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मूवमेंट डिसऑर्डरः दिखें ये लक्षण तो हो जाएं एलर्ट (Movement Disorders: Signs & Symptoms)

मूवमेंट डिसऑर्डर नर्वस सिस्टम से जुड़ी बीमारी है, जिसमें शरीर की चलने-फिरने, हिलने-डुलने या मांसपेशियों के नियंत्रण की क्षमता प्रभावित हो जाती है. इस न्यूरोलॉजिकल बीमारी में व्यक्ति को या तो बहुत ज़्यादा अनियंत्रित मूवमेंट होते हैं जैसे झटके आना, कंपकंपी या फिर उनके मूवमेंट बहुत स्लो और स्टिफ हो जाते हैं. अगर समय पर इलाज नहीं किया गया तो इससे शारीरिक अपंगता भी आ सकती है. 

मूवमेंट डिसऑर्डर के लक्षण

हालांकि ये लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकता है. लेकिन ज़्यादातर लोगों के अंग सामान्य तरीके से काम करना बंद कर देते हैं. आमतौर पर मूवमेंट डिसऑर्डर के शिकार लोगों में ये लक्षण दिखाई देते हैं.

- शरीर का बैलेंस बिगड़ना

- शरीर में जकड़न महसूस होना

- शरीर का अचानक टेढा हो जाना. आंख या मुंह टेढा होना

- उठने-बैठने या चलने में परेशानी होना

- हाथ-पैर कांपना

- बोलने, लिखने में परेशानी होना, यहां तक कि कुछ निगलने में भी दिक्कत होना

- बॉडी मूवमेंट पर कंट्रोल छूट जाना.

मूवमेंट डिसऑर्डर के कारण

मूवमेंट डिसऑर्डर कई वजहों से होता है. इसका कोई एक कारण नहीं है.

- बिना डॉक्टरी सलाह के दवाइयां खाने से इसके साइड इफेक्ट के तौर पर मूवमेंट डिसऑर्डर हो सकता है.     

- जेनेटिक वजहें भी हो सकती हैं.

- ब्रेन में गंभीर चोट लगने से भी मूवमेंट डिसऑर्डर की शिकायत हो सकती है.

- स्ट्रोक या वैस्कुलर डिसीज़ भी इसकी वजह हो सकती है.

- मेटाबॉलिक डिसऑर्डर के कारण

- किसी तरह का इंफेक्शन भी इसकी वजह बन सकता है.

- टॉक्सिन एक्सपोज़र भी कारण हो सकता है.

किन लोगों को ज़्यादा ख़तरा होता है

हालांकि मूवमेंट डिसऑर्डर किसी को भी हो सकता है, पर ये लोग रिस्क ज़ोन में ज़्यादा होते हैं.

- 60 की उम्र पार कर लेने के बाद रिस्क बढ जाता है.

- जिनकी मूवमेंट डिसऑर्डर की फैमिली हिस्ट्री हो.

- सेल्फ मेडिकेशन यानी अपने मन से दवाइयां लेनेवालों को मूवमेंट डिसऑर्डर हो सकता है.

- हार्ट डिसीज़ या हाई ब्लड प्रेशर के मरीज़ों को.

- टॉक्सिन के एक्सपोज़र में रहनेवालों को.                        

- ज़्यादा शराब पीने या अन्य नशीली दवाओं को सेवन करनेवालों को.

मूवमेंट डिसऑर्डर के लिए क्या टेस्ट कराएं?

अगर आपमें भी मूवमेंट डिसऑर्डर के लक्षण नज़र आएं, तो बिना देर किए अपने फिजिशियन या न्यूरोलॉजिस्ट को कंसल्ट करें. वो लक्षणों के आधार पर आपके कुछ न्यूरोलॉजिकल टेस्ट्स कराएंगे. इसके अलावा निम्न टेस्ट्स भी करा सकते हैं.

- कुछ ब्लड टेस्ट्स से मूवमेंट डिसऑर्डर कंडीशन का पता लगाया जा सकता है.

- मसल्स और उन्हें कंट्रोल करनेवाली नसों की जांच के लिए डॉक्टर आपकी इलेक्ट्रामायोग्राफी करा सकते हैं.

- ब्रेन टेस्ट के लिए डॉक्टर इलेक्ट्रोएंसेफेलोग्राम टेस्ट करने के लिए कह सकते हैं.

- इसके अलावा डॉक्टर एक्सरे, अल्ट्रासाउंड और एमआरआई भी करा सकते हैं.

