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बच्चों को दें ब्रेन डायट (Give Your Kids Brain Diet)

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यूं तो पैरेंट्स बच्चों के खानपान का विशेष ख़्याल रखते हैं, लेकिन वे पढ़ाई में भी बेहतर करें, इसके लिए हेल्दी डायट के साथ-साथ ब्रेन फूड भी ज़रूरी है. इससे न केवल उनका एनर्जी लेवल बूस्ट होगा, बल्कि उनकी बौद्धिक क्षमता का भी विकास होगा. ब्रेन फूड, बच्चों को क्या खिलाएं, क्या न खिलाएं और खाने में किन चीज़ों की मात्रा बढ़ा दें, इसी विषय पर हमें अधिक जानकारी दी डायटीशियन मेघा चंदेल ने.
 
ब्रेन डायट में क्या है ज़रूरी?
हरी सब्ज़ियां- समस्त हरी सब्ज़ियों में आयरन होता है, जिससे याद्दाश्त तेज़ होती है और दिमाग़ को तेज़ करनेवाले न्यूरोट्रांसमीटर्स का स्राव होता है. साथ ही इसमें पाए जानेवाले एंटीऑक्सीडेंट्स दिमाग़ को अनेक बीमारियों से मुक्त रखते हैं. जामुनी फल- जामुन, काले अंगूर और शहतूत जैसे फल जिनका रंग काला, जामुनी या नीला होता है, में एंटीऑक्सीडेंट्स, विटामिन और प्लांट कंपाउंड जैसे फाइटोकेमिकल्स पाए जाते हैं, जो ब्रेन सेल्स को डैमेज करनेवाले ऑक्सीजन फ्री रैडिकल्स को कंट्रोल करते हैं. ड्रायफ्रूट्स- विटामिन ई का प्रमुख स्रोत अखरोट, बादाम, काजू, अलसी, मगज, पीनट बटर, बादाम बटर और हेज़लनट सभी दिमाग़ को दुरुस्त रखते हैं. इसलिए इन्हें भरपूर मात्रा में बच्चों को दें. बींस- शरीर के ग्लूकोज़ लेवल को कंट्रोल करती है. ऊर्जा के लिए दिमाग़ को नियमित रूप से ग्लूकोज़ चाहिए और चूंकि मस्तिष्क लंबे समय तक ग्लूकोज़ को स्टोर करके नहीं रख पाता, इसलिए वो नियमित ऊर्जा कम प्रदान कर पाता है. कोई भी हरी फली, दाल, राजमा, लोबिया सभी दिमाग़ के लिए फ़ायदेमंद होते हैं. अनार- अनार के जूस में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स दिमाग़ को फ्री रैडिकल्स के प्रभाव से बचाते हैं. गोभी- फूलगोभी, ब्रोकोली और पत्तागोभी एंटीऑक्सीडेंट्स और कई अन्य पोषक तत्वों से भरपूर हैं. ये तत्व दिमाग़ की क्षमताओं पर बुरा असर डालनेवाले विभिन्न टॉक्सिंस से दिमाग़ को सुरक्षित रखते हैं. स्ट्रॉबेरी- वैज्ञानिकों के अनुसार स्ट्रॉबेरी, ब्लू बेरीज़ जैसे फलों में दिमाग़ को ऑक्सीडेंटिव स्ट्रेस से सुरक्षित रखने की क्षमता होती है. इन्हें खाने से दिमाग़ की क्षमता बढ़ती है. सोया- एक शोध के अनुसार सोया में एस्ट्रोजेन अधिक मात्रा में पाए जाते हैं, जो दिमाग़ को तेज़ बनाते हैं, इसलिए बच्चे के खाने में सोया और टोफू से बने पदार्थ ज़रूर शामिल करें. ओमेगा 3 फैटी एसिड- ओमेगा 3 न केवल नर्वस सिस्टम को सुचारु रखता है, बल्कि शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है. यह फैटी एसिड अलसी और अखरोट में पाया जाता है. विटामिन बी- विटामिन बी दिमाग़ को ऑक्सीजन पहुंचाने और फ्री रैडिकल्स से बचाने का काम करता है. साथ ही विटामिन बी 12 दिमाग़ के सेल्स को स्वस्थ रखने का काम भी करता है. रोज़मेरी- नॉर्थअंब्रिया यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिक द्वारा किए गए एक टेस्ट के अनुसार रोज़मेरी ऑयल याद्दाश्त को दुरुस्त रखने का काम करता है, इसलिए बच्चे के सलाद में रोज़मेरी ऑयल डालें.
