- स्मृति पाठक
हां, बेहतर मनी मैनेजमेंट के लिए होम बजट प्लान करना बेहद ज़रूरी है. जहां तक बात प्लान पर स्टिक यानी अडिग न रह पाने की है तो ऐसा अनरियलिस्टिक प्लान (अव्यावहारिक योजना) बनाने के कारण होता है. अतः ज़रूरी है कि ऐसा प्लान बनाएं जो वास्तविक हो, अमल में लाने जैसा हो. सबसे अहम बात वीकली (साप्ताहिक) बजट प्लान करें.- बजट प्लानिंग के दौरान ख़र्च निर्धारित करते समय यह ध्यान दें कि कौन-से ख़र्च अनिवार्य हैं और कौन-से इच्छित?
- ज़्यादातर अनिवार्य भुगतान पहले ह़फ़्ते में कर देना चाहिए. चौथे ह़फ़्ते कम से कम ख़र्च करें.
- हर ह़फ़्ते के अंत में यह देखें कि अभी क्या-क्या करना है और उसके लिए आपके पास कितने पैसे बचे हैं? नए ह़फ़्ते की शुरुआत में पिछले ह़फ़्ते के छूटे हुए कामों को प्राथमिकता दें.
- होम बजट परिवार की ज़रूरत और आय (इनकम) के अनुसार बनाएं.
- बीच-बीच में बजट प्लान की समीक्षा करें. ज़रूरी हो तो बजट प्लान पर रीवर्क करें.
- लीना शुक्ला, भिलाई
यदि शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करना चाहती हैं तो ये मान कर चलें कि थोड़ा रिस्क तो आपको लेना ही होगा. यहां आपका पैसा बैंक की एफ़डी की तरह पूरी सुरक्षा की गारंटी तो नहीं दे सकता, लेकिन कम समय में ही बैंक से अच्छे रिटर्न ज़रूर दे सकता है. यदि आपको शेयर मार्केट से संबंधित जानकारी नहीं है तो सीधे बाज़ार में निवेश करना ठीक नहीं होगा. फिर भी यदि आप बाज़ार में निवेश करना चाहती हैं तो, इसके लिए सबसे अच्छा विकल्प है म्युचुअल ़फंड. यदि मार्केट के बारे में ़ज़्यादा जानकारी न हो तो म्युचुअल ़फंड में निवेश करना बाज़ार में सीधे निवेश करने से बेहतर व अपेक्षाकृत सुरक्षित होता है. इसमें निवेश करने पर आप पैसा ऐसी कंपनी को सौंप देती हैं, जिसके पास बाज़ार के बेहतरीन विशेषज्ञ और जानकार होते हैं. ये विशेषज्ञ आपके पैसों को ऐसी जगह निवेश करते हैं जहां निवेश की गई रकम बढ़ती रहे. फिर भी यह ध्यान रखें कि म्युचुअल ़फंड में निवेश भी बाज़ार के जोखिमों के अधीन ही होता है यानी मार्केट कंडीशन के हिसाब से इसमें भी रिस्क होता है. इनमें कई ऑप्शन्स भी होते हैं, जैसे- ओपन एंडेड या क्लोज़ एंडेड म्युचुअल ़फंड, डिविडेंड या ग्रोथ. इन सब के बारे में पूरी जानकारी हासिल करें और इसके बाद ही निवेश करें. साथ ही सारा पैसा किसी एक ़फंड में लगाने के बजाए अपने पोर्टफ़ोलियो को डाइवर्सिफ़ाई भी करें. कुछ पैसे लॉन्ग टर्म (लंबे समय) तो कुछ शॉर्ट टर्म (कम समय) के लिए इन्वेस्ट करें. इससे आप रिस्क को कवर सकती हैं. मार्केट का आकलन ख़ुद भी करती रहें और इस बात का निर्णय स्व-विवेक से लें कि कौन-से क्षेत्र में विकास हो रहा है. इससे आपको पता चलेगा कि म्युचुअल फंड में भी आपको कहां पैसे निवेश करने चाहिए? मैं 57 वर्षीय डॉक्टर हूं. मैं पिछले 25 वर्षों से प्रैक्टिस कर रहा हूं और अगले 5 वर्षों तक प्रैक्टिस करना चाहता हूं. मेरी बेटी विवाह योग्य है, पत्नी हाउस वाइफ़ है. इन सबको ध्यान में रखते हुए मुझे कहां-कहां इनवेस्ट करना चाहिए? कृपया, मार्गदर्शन करें.- अनुराग कुमार, चेन्नई
