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ग़ज़ल- तेरी पाकीज़गी में हमदम (Gaza...
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ग़ज़ल- तेरी पाकीज़गी में हमदम (Gazal- Teri Pakeezgi Mein Humdam)

By Usha Gupta in Shayeri , Geet / Gazal , Short Stories
मेरी आंख से बता क्यों ख़्वाब झांकता है
एहसास का समंदर तेरी आंख में छुपा है
दिल मेरा स़िर्फ लफ़्ज़ों का आईना ठहरा
रूमानियत का परचम तेरे अश्क में छुपा है
तू आस पास हो तो तस्वीर खींच लूं
मेरे दिल में जो बसा है वो रूह-सा छुपा है05
तुझे ढूढ़ने को निकले तो उस तक पहुंच गए
तेरी पाकीजगी में हमदम अभी और क्या छुपा है…
मुरली मनोहर श्रीवास्तव
मेरी सहेली वेबसाइट पर मुरली मनोहर श्रीवास्तव की भेजी गई कविता को हमने अपने वेबसाइट में शामिल किया है. आप भी अपनी कविता, शायरी, गीत, ग़ज़ल, लेख, कहानियों को भेजकर अपनी लेखनी को नई पहचान दे सकते हैं…
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Summary
Article Name
ग़ज़ल- तेरी पाकीज़गी में हमदम (Gazal- Teri Pakeezgi Mein Humdam)
Description
मेरी सहेली वेबसाइट पर मुरली मनोहर श्रीवास्तव की भेजी गई कविता को हमने अपने वेबसाइट में शामिल किया है. आप भी अपनी कविता, शायरी, गीत, ग़ज़ल, लेख, कहानियों को भेजकर अपनी लेखनी को नई पहचान दे सकते हैं…
मेरी आंख से बता क्यों ख़्वाब झांकता है
एहसास का समंदर तेरी आंख में छुपा है
दिल मेरा स़िर्फ लफ़्ज़ों का आईना ठहरा
रूमानियत का परचम तेरे अश्क में छुपा है
Author
Meri Saheli Hindi Magazine
Publisher Name
Pioneer Book Company Pvt Ltd
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