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क्रिकेट वर्ल्ड- बर्थडे स्पेशल- सौरव द रियल फाइटर (Cricket World- Birthday Special- Sourav The Real Fighter)

SouravGanguly-EPS (1) * 8 जुलाई, 1972 में बेहाला (कोलकाता) में जन्मे मां निरूपा के लाडले सौरव गांगुली के पिता चंडीदास राजसी परिवार से थे. * प्रिंस ऑफ कोलकाता... महाराजा... दादा... से मशहूर सौरव सही मायने में एक यौद्धा थे, क्योंकि अपने करियर में कई उतार-चढ़ाव को देखते हुए वे आगे बढ़ते रहे, पर कभी हार नहीं मानी. * भारत के सफल कप्तान में शुमार सौरव को क्रिकेट में लाने का श्रेय उनके भाई स्नेहाशीष को जाता है, जो ख़ुद भी क्रिकेटर थे. * उनके टैलेंट और लगन को देखते हुए उनके भाई स्नेहाशिष ने घर में ही पिच बना दी, जहां दादा प्रैक्टिस किया करते थे. * रणजी ट्रॉफी, दिलीप ट्रॉफी कई रीजनल टूर्नामेंट में उनका प्रदर्शन शानदार रहा. इसी के बलबूते उनका इंडियन टीम में सिलेक्शन हुआ और अपने पहले टी टेस्ट मैच में लॉर्डस में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ 131 की शतकीय पारी खेली. * उन्होंने अपने शुरुआती टेस्ट मैच में लगातार दो सेंचुरी लगाई, तब से वे सुर्खियों में आ गए. * उन्होंने वर्ल्ड कप में साल 1999 में राहुल द्रविड के साथ 318 रन की पार्टनरशिप की, जो तीसरी सबसे बड़ी साझेदारी का वर्ल्ड रिकॉर्ड है. * इसी वर्ल्ड कप में ओपनर की भूमिका निभाते हुए उन्होंने श्रीलंका के ख़िलाफ़ 183 रन की शानदार पारी भी खेली. * साल 2000 में उन्हें कप्तानी की ज़िम्मेदारी सौंपी गई, जो उन्होंने बख़ूबी निभाया और मैच फिक्सिंग के ख़राब दौर से गुज़र रहे क्रिकेट दौर में टीम का उत्साह बढ़ाया और नई यंग टीम बनाई. * सौरव की कप्तानी में भारत 2003 के वर्ल्ड कप में फाइनल में पहुंची थी, पर ऑस्ट्रेलिया को हरा न पाई. * इसके बाद वे अपने ज़िद, एग्रेसिव नेचर, दादागिरी, ग्रैग चैपल से विवाद आदि कारणों से बार-बार टीम से अंदर-बाहर होते रहे, पर उन्होंने हार नहीं मानी. एक रियल फाइटर की तरह दोबारा वापसी की और वनडे और टेस्ट मैच मेंं बेहतरीन प्रदर्शन किया. * वे 2008 से शुरू हुए आईपीएल टूर्नामेंट में शाहरुख ख़ान की आईपीएल टीम कोलकाता नाइटराइडर्स के कैप्टन रहे. * इसी के बाद ऑस्ट्रेलिया के साथ हुए घरेलू सीरीज़ में बेहतरीन परफॉर्मेंस के साथ उन्होंने क्रिकेट से सन्यास लिया. * लेकिन उन्होंने क्रिकेट खेलना नहीं छोड़ा. वे बंगाल टीम के लिए खेलते रहे और बंगाल क्रिकेट संघ के अध्यक्ष बने. * दादा की कप्तानी में भारत ने 21 टेस्ट मैच जीते. * 2004 में उन्हें पद्यश्री से सम्मानित किया गया. * वे अक्सर अपनी क्रिकेट कमेंट्री और सटीक बयानबाज़ी के लिए चर्चा में रहते हैं. * वनडे क्रिकेट में सचिन तेंदुलकर के साथ उनकी शतकीय साझेदारी के कई रिकॉर्ड्स हैं. इन दोनों ने 176 वनडे में 8227 की पाटर्नरशिप की, जो वर्ल्ड रिकॉर्ड