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कहानी- गुलाल 3 (Story Series- Gulal 3)

नैतिक को सहसा अपनी ससुराल में खेली पहली होली याद आई... होली की सुबह यामिनी ने चुपके से थाली भर गुलाल उस पर उड़ेल दिया था... “अरे यार! क्या करती हो तुम...” उन्होंने यामिनी के हाथ को लगभग झटक दिया था... अचानक हुए हमले की स्वाभाविक प्रतिक्रिया जानकर वह हंस पड़ी थी. पर जब उसकी सहेलियों ने उस पर रंगों से हमला किया, तो वह अपना आपा कायम न कर पाए... यामिनी स्तब्ध और सहेलियां खिसियाई हुई थी.     ... “क्यों, तुम बाहर खेलने नहीं जाओगी...” “अरे नहीं... नित्या थी तो...” ‘अलग बात थी’ एक बार फिर उसकी अधूरी बात मन ही मन नैतिक ने पूरी की... “सुनो, आज जल्दी खा लेना थक गई हूं...” यामिनी ने कुछ अनुनय से कहा और चली गई... नैतिक ने ध्यान दिया उसकी चाल में थकावट थी... खाना खाकर उसे सोने की तैयारी में देख नैतिक ने टोका, “कल के लिए पुराने कपड़े निकालती थी न तुम...” यामिनी की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई, तो नैतिक फिर बोले, “नित्या तुम्हारे हाथ की बनी गुझिया याद कर रही थी. कह रही थी इस बार ऑनलाइन आर्डर किया है...” “किसका..?” यामिनी ने हैरानी से पूछा, तो वह हंसकर बोले, “गुझियों का...” “हे भगवान्... गुझिया भी कोई ऑनलाइन मंगवाता है...” कुछ पल के मौन के बाद वह अफ़सोसभरे स्वर में बोली, “पता होता तो पहले से ही बनाकर पार्सल कर देती... मुझे तो लगा उसने बनाई होगी. पिछली होली में गुझिया बनाना सिखाया तो था...” ‘पिछली होली’ यानी नित्या की शादी के बाद की पहली होली, कितना धमाल मचाया था सबने... वो तो सबके जोश को देखकर स्टडीरूम में बंद हो गए थे. नीलेश उन्हें रंग लगाना चाहता था... यामिनी ने मिन्नतभरे शब्दों में कहा... दामाद है थोड़ा सा रंग लगवा लो... तब भी उन्होंने बस एक टीका ही लगवाया था... नैतिक को सहसा अपनी ससुराल में खेली पहली होली याद आई... होली की सुबह यामिनी ने चुपके से थाली भर गुलाल उस पर उड़ेल दिया था... “अरे यार! क्या करती हो तुम...” उन्होंने यामिनी के हाथ को लगभग झटक दिया था... अचानक हुए हमले की स्वाभाविक प्रतिक्रिया जानकर वह हंस पड़ी थी. पर जब उसकी सहेलियों ने उस पर रंगों से हमला किया, तो वह अपना आपा कायम न कर पाए... यामिनी स्तब्ध और सहेलियां खिसियाई हुई थी. “अरे! तुम लोग भी अजीब हो... एकदम से जुट गई... भई, सबको रंग पसंद नहीं होते...” बाबूजी यानी यामिनी के पिता ने उसकी तरफ़दारी करते हुए मामले को संभाला... यामिनी आहत थी पहली ही होली में पति का ये रंग देखकर उसे अजीब लगा... हालांकि बाद में उसने यामिनी को समझाया-मनाया और सफ़ाई दी, “यार, मैं होली खेलता... पसंद नहीं... एलर्जी हो जाती है...” यह भी पढ़ें: होली पर ट्राई करें ये 5 ठंडई रेसिपीज़ (Holi Special: 5 Thandai Recipes You Must Try This Holi) हर साल यामिनी प्रयास करती कि वह थोड़ी तो होली खेले... वह खेलना भी चाहता, पर गुलाल देखकर ही जाने क्यों वह कदम पीछे हटा लेता... "कभी नहीं खेली... केमिकल्स होते है, स्किन आंखें बहुत सेंसेटिव है...’ कुछ ऐसा ही करके ख़ुद को स्टडी रूम में सीमित कर लेता. धीरे-धीरे यामिनी ने भी कहना बंद कर दिया. नित्या के जीवन में आने के बाद होली के रंग चटक हो गए. यामिनी कभी-कभी उलाहना देती कि बेटी के लिए पिचकारी और गुब्बारे रंग से भरते हो, पर उसके साथ होली खेल नहीं सकते... अगला भाग कल इसी समय यानी ३ बजे पढ़ें... मीनू त्रिपाठी   अधिक शॉर्ट स्टोरीज के लिए यहाँ क्लिक करें – SHORT STORIES

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