आपने अपनी प्राथमिकताओं और बैक ग्राउंड के बारे में बताकर अच्छा किया, किंतु आपने अपने मौजूदा इनवेस्टमेंट पोर्टफ़ोलियो के बारे में नहीं बताया. फिर भी आपकी उम्र, प्राथमिकता और बैकग्राउंड को ध्यान में रखते हुए आपको नीचे बताए गए इनवेस्टमेंट्स ज़रूर करने चाहिए. - आप ख़ुद के और अपनी पत्नी के लिए लाइफ़ इंश्योरेंस पॉलिसी ज़रूर ले लें. - मेडिकल एमर्जन्सीज़ के लिए मेडिक्लेम प्लान का होना आवश्यक है. - बेटी की शादी को ध्यान में रखते हुए कुछ लिक्विड इनवेेस्टमेंट ज़रूर करें. - चूंकि आप 5 वर्ष के बाद रिटायर होना चाहते हैं, अतः ऐसी ग्रोथ स्कीम्स में निवेश करें, जिनका मैच्योरिटी पीरियड 5 वर्ष हो. ऐसा करने से आपके पास रिटायरमेंट के बाद एक अच्छी-ख़ासी रकम होगी. - म्यूचुअल फंड्स और ब्ल्यू चिप सिक्योरिटीज़ में इनवेस्ट करें, क्योंकि इनमें रिटर्न अच्छा मिलता है. साथ ही ये लॉन्ग टर्म इनवेस्टमेंट के अच्छे विकल्प साबित होते हैं. मैं इसी साल एक मल्टी-नेशनल कंपनी से रिटायर हुआ हूं. मुंबई की प्राइम लोकेशन में मेरा एक ़फ़्लैट है. रिटायरमेंट के बाद मुझे मेरे ड्यूज़ के रूप में कुछ पैसे भी मिले हैं. मेरे तीन बेटे हैं, जिनमें से दो की शादी हो चुकी है. उन्हें यह घर छोटा लगता है और वे चाहते हैं कि मैं यह घर बेच कर व रिटायरमेंट के बाद मिली राशि को मिला कर दूसरा फ़्लैट ख़रीदूं. मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि क्या किया जाए. क्या इस फ़्लैट को बेचना सही निर्णय होगा? गाइड करें.-अमित कुमार, मुंबई
सबसे पहली बात तो यह है कि आपका ़फ़्लैट और रिटायरमेंट मनी आपकी पर्सनल संपत्ति है और इसे किस तरह इस्तेमाल किया जाए, इसका निर्णय लेने का अधिकार स़िर्फ और स़िर्फ आपको ही है. यदि रिटायरमेंट के बाद आप इस प्राइम लोकेशन पर रहना चाहते हैं तो बेशक़ रहें, लेकिन यदि शांतिपूर्ण जीवन जीना चाहते हैं तो इसे बेच कर उपनगरीय क्षेत्र में ़फ़्लैट ख़रीदा जा सकता है. अपनी इस प्रॉपर्टी को बेचने से पहले पूरी तहक़ीक़ात करें, ताकि आपको इसका सही दाम मिल सके. ़फ़्लैट को बेचने के बाद मिले पैसों से सबसे पहले अपने रहने के लिए एक ़फ़्लैट ख़रीदें. उसकी मेंटेनेंस में लगने वाली राशि बैंक में जमा करा दें. इसके बाद अपने जीवनयापन के लिए लगने वाली राशि को भी अलग निकाल लें. फिर यदि पैसे बचें तो इससे अपने दोनों पुत्रों को उनका घर ख़रीदने में मदद करें. मैं 35 वर्षीया वकिर्र्ंग वुमन हूं. मैं अपने बेटे और बेटी की शिक्षा के लिए इन्वेस्ट करना चाहती हूं. कृपया बताएं कि बच्चों की शिक्षा के लिए इन्वेस्ट करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?- अनुपमा गुप्ता, मेरठ
बच्चों की शिक्षा के लिए इन्वेस्टमेंट एक मॉडर्न कॉन्सेप्ट है. आजकल लगभग सभी पैरेंट्स इस कॉन्सेप्ट को फ़ॉलो करते हैं. आप अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए इन्वेस्ट करना चाहती हैं यह अच्छी बात है, पर आपने अपने बच्चों की उम्र, उनकी रुचि का क्षेत्र, ़फैमिली इनकम जैसी महत्वपूर्ण बातों के बारे में नहीं बताया. फिर भी बच्चों की शिक्षा के लिए इन्वेस्ट करते समय निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए,- बच्चे की उम्र.
- माता-पिता की उम्र.
- बच्चा किस क्षेत्र में करियर बनाना चाहता है या पैरेंट्स उसे किस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहते हैं.
- पैरेंट्स की आय और उनके रिटायरमेंट की संभावित उम्र.
- कोई पुश्तैनी संपत्ति जो बच्चे को मिलने वाली हो.
- परिवार का मौजूदा इन्वेस्टमेंट स्टेटस यानी परिवार द्वारा किए गए निवेश की जानकारी. एक बार ये सारी बातें आप पेपर पर लिख लेंगी तो आपको इस बात का अंदाज़ा हो जाएगा कि बच्चों की शिक्षा के लिए कितने पैसों की ज़रूरत होगी. उस ज़रूरत को पूरा कर पाने में आप कितनी सक्षम हैं. यह प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद किसी फ़ायनेंशियल प्लानर या एक्सपर्ट से मिलें और उसकी सलाह से सही जगह निवेश करें, ताकि बच्चे की शिक्षा के साथ समझौता न करना पड़े.
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