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कहानी- न्यू ईयर ईव (Short Story- New Year Eve)

रोचिका अरुण शर्मा

“ख़तरा तो तब भी था, वरना मैं तुम्हें बत्ती जाते ही वहां से निकाल कर क्यूं लाता. अंधेरे का खौफ़ तो तब भी था, नरभक्षी भी तब अंधेरे में ही बाहर निकलते थे, पर हां अब हाई टेक ज़माना आ गया है. हमें स्वयं को अपडेट करने की अधिक ज़रुरत है. बदले ज़माने की रफ़्तार के साथ चलना सीखना है."

"मां मुझे नए साल की पार्टी में जाना है." टीना ज़िद पर अड़ी थी. कभी ज़मीन पर पैर पटकती, तो कभी टेबल पर ज़ोर से मारती. किसी भी तरह से वह अपनी मां से हां कहलवा लेना चाहती थी.
किन्तु टीना की मां कैसे भेज दे उसे न्यू ईयर ईव को जश्न मनाने के लिए? सुना है रास्ते में नशा किए लोग सडकों पर आने-जाने वाली गाड़ियों को रोक-रोक कर खिड़की के शीशों पर ठोकते हैं. कारों के अन्दर झांकते हैं. बाइक चलाने वाले लड़के रात बारह बजे नशे में धुत पूरी स्पीड के साथ गाड़ियां ज़ूम-ज़ूम करते चलाते हैं, जिन पर उनका स्वयं ही नियंत्रण नहीं रहता. मात्र सत्रह वर्ष की है अभी और दोस्तों के साथ रात बारह बजे तक पार्टी करना चाहती है. उसकी मां के लिए परीक्षा की घड़ी थी उसे समझाना.
वह उसे शांत करते हुए बोली, “तुम पापा को आने दो. पहले उनसे बात करते हैं, फिर फ़ैसला करेंगे.” मन ही मन वह सोच रही थी कि एक बार तो टीना से पीछा छुड़ाओ.
सोचते हुए वह अपने समय की न्यू ईयर ईव को याद करने लगी. खुले मैदान में टैंट, लाइटिंग और म्यूज़िक लगा कर नव-वर्ष का जश्न मनाया जाता था. एक बार वह भी अपनी बहन के साथ उस पार्टी में गयी थी. पड़ोस का हमउम्र लड़का भी उस पार्टी में गया था. चमचमाती सतरंगी रोशनी, लाउडस्पीकर से धमाधम आती म्यूज़िक की थापें और जी ललचाने वाले खाने की ख़ुशबू. सभी मस्ती में मस्त हो कर म्यूज़िक के साथ झूम और नाच रहे थे.


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तभी अचानक से बत्ती चली गयी और कड़ाकेदार ठंड की अंधेरी रात और ज़्यादा स्याह हो गयी.
पड़ोस के लड़के ने उसी समय उन दोनों का हाथ थाम कर कहा, "चलो जल्दी से निकलो यहां से और घर चलो.”
दोनों बहनें उसके एक इशारे पर वहां से उसके साथ रवाना हो गयीं. उन्हें वह अपने साथ सुरक्षित घर ले आया. उनकी मां भी निश्चिन्त हो गयीं कि जवान बेटियां सुरक्षित घर आ गयीं.
वह ज़माना पुराना था. सोच मानवीय थी. इंसानियत महफूज़ थी.
किन्तु आज तो रात के स्याह अंधियारे में नरभक्षी शिकार हेतु बाहर निकलते हैं. कैसे अपनी बेटी को न्यू ईयर ईव के लिए भेज दे. अपने बचपन के पड़ोसी को याद कर उसके चेहरे पर मुस्कान तैर गयी थी. वह उठी और फेसबुक खोला, उसका नाम सर्च किया और फ्रेंड्स रिक्वेस्ट भेज. कुछ ही पलों में पड़ोसी की तस्वीर सामने थी. उसने मैसेज बॉक्स में उससे चैट की और पूरे समय मुस्कुराती ही रही. बातों ही बातों में उसने पड़ोसी को अपनी बेटी की ज़िद के बारे में बताते हुए पुरानी घटना भी याद दिलाई.
पड़ोसी भी ख़ूब बड़े-बड़े स्माइली भेजने लगा था, शायद उसे भी पुराना ज़माना याद कर अच्छा महसूस हो रहा था.
“तब ख़तरा नहीं था कमल, वातावरण अच्छा था.” टीना की मां ने पड़ोसी को संबोधित करते हुए कहा.
“ख़तरा तो तब भी था, वरना मैं तुम्हें बत्ती जाते ही वहां से निकाल कर क्यूं लाता. अंधेरे का खौफ़ तो तब भी था, नरभक्षी भी तब अंधेरे में ही बाहर निकलते थे, पर हां अब हाई टेक ज़माना आ गया है. हमें स्वयं को अपडेट करने की अधिक ज़रुरत है. बदले ज़माने की रफ़्तार के साथ चलना सीखना है. बच्चों को सिक्योरिटी के साधन एवं तरीक़े बताना है, न कि डर से उनकी इच्छाओं का गला घोटना है.”
टीना की मां को कमल की बातें कुछ-कुछ समझ आ रही थीं. उसने अपनी बेटी को अगले ही दिन न्यू ईयर पार्टी में जाने की हामी भर दी. टीना के गाल मुस्कुराहट से फूल गए थे. वह अपनी मां के गले लग गयी थी.”


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अगले ही पल टीना की मां व पिता उसे सुरक्षित एवं चौकन्ना रहने की सलाह देते हुए बोले, “पार्टी में जानेवाले सभी मित्रों व उनके माता-पिता के फोन नंबर हमें दे दो. पार्टी स्थल तक लेना-छोड़ना हम स्वयं करेंगे और उस जगह का पहले एक बार मुआयना करके आएंगे.”
टीना अपने माता-पिता की हर शर्त मानने को ख़ुशी-ख़ुशी तैयार थी. वह न्यू ईयर ईव की तैयारी में लग गयी थी.

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Photo Courtesy: Freepik

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