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ग़ज़ल- मेरी तन्हाई (Gazal- Meri Tanhai)
जो महफ़िलें रुलाती मुझे हैं
उनसे अच्छी मेरी तन्हाई है
जो महफ़िलें इल्ज़ाम लगाती हैं
उनसे अच्छी मेरी तन्हाई है
उसने जज़्बातों से खेला खिलौनों की तरह
हम यकीं करते रहे उन पर दीवानों की तरह
अब दोस्त भी दुश्मनों-सा मिजाज़ रखते हैं
ऐसी भीड़ से अच्छी मेरी तन्हाई है
कभी यादों के ख़ज़ाने से हसीं का तोहफ़ा लाती है
कभी आंखों में आंसुओं के समंदर भर जाती है
जैसी भी है बस मेरी है
दुनिया से अच्छी मेरी तन्हाई है...
- ऋतु गांगुली
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