ट्रीटमेंट क्या है?

ट्रीटमेंट बीमारी के प्रकार और गंभीरता पर निर्भर करता है. कुछ मूवमेंट डिसऑर्डर का पूरी तरह इलाज होना मुश्किल है. हां कुछ ट्रीटमेंट से इसकी तकलीफ को कम किया जा सकता है. लेकिन कुछ डिसऑर्डर को ट्रीट किया जा सकता है. ट्रीटमेंट के साथ फिजिकल एक्टिविटी और संतुलित डायट लेना भी ज़रूरी है.

दवाइयां

कई दवाएं हैं जिनसे मूवमेंट डिसऑर्डर के लक्षणों को काफी हद तक कम किया जा सकता है.

- डोपामिन बढ़ाने वाली दवाइयां (जैसे पार्किन्सन में)

- मांसपेशियों को रिलैक्स करने वाली दवाएं

- एंटी-ट्रेमर या एंटी-कनवल्सन्ट दवाइयां

फिजियोथेरेपी और ऑक्यूपेशनल थेरेपी

- फिजियोथेरेपी लें. ये मूवमेंट और बैलेंस सुधारने में मदद करती है.

- ये दर्द और जकड़न को कम करती है, जिससे राहत महसूस होती है.

- ऑक्यूपेशनल थेरेपी डेली एक्टिविटीज़ में आनेवाली परेशानियों को कम करने में मदद करता है.

स्पीच थेरेपी

- अगर मूवमेंट डिसऑर्डर के कारण आपको बोलने या निगलने में परेशानी हो रही हो तो स्पीच थेरेपी लें.

- स्पीच और लैंग्वेल थेरेपिस्ट या ऑडियोलॉजिस्ट बोलने में कठिनाई और स्पीच डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों का इलाज करते हैं.

काउंसलिंग और सपोर्ट ग्रुप्स

- मूवमेंट डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों को मेंटल इश्यूज़ भी होते हैं.

- ऐसे लोगों को साइकोलॉजिस्ट या साइकेट्रिस्ट की मदद लेनी चाहिए.

- ये पीड़ित लोगों के अनहेल्दी इमोशन और सोच को पहचानकर उन्हें ट्रीट करते हैं.

- काउंसलर की मदद लें. सपोर्ट ग्रुप्स से जुड़ें. ये मेंटल हेल्थ और कॉन्फिडेंस को बनाए रखने में मददगार साबित होते हैं.

डीप ब्रेन स्टिम्यूलेशन

- डीप ब्रेनस्टिम्यूलेशन भी मूवमेंट डिसऑर्डर को कंट्रोल किया जा सकता है.

- ये एक सर्जिकल तकनीक है, जिसमें मस्तिष्क के विशेष हिस्से को इलेक्ट्रिक सिग्नल्स से नियंत्रित किया जाता है.

बोटॉक्स इंजेक्शन

- ये कुछ मामलों में अनियंत्रित मांसपेशी मूवमेंट को रोकने में सहायक होता है.

- इससे चेहरे की मसल्स में ऐंठन, आसामान्य रूप से पलकें झपकाना, गर्दन में दर्द या जकड़न, हाथों में ऐंठन, बोलने में परेशानी आदि समस्याओं से राहत मिल सकती है.

बचाव के लिए क्या करें?

सभी मूवमेंट डिसऑर्डर को पूरी तरह रोका नहीं जा सकता, लेकिन कुछ कदम मददगार हो सकते हैं:

- हेल्दी लाइफ़स्टाइल अपनाए. पौष्टिक आहार लें. नियमित एक्सरसाइज़ करें.

- अपने मन से पेनकिलर्स न खाएं. एंटीबायोटिक दवाओं, स्टेरॉयड्स भी बिना डॉक्टरी सलाह के न लें.

- तनाव से दूर रहें. योग, ध्यान को अपने डेली रूटीन का हिस्सा बनाएं. पर्याप्त नींद लें.

- ब्रेन प्रोटेक्शन के प्रति एलर्ट रहें. सर की चोटों से बचें.

- प्रोसेस्ड और अल्ट्रो प्रोसेस्ड फूड से बिल्कुल दूर रहें.

- अल्कोहल-सिगरेट जैसे नशे से बचें.

- अगर फैमिली हिस्ट्री है तो नियमित चेकअप कराएं.

- टॉक्सिन एक्सपोज़र से बचें.

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