है. * अपने शानदार प्रदर्शन के बलबूते दादा 31 बार मैन ऑफ दी मैच रहे हैं. * भारतीय टीम को बुलंदी तक पहुंचाने और टीम में जीतने का जज़्बा भरनेवाले सफल कप्तान के रूप में सौरव से जब इसका राज़ पूछा गया, तब उन्होंने कहा कि उस समय सभी खिलाड़ी हीरे की तरह थे. सचिन, राहुल, लक्ष्मण, वीरेंद्र, अनिल... तब तो ऐसा दौर था कि बल्लेबाज़ी में वीरू कमाल दिखाते रहते थे, तो गेंदबाज़ी में कुंबले हरदम अपना बेस्ट देते थे.
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दादा की दादागिरी...
* बकौल कपिल देव टीम इंडिया को जीतने का जोश-जज़्बा पैदा करना, बेजोड़ आक्रामक रुख़ देना... सौरव की ही देन है. उनकी जाबांज़ कप्तानी से टीम इंडिया की काया पलट दी. * नब्बे के दशक में घर मेंं शेर पर विदेश में ढेर जैसी टीम इंडिया की इमेज थी, जिसे दादा ने तोड़ा और विदेशों में जीतने का जज़्बा टीम में भरा. * विदेशी सरज़मीं पर जीतने की ज़िद और टीम को नंबर वन बनाने की सोच दादा ने ही इंडियन टीम में भरी थी. उन्होंने अपने रवैये से भारतीय कप्तान की परिभाषा ही बदल दी. * 2002 के लॉर्ड्स में नेटवेस्ट सीरीज़ जीतने पर टी-शर्ट निकालकर हवा में लहराना हो... विदेशों में विरोधी खिलाड़ियों द्वारा स्लेज करने पर उन्हीं की भाषा में जवाब देना हो... सौरव ने जैसे को तैसा और लड़ने का हौसले की पहल की थी. * सौरव सभी खिलाड़ियों का ख़्याल रखते थे. उन्होंने जहां हरभजन, युवराज, वीरेंद्र, ज़हीर इन सभी को खुलकर खेलने के लिए स्पेस दिया. वहीं सचिन, राहुल, लक्ष्मण को अपना नेचुरल गेम खेलने दिया. इसी कारण सभी अपना बेस्ट देते रहे. * उन्होंने हमेशा इन खिलाड़ियों को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया. दादा नए खिलाड़ियों और प्रतिभाओं को खुलकर मौक़ा देते थे और काफ़ी उत्साहित भी करते थे.
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डिफरेंट स्ट्रोक्स
* सौरव की पहली पसंद फुटबॉल थी. * सौरव की मां नहीं चाहती थीं कि वे स्पोर्ट्स में जाएं. * सचिन व लक्ष्मण के साथ वे बीसीसीआई की सलाहकार सीमिती के सदस्य भी हैं. * बकौल ब्रायन लारा सौरव गांगुली उनके फेवरेट कैप्टन में से हैं. ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध उनकी गेम प्लान से वे हमेशा प्रभावित रहे थे. * सौरव ने 311 वनडे में 11,363 रन और 113 टेस्ट मैच में 7,213 रन बनाए हैं. * ऑफ साइड में दमदार शॉट और लंबे-लंबे छक्के मारने में दादा को महारात हासिल थी, तभी तो राहुल द्रविड उन्हें ‘ऑफ साइड का भगवान’ कहते थे. * अब वे बीसीसीआई के अध्यक्ष पद पर रहकर कई प्रशंसनीय और बेहतरीन फ़ैसले भी ले रहे हैं. * सौरव आज जहां अपनी बेटी साना और पत्नी डोना के साथ ख़ुशहाल जीवन बीता रहे हैं, वहीं इंडियन क्रिकेट की बेहतरी में भी अपना उल्लेखनीय योगदान दे रहे हैं.

- ऊषा गुप्ता

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