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मुफ्त में खाना मिले, इसलिए पृथ्वी थियेटर में बनाया खाना, हीरोइन बनने के लिए NSD में लगाया झाड़ू, नीना गुप्ता को याद आए स्ट्रगल के दिन (Worked at Prithvi Theater Cafe to get free food,, swept the floor in NSD, Neena Gupta remembers her struggle days)

नीना गुप्ता (Neena Gupta) बेहतरीन एक्टिंग के साथ ही अपनी बेबाकी और बिंदासपन बोल (Neena Gupta's bold statement) के लिए भी जानी जाती हैं. वो अपनी जिंदगी का हर सच भी बिना झिझक बताती हैं और अपनी गलतियों को भी बिंदास स्वीकार करती हैं. उनकी यही बेबाकी उनके फैंस को बेहद पसंद आती है. 

नीना गुप्ता (Neena Gupta) फिलहाल अपनी फिल्म मस्त में रहने का (Mast Mein Rahne Ka) को लेकर न्यूज में बनी हुई हैं. ये फिल्म हाल ही में OTT प्लेटफार्म पर रिलीज हुई है और इसमें नीना गुप्ता के साथ ही जैकी श्रॉफ की एक्टिंग की भी खूब तारीफ हो रही है. इसी बीच नीना गुप्ता ने एक इंटरव्यू के दौरान अपनी लाइफ का एक और सच शेयर किया (Neena Gupta remembers struggle days) है. उन्होंने बताया कि फ्री में खाना मिल सके, इसलिए स्ट्रगल के दिनों में वो पृथ्वी थियेटर के कैफे में काम किया करती थीं.

इंटरव्यू में नीना गुप्ता ने उन दिनों को याद किया जब वो अपने बॉयफ्रेंड के साथ दिल्ली से मुंबई आई थीं और यहां आने के बाद उन्हें बहुत स्ट्रगल करना पड़ा था. "मैं जब मुंबई आई थी तो अपने बॉयफ्रेंड को साथ लेकर आई थी, क्योंकि तब मुझमें इतनी हिम्मत नहीं थी कि अकेले इतना बड़ा कदम उठा लेती."

नीना गुप्ता ने आगे बताया, "जब मैं मुंबई आई तो मैं पृथ्वी कैफे में खाना बनाती थी, बेसिकली भर्ता बनाने का काम करती थी, ताकि मुझे वहां मुफ्त में खाना मिल सके. मेरा बॉयफ्रेंड मुझ पर चिल्लाता था. कहता था- शरम कर, तू बॉम्बे नौकरानी बनने आई है. ये सब करने आई है?" 

नीना गुप्ता ने आगे कहा, "मेरा बॉयफ्रेंड अपने सिगरेट के लिए भी मुझसे पैसे मांगता था, फिर भी उसकी इतनी हिम्मत होती थी कि मुझे काम करने में शर्म आनी चाहिए. मैं सभी से पहले भी कहती थी, आज भी कहती हूं, पैसा मांगने में शर्म आनी चाहिए, काम मांगने में मुझे कोई शर्म नहीं."

नीना गुप्ता ने बताया कि किसी तरह का कोई भी काम करने में शर्माती नहीं हैं, "जब हम NSD (नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा) में थे, तो सब कुछ करते थे. फर्श साफ करने से लेकर हर काम. घर पर भी हम सारे काम खुद ही करते थे. मेरी मां गांधीवादी थीं तो हमारे घर पर कोई नौकर नहीं था तो हमें ही सारे काम करने पड़ते थे. तो मैं बचपन से ही किसी भी तरह का काम करने में शर्माती नहीं हूं."

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