एक साल तक मासिक धर्म बंद रहने के बाद गुप्तांग से रक्तस्राव को पोस्ट मेनोपॉज़ल ब्लीडिंग कहा जाता है. इसमें या तो सिर्फ खून के धब्बे पड़ सकते हैं, रक्त मिश्रित डिस्चार्ज हो सकता है या खून के थक्कों के साथ भारी रक्तस्राव भी हो सकता है या संभोग के बाद रक्त के बहाव की समस्या हो सकती है. मेनोपॉज़ के बाद इस तरह की किसी भी ब्लीडिंग को सामान्य नहीं कहा जा सकता. ऐसी हालत में डॉक्टर को जरूर दिखाना चाहिए. हालांकि प्रीमेनोपॉज़ के दौरान मासिक धर्म अनियमित हो सकता है, लेकिन इस हालत में अगर खून काफी निकले तो सतर्क हो जाना चाहिए. यह किसी ऐसी समस्या का संकेत भी हो सकता है, जो प्रीमेनोपॉज़ से संबंधित न हो. अगर आप अपने मासिक धर्म में किसी भी तरह का बदलाव देखती हों तो इस बारे में अपने डॉक्टर को बताना बेहद जरूरी है. सामान्य से बहुत ज्यादा रक्तस्राव, हर 3 हफ्तों से ज्यादा समय तक अक्सर खून बहना, सेक्स के बाद या पीरियड्स के बीच के दिनों में ब्लाडिंग होना. पोस्टमेनोपॉज ब्लीडिंग जैसे पॉलिप, एट्रोफिक एंडेमेट्रियम और एंडो मेट्रियम हाइपर प्लासिया के कई कारण हैं, लेकिन फिर भी इनकी अच्छी तरह जांच करनी चाहिए. डॉक्टर से इसकी जांच कराना जरूरी है क्योंकि यह एंडोमेट्रियल कैंसर का संकेत हो सकता है, जिसे गर्भाशय का कैंसर भी कहा जाता है. गर्भाशय का कैंसर होने का खतरा 50 साल में 1 फीसदी और 80 साल में 25 फीसदी होता है. आपका डॉक्टर आपसे इस बात की भी जानकारी लेंगे कि क्य़ा आपके परिवार में किसी को स्तन, अंडाशय (ओवरी) या गर्भाशय का कैंसर हुआ था. डॉक्टर आपके परिवार की मेडिकल हिस्ट्री देखकर कुछ टेस्ट कराने के आदेश दे सकते हैं. अगर अभी तक पैप स्मियर टेस्ट न कराया हो तो यह करा लेना चाहिए. पैप स्मियर एक साधारण सा टेस्ट है, जो गर्दन की कोशिकाओं के छोटे सैंपल से किया जाता है. यह जांच बच्चेदानी के मुंह पर होने वाले कैंसर का पता लगाने में मदद करती है. मासिक धर्म बंद होने के बाद होने वाली पोस्ट मेनोपॉज़ ब्लीडिंग का बड़ा कारण सर्वाइकल कैंयर या गर्भाशय के मुंह पर होने वाले कैंसर होता है. इसके बाद मरीज का अल्ट्रासाउंड और एंडोमेट्रियल बायोप्सी होती है, जो हमें आगे की जांच की ओर लेकर जाता है.
ये भी पढ़ेंः यूरीन इंफेक्शन से निजात पाने के नैचुरल उपाय (Home Remedies For UTI (Urinary Tract Infection)
हमार देश की महिलाओं को प्रजनन प्रणाली, जैसे गर्भाशय या अंडाशय के कैंसर की जांच के महत्व के बारे में उचित ढंग से नहीं बताया जाता है. न ही उन्हें यह बताया गया है कि इसकी जांच किस उम्र से शुरू होनी चाहिए। यह स्थिति तब है, जब सरकार ने कैंसर की जांच के विभिन्न कार्यक्रम बनाए हैं और जांच के दिशा-निर्देश भी जगह-जगह मुहैया कराए गए हैं. परिवार की प्लानिंग करने के बाद या 30 वर्ष की उम्र में महिलाओं को स्त्री रोग विशेषज्ञों के पास जाना चाहिए, जो उन्हें सही उम्र में जांच के महत्व के बारे में समझा सके या उनकी जांच भी कर सके. मेनोपॉज़ के बाद यह जांच जरूर होनी चाहिए, जिससे महिलाओं को इसके बाद होने वाली ब्लीडिंग के खतरों के संकेत पहचानने की जानकारी दी जा सके.
स्तनों की अपने आप जांच करना या डॉक्टर से कराना ब्रेस्ट कैंसर की जांच का सबसे अच्छा साधन है. पैप स्मियर टेस्ट से गर्भाशय के कैंसर की पहचान होती है. मेनोपॉज़ के बाद होने वाली किसी भी तरह की ब्लीडिंग को नजरअंदाज न करना एंडो मेट्रियल कैंसर की जल्दी जांच और इलाज का बेहतरीन साधन है.
- डॉ. अर्पिता गंगवानी, ओबीएस और स्त्री रोग विशेषज्ञ, अपोलो क्रेडल, नई दिल्ली
ये भी पढ़ेंः Personal Problems: प्रेग्नेंसी में किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? (Do’s And Don’ts For A Safer Pregnancy)
Link Copied