क्या दें खाने को?
इस समय बच्चों को तले-भुने और मिर्च-मसालेदार हैवी खाने की बजाय विटामिन्स और मिनरल्स से भरपूर हेल्दी डायट दें. इस दौरान बच्चे का मूड बार-बार बदलता रहता है, इससे उन्हें बचाने के लिए थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ खाने को देते रहें. उन्हें मुनक्के, बादाम, ताज़े फल, मूंगफली, सूप, अखरोट, खजूर, अंजीर, गाजर, रोस्टेड पिस्ता, पॉपकॉर्न, कद्दू के बीज, भेल आदि भी खाने को दे सकती हैं. हर एक घंटे में पेय पदार्थ दें, जिनमें अलग-अलग फ्लेवर के ग्लूकोज़, नींबू पानी, बादाम, एप्पल या चीकू शेक, गाजर या चुकंदर का जूस, छाछ, लस्सी, नारियल पानी आदि हो. इससे उनके शरीर में पानी की कमी नहीं होगी और वे स्वयं को फ्रेश व एनर्जेटिक महसूस करेंगे. भोजन को धीरे-धीरे चबाकर खाने को कहें, ताकि वह आसानी से पच सके. खाने को कभी भी गर्म करके बच्चे को न खिलाएं. हमेशा ताज़ा खाना ही दें, ताकि भोजन के समस्त पौष्टिक तत्व उसे प्राप्त हो सकें. तरबूज़, खरबूजा, संतरा, स्ट्रॉबेरी, मोसंबी, पालक, पत्तागोभी, ब्रोकोली आदि फल और सब्ज़ियों का सलाद दें. बच्चों को ठंडा रायता, जिसमें सब्ज़ियां और फल हों, दें. इससे उन्हें कैल्शियम, विटामिन्स और पानी एक साथ मिल जाएंगे. इडली, डोसा, खमन जैसे प्रोबायोटिक फूड भी आप बच्चों को दे सकती हैं. कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीनयुक्त भोजन दें, जिसमें दाल, अनाज, मेवे, सोया, टोफू, अंडा, अंकुरित अनाज, दूध और दूध से बने पदार्थ, ताज़े फल, हरी सब्ज़ियां आदि शामिल हों.
क्या न दें?
पिज़्ज़ा, हॉट डॉग, सॉफ्ट ड्रिंक्स, सैंडविच, कुकीज़, केक, मफिन्स आदि मैदे से बने खाद्य पदार्थ न दें, क्योंकि ये जल्दी पचते नहीं और आप आलस भी महसूस करते हैं. चॉकलेट, कैंडी, आलू, सूरन और अरबी तथा बहुत अधिक तले पदार्थ न खिलाएं, ये शरीर को शिथिल बनाते हैं, जिससे बच्चों का मन पढ़ाई या किसी काम में नहीं लगता. संतुलित मात्रा में कैफीन का सेवन दिमाग़ को तेज़ करता है और याद्दाश्त बढ़ाता है, लेकिन इसकी अधिकता नुक़सानदायक होती है, इसलिए प्रतिदिन एक कप से अधिक कॉफी न दें. बाहर का खाना बिल्कुल भी न खाने दें, क्योंकि इस दौरान उनका स्ट्रेस लेवल हाई और इम्यून सिस्टम कमज़ोर होता है, जिससे इंफेक्शन की संभावना बढ़ जाती है.

- प्रतिभा अग्निहोत्री

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