- यह न केवल पुण्य प्रदान करता है, बल्कि घर में बरकत और सौभाग्य भी लाता है.
गोवर्धन पूजा
बुधवार, 22 अक्टूबर 2025
गोवर्धन पूजा का महत्व
श्रीकृष्ण की महिमा और समृद्धि
- गोवर्धन पूजा दीपावली के दूसरे दिन (कुछ स्थानों पर तीसरे दिन) की जाती है.
- इस दिन भगवान श्रीकृष्ण द्वारा इंद्रदेव के अभिमान को तोड़ने और गोवर्धन पर्वत उठाकर भक्तों की रक्षा करने की कथा स्मरण की जाती है.
- यह पर्व हमें प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण का संदेश देता है. यह अहंकार पर विजय और भाईचारे का प्रतीक है.
- साथ ही घर में सुख-समृद्धि, अन्न की बरकत और ईश्वर की कृपा बनाए रखने का मार्ग प्रशस्त करता है.
शुभ मुहूर्त
समयः शाम 6.26 से 8.42 तक
पूजा विधि
पूजा स्थल की तैयारी
- घर के आंगन या मंदिर के स्थान को स्वच्छ करें.
- भूमि पर गोबर से गोवर्धन पर्वत का प्रतीकात्मक स्वरूप बनाएं. कुछ लोग मिट्टी से भी बनाते हैं.
- पर्वत का आकार बनाकर उसे फूलों, पत्तों और रंगोली से सजाएं.
पूजन सामग्री
- गोबर/मिट्टी से बने पर्वत को सजाने के लिए फूल, पत्ते और दीपक.
- अन्नकूट (विभिन्न पकवान), मिठाई, नमकीन, सब्जियां, खीर.
- धूप, दीप, अक्षत, रोली, जल और तुलसी दल.
- पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी और शक्कर)
पूजा विधि
- सबसे पहले गोवर्धन पर्वत (गोबर या मिट्टी से बने स्वरूप) की स्थापना करें.
- पर्वत के चारों ओर दीपक जलाएं और उसे फूलों से सजाएं.
- गोवर्धन पर्वत को जल, रोली, अक्षत और पुष्प अर्पित करें.
- श्रीकृष्ण का स्मरण करते हुए तुलसी दल चढ़ाएं.
- नमो भगवते वासुदेवाय और गोवर्धन स्तुति मंत्रों का जाप करें.
- भगवान को अन्नकूट (विभिन्न व्यंजन) का भोग लगाएं.
- भोग लगाने के बाद परिवार और आस-पड़ोस में इसे प्रसाद स्वरूप वितरित करें.
दान और सेवा
- इस दिन गौ सेवा का विशेष महत्व है. गाय को घास, गुड़ और भोजन अर्पित करें.
़- जरूरतमंदों को अन्न और वस्त्र का दान करना शुभ माना जाता है.
भाई दूज
गुरुवार, 23 अक्टूबर 2025
भाई दूज का महत्व
भाई-बहन के रिश्ते में प्यार और मज़बूती
- भाई दूज भाई-बहन के अटूट प्रेम और रिश्ते को मज़बूत करने का पावन पर्व है.
- इस दिन बहन अपने भाई की लंबी उम्र, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करती है.
- यह त्योहार परिवारिक एकता, स्नेह और संबंधों के महत्व को दर्शाता है.
भाई दूज पूजा विधि
शुभ मुहूर्तः प्रातः 6.00 बजे से 7.30 बजे तक.
पूजा विधि
- भाई को आमंत्रित करके उसे आसन पर बिठाएं.
- रोली, चावल और पुष्प से भाई का तिलक करें.
- भाई दूज पर भाई को टीका लगाते समय इस मंत्र को कहें-
गंगा पूजे यमुना को, यमी पूजे यमराज को। सुभद्रा पूजे कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई आप बढ़ें, फूले-फलें।
अर्थ
जिस तरह गंगा ने यमुना को, यमराज ने यमी को और सुभद्रा ने कृष्ण को पूजा, उसी तरह भाई-बहन के इस पवित्र बंधन को भी ऐसा ही स्नेह मिले, और भाई का जीवन गंगा-यमुना के जल की तरह अविरल बहता रहे और तऱक्क़ी करे.
- फिर बहन भाई को मिठाई खिलाती है और उपहार देती है.
- भाई भी बहन को उपहार और आशीर्वाद देता है.


