नए कंज़्यूमर प्रोटेक्शन बिल से ग्राहकों को मिलेंगे नए अधिकार (Consumer Protection Bill 2018: Here’s What You Need To Know)
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ग्राहकों को धोखाधड़ी से बचाने के लिए वर्ष 1986 में कंज़्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट (Consumer Protection Act) नामक क़ानून लाया गया था, लेकिन बदलते समय के साथ धोखाधड़ी के तरी़के भी बदल गए हैं. आज ऑनलाइन ट्रांज़ैक्शन्स (Online Transactions) और डिजिटल पेमेंट (Digital Payment) के ज़रिए फ्रॉड (Fraud) के नए-नए तरी़के सामने आ रहे हैं. ऐसे में कंज़्यूमर लॉ (Consumer Law) को अपडेट करने और ग्राहकों को ज़्यादा अधिकार देने के लिए सरकार कंज़्यूमर प्रोटेक्शन बिल 2018 (Consumer Protection Bill 2018) लेकर आई है. लोकसभा में यह बिल पास हो चुका है, अब राज्यसभा की मंज़ूरी का इंतज़ार है.आज भी हमारे देश में बहुत कम लोग कंज़्यूमर राइट्स के बारे में जानते हैं. ग्राहकों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए सरकार समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाती रहती है, पर उसका असर बेहद कम है. तीन दशक पुराने कंज़्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 1986 की जगह अब यह नया क़ानून लाया जा रहा है. क्या कुछ नया है इस कंज़्यूमर प्रोटेक्शन बिल में आइए देखें.
- इस बिल का मुख्य उद्देश्य ग्राहकों को ज़्यादा से ज़्यादा अधिकार देना है.
- अगर किसी प्रोडक्ट के कारण किसी ग्राहक को शारीरिक चोट लगती है, अंग-भंग होता है या फिर मृत्यु हो जाती है, तो मैन्युफैक्चरर, प्रोड्यूसर और सेलर सभी के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी.
- ई-कॉमर्स फर्म्स ग्राहकों से बहुत कुछ छुपा लेते हैं, लेकिन इस बिल के पास हो जाने के बाद ऐसा नहीं होगा. उन्हें ग्राहकों को अपने प्रोडक्ट्स आदि की जानकारी और डिटेल में देनी होगी. साथ ही यह भी बताना होगा कि वो कंज़्यूमर डाटा का इस्तेमाल किस तरह करते हैं.
- मैन्युफैक्चरिंग में कोई गड़बड़ी होने या फिर प्रोडक्ट पर सही लेबल न लगाने की स्थिति में भी उनके ख़िलाफ़ एक्शन लिया जाएगा.
- बिल में इस बात की भी मांग की गई है कि ग्राहकों की शिकायत किसी एक संस्था द्वारा ही सुनी जाए, न कि अपनी शिकायत के लिए उन्हें डिस्ट्रिक्ट, स्टेट और नेशनल लेवल पर जाने की ज़रूरत पड़े. एक ही जगह उनकी सभी शिकायतों को सुलझाया जाएगा.
- इस बिल की एक और ख़ास बात है- क्लास एक्शन सूट. यहां मैन्युफैक्चरर या सर्विस प्रोवाइडर की ग़लती होने पर जितने लोग उसके ख़िलाफ़ शिकायत करेंगे, स़िर्फ उतने ही लोगों को न मानकर उस प्रोडक्ट के कारण प्रभावित होनेवाले सभी ग्राहकों को उस मुक़दमे में जोड़ा जाएगा. ऐसा माना जाएगा कि उस क्लास के सभी प्रभावित लोगों ने एक्शन लिया है.
- डिस्ट्रिक्ट लेवल पर अब एक करोड़ तक के मामले, स्टेट लेवल पर 10 करोड़ तक के और नेशनल लेवल पर 10 करोड़ से ऊपर के मामले सुलझाए जाएंगे. इससे पहले डिस्ट्रिक्ट के पास 20 लाख, स्टेट के पास एक करोड़ और नेशनल लेवल पर एक करोड़ के ऊपर के मामले देखने का अधिकार था.
- इसके अलावा बिल में कंज़्यूमर मिडिएशन सेल्स बनाने की पेशकश की गई है. यहां ऐसे मामलों को देखा जाएगा, जिन्हें तुंरत सुलझाया जा सके.
- अगर कोई सेलिब्रिटी या जानी-मानी हस्ती ग़लत व झूठे विज्ञापनों के ज़रिए ग्राहकों को गुमराह करने की कोशिश करता है, तो उस सेलिब्रिटी के ख़िलाफ़ भी एक्शन लिया जाएगा. उन्हें लोगों को गुमराह करने के आरोप में जुर्माना भरना पड़ेगा, जबकि उस मैन्युफैक्चरर या प्रोड्यूसर को कम से कम दो साल की जेल और 10 लाख का जुर्माना भरना होगा.
- इसके तहत एक सेंट्रल कंज़्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी बनेगी. यह एक एक्ज़ीक्यूटिव एजेंसी होगी, जो ग्राहकों को न स़िर्फ ग़लत चीज़ों की ख़रीद-बिक्री से बचाएगी, बल्कि झूठे व भ्रमित कर देनेवाले एडवर्टाइज़मेंट के ख़िलाफ़ भी एक्शन लेगी.
- अगर कमिटी चाहे, तो संबंधित कंपनी के ख़िलाफ़ मुकदमा भी दायर कर सकती है.
- डिफेक्टिव प्रोडक्ट की शिकायत मिलने पर कमिटी को इतना अधिकार होगा कि वह बाज़ार से ऐसे डिफेक्टिव प्रोडक्ट्स को वापस लेने और ग्राहकों को रिफंड देने का आदेश उस कंपनी को दे सकती है.
- नए बिल में झूठी शिकायत करनेवाले ग्राहकों के ख़िलाफ़ भी कार्रवाई का प्रावधान है. ऐसी झूठी शिकायत करनेवालों को 10 हज़ार से 50 हज़ार तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है. अब बस ग्राहकों को इस बिल के पास होने का इंतज़ार है, ताकि वो प्रोडक्ट्स और सर्विसेज़ से जुड़ी अपनी शिकायतें दर्ज कर सकें.